अपने बयानों को लेकर संभले डोनाल्ड ट्रंप, क्या अमेरिकी चुनाव है कारण?

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डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस से बच्चों और उनके इर्द-गिर्द के लोगों की जान को कम खतरा बताते हुए स्कूल दोबारा खोलने की वकालत की है। अमेरिका में कोविड-19 जांच प्रणाली तेजी से जांच करने और समय पर नतीजे देने में बुरी तरह नाकाम साबित हुई है। इसके बावजूद ट्रंप जांचों की संख्या को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।

वाशिंगटन।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही अचानक कोरोना वायरस महामारी की गंभीरता को स्वीकार कर कोरे झूठों पर आधारित अपने बयानों सेहाल-फिलहाल किनारा कर लिया हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह जनता के प्रति ईमानदारी से जवाब दे रहे हैं। समाचार एजेंसी एसोसिएटिड प्रेस (एपी) द्वारा ट्रंप के बयानों में दिए गए तथ्यों की जांच कर यह बात कही गई है। ट्रंप ने कोरोना वायरस से बच्चों और उनके इर्द-गिर्द के लोगों की जान को कम खतरा बताते हुए स्कूल दोबारा खोलने की वकालत की है। अमेरिका में कोविड-19 जांच प्रणाली तेजी से जांच करने और समय पर नतीजे देने में बुरी तरह नाकाम साबित हुई है। इसके बावजूद ट्रंप जांचों की संख्या को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। ट्रंप का यह भी कहना है कि अमेरिका में दूसरे देशों की तुलना में मृत्युदर कम है जबकि वैश्विक आंकड़े उनके इस दावे के उलट दूसरी ही कहानी बयां कर रहे हैं। ट्रंप ने हाल ही में कोरी अफवाहों पर आधारित कई बयान दिये: अमेरिकी राष्ट्रपति ने देश में कोविड-19 जांच की संख्या पांच करोड़ के पास पहुंचने पर मंगलवार को ब्रीफिंग के दौरान कहा, इससे, हमें ऐसेसंक्रमितों को अलग करने में मदद मिली है, जिनमें लक्षण दिखाई नहीं दिये। इससे हमें यह पता चला है कि कोरोना वायरस कहां तक पैर पसार चुका है और आगे क्या होने वाला है।

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एसोसिएटेड प्रेस ने ट्रंप के इस बयान को तथ्यों की कसौटी पर परखा तो उनके दावे सही नहीं पाए गए। देश के कई हिस्सों में जांचें करा चुके लोगों को प्रयोगशालाओं पर बोझ के चलते कई दिनों तक जांच नतीजों का इंतजार करना पड़ा है। इस इंतजार के दौरान कुछ लोग दूसरे लोगों में भी संक्रमण फैला रहे हैं। बढ़ते मामलों के बोझ तले दबी प्रयोगशालाएं कोविड-19 जांच नतीजे देने में हफ्तों का समय ले रही हैं। इसके अलावा ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि अब युवा लोग आसानी से इसकी चपेट में नहीं आ रहे। जो युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं वे जल्दी ठीक भी हो रहे हैं। एपी ने जब उनके इस बयान में दिये गए तथ्यों की जांच की तो पता चला कि उन्होंने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिये वैज्ञानिक कारण नहीं बताए। ट्रंप के कोरोना वायरस कार्य बल के संयोजक डॉक्टर डेबोरा बर्क्स और अन्य जन स्वास्थ्य अधिकारी कई बार कह चुके हैं कि वायरस से युवाओं को होने वाले खतरे और उनके जरिये इसके फैलने को अभी समझा नहीं जा सका है क्योंकि अभी उनपर पर्याप्त अध्यनन नहीं किया गया है।

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इसके अलावा ट्रंप ने हाल ही में कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका की तुलना अन्य देशों से की थी। उन्होंने कहा था, हमने ज्यादातर देशों के मुकाबले काफी अच्छा काम किया है। अधिकतर देशों के मुकाबले हमारे यहां मृत्युदर कम है। इस मामले में हम कई ऐसे देशों की मदद कर रहे हैं जिन्हें लोग जानते तक नहीं। ट्रंप की यह बात भी तथ्यों की कसौटी पर खरी नहीं उतरी। अमेरिका में दूसरे देशों के मुकाबले मृत्युदर कम नहीं है। अमेरिका में किसी भी अन्य देश की तुलना में कोरोना वायरस संक्रमण और इससे मौत के काफी अधिक मामले सामने आए हैं। साथ ही जांच और वायरस की रोकथाम के मामले में भी अमेरिका कई दूसरे देशों से पीछे है। हाल ही में जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी कोरोना वायरस रिसोर्स सेंटर ने महामारी से बुरी तरह प्रभावित 20 देशों का विश्लेषण किया था, जिसमें पता चलता कि मृत्युदर के मामले में अमेरिका चौथे स्थान पर है। अमेरिका से अधिक मृत्युदर केवल ब्रिटेन, पेरू और चिली में देखी गई है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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