द्विपक्षीय संबंधों में खराब दौर से गुजर रहे हैं भारत और चीन: एस जयशंकर

Jaishankar

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि चीन को इस बारे में कोई संदेह है कि हमारे संबंधों में हम किस मुकाम पर खड़े हैं और क्या गड़बड़ है। मेरे समकक्ष वांग यी के साथ मेरी कई बार मुलाकात हुई हैं।

सिंगापुर। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन अपने संबंधों को लेकर ‘‘विशेषतौर पर खराब दौर’’ से गुजर रहे हैं क्योंकि बीजिंग ने समझौतों का उल्लंघन करते हुए कुछ ऐसी गतिविधियां कीं जिनके पीछे उसके पास अब तक ‘‘विश्वसनीय स्पष्टीकरण’’नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन के नेतृत्व कोइस बात का जवाब देना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंधों को वे किस ओर ले जाना चाहते हैं। यहां ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमिक फोरम में ‘‘वृहद सत्ता प्रतिस्पर्धा: उभरती हुई विश्व व्यवस्था’’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि चीन को इस बारे में कोई संदेह है कि हमारे संबंधों में हम किस मुकाम पर खड़े हैं और क्या गड़बड़ है। मेरे समकक्ष वांग यी के साथ मेरी कई बार मुलाकात हुई हैं। जैसा कि आपने भी यह महसूस किया होगा कि मैं बिलकुल स्पष्ट बात करता हूं, अत: समझा जा सकता है कि स्पष्टवादिता की कोई कमी नहीं है। यदि वे इसे सुनना चाहते हैं तो मुझे पूरा भरोसा है कि उन्होंने सुना होगा।’’ 

इसे भी पढ़ें: राजनाथ ने लद्दाख में स्थित युद्ध स्मारक का किया उद्घाटन, बोले- 114 वीर जवानों ने सीमा की रक्षा के लिए दी थी शहादत 

चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हम, हमारे संबंधों में विशेषतौर पर खराब दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि उन्होंने समझौतों का उल्लंघन करते हुए कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जिनके बारे में उनके पास अब तक ऐसा स्पष्टीकरण नहीं है जिस पर भरोसा किया जा सके। यह इस बारे में संकेत देता है कि यह सोचा जाना चाहिए कि वे हमारे संबंधों को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं लेकिन इसका जवाब उन्हें देना है।’’ भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के हालात बीते वर्ष पांच मई को बने थे। पैंगांग झील से लगते इलाकों में दोनों के बीच हिंसक संघर्ष भी हुआ था और दोनों देशों ने अपने हजारों सैनिक और हथियार वहां तैनात किए थे। पिछले वर्ष 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद तनाव और भी बढ़ गया था। हालांकि कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ता के बाद दोनों पक्ष फरवरी में पैंगांग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से तथा अगस्त में गोगरा इलाके से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए राजी हो गए। सैन्य वार्ता पिछली बार 10 अक्टूबर को हुई थी जो बेनतीजा रही। इसी बीच, बृहस्पतिवार को दोनों पक्ष 14वें दौर की सैन्य वार्ता जल्द कराने पर सहमत हुए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़