सरकारी नीति किसी भी सशस्त्र या दबाव समूह की शह पर नहीं होगी: पाकिस्तान ने यूरोपीय संघ से कहा

imran khan

विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यूरोपीय संसद की एएफईटी को बताया, हम हालिया विरोध प्रदर्शनों के बाद कट्टरपंथी समूहों के खिलाफ मजबूती से आगे बढ़े हैं। आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि किसी भी सशस्त्र या दबाव समूह को सरकार के फरमान को चुनौती देने और सरकार की नीति पर दबाव डालने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने बुधवार को यूरोपीय संघ से कहा कि सरकार की नीति किसी भी सशस्त्र या दबाव समूह की शह पर नहीं होगी और ना ही उन्हें इसकी चुनौती देने की अनुमति दी जाएगी। कुछ सप्ताह पहले एक कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी ने देश में फ्रांसीसी दूत के निष्कासन की मांग को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यूरोपीय संसद (ईपी) की विदेश मामलों की समिति (एएफईटी) को बताया, हम हालिया विरोध प्रदर्शनों के बाद कट्टरपंथी समूहों के खिलाफ मजबूती से आगे बढ़े हैं। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि किसी भी सशस्त्र या दबाव समूह को सरकार के फरमान को चुनौती देने और सरकार की नीति पर दबाव डालने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उनका संबोधन ऐसे समय में आया है जब कुछ सप्ताह पहले तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने पाकिस्तान में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद अप्रैल के मध्य में पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार ने टीएलपी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने और प्रतिबंधित कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों को रद्द करने के लिए संसद में एक प्रस्ताव पेश करने का वादा किया, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गया। अंत में, इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के एक सदस्य द्वारा एक प्रस्ताव पेश किया गया, लेकिन सरकार और विपक्ष के बीच मतभेदों के कारण संसद में कोई बहस नहीं हुई। स्पष्ट रूप सेविरोध प्रदर्शनों और प्रस्ताव ने यूरोपीय संघ को नाराज कर दिया और उसकी संसद ने पाकिस्तान के लिए जीएसपी प्लस का दर्जा समाप्त करने के उद्देश्य से एक प्रस्ताव पारित किया। 

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जीपीएस प्लस देश को अपने कपड़ा उत्पादों को रियायती दरों पर बेचने की अनुमति देता है। यूरोपीय संघ के प्रस्ताव में ईशनिंदा कानूनों के बारे में भी बात की गई जिसमें इस्लाम के पैगंबर का अपमान करने वाले को मौत की सजा देने का प्रावधान किया गया है। विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि कुरैशी ने ईशनिंदा कानूनों पर यूरोपीय संसद द्वारा पारित प्रस्ताव को लेकर निराशा व्यक्त की और इस्लाम के पैगंबर के लिए मुसलमानों की विशेष भावनाओं और सम्मान को समझने के महत्त्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए नहीं किया जा सकता है और जानबूझकर उकसावे तथा नफरत और हिंसा को उकसाने को सार्वभौमिक रूप से गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए। कुरैशी ने कश्मीर का मुद्दा भी उठाया और कहा कि यह विवाद दक्षिण एशिया में स्थायी शांति बनाने के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि उपयुक्त वातावरण तैयार करने का दायित्व भारत पर है क्योंकि पाकिस्तान कश्मीर के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। भारत पाकिस्तान को बता चुका है कि वह आतंकवाद, उग्रता एवं शांति से मुक्त वातावरण में इस्लामाबाद के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है। भारत कह चुका है कि आतंकवाद एवं उग्रता से मुक्त वातावरण तैयार करना पाकिस्तान का दायित्व है।

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