दक्षिण अफ्रीका में सामाजिक सद्भभावना बढ़ाने का तरीका है दिवाली
दक्षिण अफ्रीका के हिंदू महासभा के अध्यक्ष अश्विन त्रिकमजी ने बताया कि यह जमीनी स्तर पर सामाजिक समरसता का कार्यक्रम है। आयोजकों का कहना है कि कार्यक्रम की आधिकारिक शुरुआत शनिवार की शाम में हुई।
जोहानिसबर्ग। डरबन में पिछले 20 वर्षों से मनाए जा रहे दिवाली के सालाना उत्सव को शहर में सामाजिक सद्भावना बनाए रखने वाले एक बड़े कदम की तरह देखा जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका का यह शहर स्थानीय जुलु समुदाय और यहां रह रहे भारतीय समुदाय के बीच तनाव से जूझ रहा था। दक्षिण अफ्रीका के हिंदू महासभा के अध्यक्ष अश्विन त्रिकमजी ने बताया कि यह जमीनी स्तर पर सामाजिक समरसता का कार्यक्रम है। आयोजकों का कहना है कि कार्यक्रम की आधिकारिक शुरुआत शनिवार की शाम में हुई।
उन्होंने बताया कि इस दो दिवसीय संस्कृति, रंग और व्यंजनों के उत्सव का लक्ष्य न केवल यहां के हिंदू समुदाय को आकर्षित करना है बल्कि इसका लक्ष्य दक्षिण अफ्रीका के सभी समुदायों को अपनी तरफ आकर्षित करना है। त्रिकमजी ने याद करते हुए बताया कि देश के पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति के रूप में नेल्सन मंडेला का निर्वाचन होने के बाद जब प्रकाश का यह त्योहार पहली बार मनाया गया था तो इसको लेकर कई तरह के विवाद थे क्योंकि उस समय देश का समाज नस्लवाद के आधार पर बंटा हुआ था।
उन्होंने बताया, ‘‘ हमारे अपने समुदाय के लोगों के साथ ही अन्य लोगों ने हमें कहा था कि यह दीवाली का उत्सव का कार्यक्रम संभव नहीं हो पाएगा। लेकिन हमने इसको एक चुनौती की तरह लिया। लगातार इस कार्यक्रम में हजारों लोग आते रहे और हमें बड़े आयोजन स्थल की तलाश रही और हम अब इस मौजूदा आयोजन स्थल पर पूरी तरह स्थापित हो चुके हैं। यह स्थान औपचारिक तौर पर बंद होने तक डरबन का अकेला सिनेमाहॉल था।'
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