आतंकवादी हाफिज सईद की पार्टी अल्लाह-ऊ-अकबर का खाता ही नहीं खुला

Hafiz Saeed''s party fails to win or take lead in any seat

पाकिस्तान चुनावों में आतंकवादी हाफिज सईद के पार्टी अल्लाह-ऊ-अकबर का खाता भी नहीं खुला है जबकि उसने चुनावों में बड़ी संख्या में अपने उम्मीदवार उतारे थे। यही नहीं खुद हाफिज सईद का बेटा भी चुनाव मैदान में था।

लाहौर। पाकिस्तान चुनावों में आतंकवादी हाफिज सईद के पार्टी अल्लाह-ऊ-अकबर का खाता भी नहीं खुला है जबकि उसने चुनावों में बड़ी संख्या में अपने उम्मीदवार उतारे थे। यही नहीं खुद हाफिज सईद का बेटा भी चुनाव मैदान में था। चुनाव प्रचार के दौरान हाफिज सईद और उसकी पार्टी के नेताओं ने भारत के खिलाफ काफी जगह उगला था। लेकिन यह सब काम नहीं आया और इमरान खान की पार्टी को भारी बढ़त मिलती दिख रही है। दूसरी ओर पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ ने चुनाव परिणाम के शुरूआती रूझान के बाद बड़े पैमाने पर धांधली होने का आरोप लगाते हुए चुनाव परिणाम को खारिज कर दिया है। हालांकि शाहबाज शरीफ ने यह नहीं बताया कि चुनाव में धांधली करने का संदेह उन्हें किस पर है, लेकिन चुनाव को प्रभावित करने का आरोप देश की प्रभावशाली सेना पर लगाया गया है।

पाकिस्तान चुनाव में हाफिज सईद ने चुनाव प्रचार में खुलेआम भारत विरोध के नाम पर वोट मांगे थे। सईद ने लाहौर, इस्लामाबाद, फैसलाबाद, सरगोधा, साहीवाल और झांग में अपनी सियासी पार्टी के चुनावी कार्यालयों का उद्घाटन भी किया था। इस दौरान उसने कई रैलियां भी कीं। अपने भाषणों में उसने अपील की, 'अवाम को अपने वोट उन लोगों को देने चाहिए जो पाकिस्तानी नदियों पर भारत को बांध बनाने से रोक सकें, कश्मीरियों को आजादी पाने में मदद कर सकें और पाकिस्तान को इस्लाम का गढ़ बना सकें। उन लोगों (पीएमएल-एन) को वोट नहीं दें जो भारत को बांध बनाने से रोक नहीं पाएं।' सईद ने चुनाव प्रचार के दौरान पाकिस्तान को एक ऐसा नया सियासी नेतृत्व देने का वादा भी किया था जो पाकिस्तान की किस्मत को बदल देगा। 

इस बार के चुनाव में पाकिस्तान की परंपरागत मजहबी पार्टियों को आतंकवादी और जिहादी संगठनों से खतरा था क्योंकि आतंकी संगठनों ने चुनाव में प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में अपने उम्मीदवारों को उतारा था। यही नहीं अधिकतर आतंकवादी संगठनों ने मुखौटा दलों से अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे। डॉन अखबार ने तो 'आतंकवादी उम्मीदवार’ शीर्षक वाले अपने संपादकीय में कहा था कि 'कट्टरपंथी आतंकवाद और जिहादी समूह से मजबूत संबंध रखने वालों को चुनाव लड़ने की इजाजत मिली लेकिन जिन संवैधानिक संस्थानों के पास इन्हें रोकने की जिम्मेदारी है वह सिर्फ देख रहे हैं।

आतंकी संगठनों की मुखौटा पार्टियों की बात करें कट्टरपंथी संगठन सिपा-ए-सहाबा पार्टी से पाकिस्तान राह-ए-हक पार्टी उभरी है जबकि हाफीज सईद के अगुवाई वाले जमात उद दावा के मुखौटा संगठन के तौर पर अल्लाह-उ-अकबर पार्टी सामने आई है, रिजवी की टीएलपी भी मैदान में थी, इसने एमएमए गठबंधन से ज्यादा उम्मीदवार उतारे थे। जहां अन्य दलों के नेता चुनाव प्रचार में जुटे थे वहीं आतंकी संगठन भी ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार जिताने के लिए मतदाताओं को लुभाने और धमकाने में जुटे थे। 25 जुलाई को हुए चुनाव में कई कट्टर मौलवियों सहित 12,570 उम्मीदवार मैदान में थे।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़