स्पर्म से धरती में बढ़ रहा प्रदूषण हो जाएगा खत्म, बनाई जाएगी Eco-Friendly प्लास्टिक
प्लास्टिक से प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। इसी को देखते हुए साइंसटिस्ट ने स्पर्म के जरिए धरती को बचाने का तरीका खोज निकाला है। एक खबर के मुताबिक, स्पर्म से धरती में बढ़ रहा प्लास्टिक का प्रदूषण खत्म हो सकता हैं।
धरती पर जीवों की उत्पत्ति स्पर्म और अंडे के मिक्षण से हुई है। इंसान की उत्पत्ति भी ऐसे ही मिक्षण से हुई है और बेहद अच्छी जिंदगी जी रहे इंसान अपने स्वार्थ में ऐसी कई चीजों का निर्माण कर चुका है जिससे समुद्र और पर्यावरण में बहुत ज्यादा असर पड़ रहा है। इंसान ने प्लास्टिक का निर्माण किया जिसके इस्तेमाल से धरती का काफी नुकसान होता जा रहा है। इस प्लास्टिक से प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। इसी को देखते हुए साइंसटिस्ट ने स्पर्म के जरिए धरती को बचाने का तरीका खोज निकाला है। एक खबर के मुताबिक, स्पर्म से धरती में बढ़ रहा प्लास्टिक का प्रदूषण खत्म हो सकता हैं। हैरानी की बात यह है कि, जिस जिव के स्पर्म से यह प्रदूषण खत्म होगा वह धरती से विलुप्त होते जा रहे है।
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इसकी खोज चीन के वैज्ञानिकों ने की है और इनके मुताबिक साफ पानी में मिलने वाली सैल्मन मछली के स्पर्म से एक ऐसी चीज बनाई गई है जो प्लास्टिक की जगह ले सकती है। यह बिल्कुल प्लास्टिक की तरह मजबूत , लचीली होगी। बता दें कि यह बायोडिग्रेडेबल होगा जिससे प्लास्टिक की तरह गलने में समय नहीं लेगा। यह जल्दी से गलने वाली होगी और इससे धरती को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा। प्लास्टिक में जैसा रसायन होता है यह सैल्मन मछली के स्पर्म से तैयार की गई वाली चीज में नहीं होगा।
The climate innovation ideas just keep coming 😀
— Euronews Green (@euronewsgreen) November 29, 2021
Although it is very hard to get a real breakthrough 😩
But maybe this one will come to fertilisation 🤞
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चीन के वैज्ञानिकोंने की ऐसे खोज
बता दें कि चीन के वैज्ञानिकों ने सैल्मन मछली के स्पर्म और सब्जियों के तेल से मिलने वाले रसायन से पदार्थ तैयार किया गया है जो काफी नर्म, गद्देदार और प्लास्टिक की तरह मजबूत भी है। इस पदार्थ को वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजेल नाम दिया गया है। इस पदार्थ को किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। चीन के रिसर्चर ने इस हाइड्रोजेल (Hydrogel) से कप और डीएनए का ढांचा तक तैयार कर दिया है। यह एक इको-फ्रेंडली प्लास्टिक है। बता दें कि साल 2015 का एक स्टडी के मुताबिक दुनिया में इस समय 50 बिलियन टन यानी 50,000,000,000,000 किलोग्राम DNA मौजूद हैं। जरा सोचिए अगर दुनिया में इतने डीएनए मौजुद है तो प्लास्टिक का विकल्प तैयार किया जा सकता है जो धरती को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
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