पाकिस्तान चुनावों में चरमपंथी, प्रतिबंधित समूहों की भद पिटी
मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के समर्थन वाले अल्लाह - ओ - अकबर तहरीक समेत चरमपंथी और प्रतिबंधित समूहों को व्यापक अभियान चलाने के बावजूद पाकिस्तान के आम चुनावों में करारी शिकस्त मिली है।
इस्लामाबाद। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के समर्थन वाले अल्लाह - ओ - अकबर तहरीक समेत चरमपंथी और प्रतिबंधित समूहों को व्यापक अभियान चलाने के बावजूद पाकिस्तान के आम चुनावों में करारी शिकस्त मिली है। कट्टरपंथी और प्रतिबंधित समूहों से जुड़े सैकड़ों लोग चुनावों में खड़े हुए थे लेकिन अनाधिकारिक नतीजों के अनुसार अभी तक उनमें से कोई भी संसदीय या प्रांतीय विधानसभाओं की एक भी सीट जीतते हुए नहीं दिख रहा। मौलाना मुहम्मद अहमद लुधियानवी समेत कुछेक उम्मीदवार ही ठीक - ठाक वोट हासिल कर सके हैं। लुधियानवी का नाम प्रतिबंधित सूची से हटा लिया गया था। जियो टीवी की खबर के अनुसार , लुधियानवी को 45,000 से ज्यादा वोट मिले लेकिन कोई भी जीत के करीब नहीं पहुंचा है।
चुनावों से पहले देश में बड़ी संख्या में कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों के भाग लेने को लेकर चिंता पैदा हो गई थी। सईद से जुड़ी मिल्ली मुस्लिम लीग ने अल्लाह - ओ - अकबर तहरीक से कई उम्मीदवारों को खड़ा किया क्योंकि चुनाव आयोग ने उसे मान्यता देने से इनकार कर दिया था। सईद ने कई रैलियां कर खुद प्रचार किया था लेकिन उसके उम्मीदवार जीत के आसपास भी नहीं दिखाई दे रहे। सईद का बेटा हाफिज तल्हा सईद लाहौर से करीब 200 किलोमीटर दूर सरगोढा की एनए -91 सीट से खड़ा हुआ था जो जमात - उद दावा नेता का पैतृक शहर है।
सईद का दामाद खालिद वलीद पीपी -167 सीट से खड़ा था। सुन्नी साम्प्रदायिक समूह तहरीक - ए - लब्बाइक पाकिस्तान (टीएलपी) ने 100 से ज्यादा प्रत्याशी खड़े किए थे लेकिन उनमें से कोई भी जीत के नजदीक नहीं पहुंच पाया। सबसे बड़े धार्मिक समूह मुताहिद मजलिस - ए - अम्ल (एमएमए) के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने व्यापक प्रचार अभियान चलाया था लेकिन इसके बावजूद वह नेशनल असेंबली की महज आठ सीटों पर आगे चल रही है।
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