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ब्रिटेन की संसद में हुआ कश्मीर मुद्दे पर चर्चा, पाकिस्तान के ‘झूठे दावों’ की भारत ने की निंदा
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 14, 2021 16:04
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ब्रिटेन की संसद में कश्मीर पर चर्चा में ‘झूठे दावों’ की भारत ने निंदा की। लंदन में भारतीय उच्चायोग ने इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल पर भी आपत्ति जताते हुए इन्हें अपने आप में समस्या वाला बताया।
लंदन। लंदन में संसद भवन परिसर में कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा में कुछ सांसदों के भाग लेने पर निराशा प्रकट करते हुए भारत ने कहा कि यह चर्चा ‘एक तीसरे देश’ (पाकिस्तान) द्वारा किये गये झूठे दावों और अपुष्ट आरोपों पर आधारित थी। हाउस ऑफ कॉमन्स के वेस्टमिंस्टर हॉल में बुधवार की शाम कुछ ब्रिटिश सांसदों द्वारा आयोजित चर्चा का शीर्षक ‘कश्मीर में राजनीतिक परिस्थिति’ था। लंदन में भारतीय उच्चायोग ने इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल पर भी आपत्ति जताते हुए इन्हें अपने आप में समस्या वाला बताया।
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उच्चायोग ने एक बयान में कहा, ‘‘शीर्षक में ‘कश्मीर’ शब्द के इस्तेमाल के संदर्भ में : केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर, जो भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (जब पूर्ववर्ती कश्मीर राज्य को कानूनी तरीके से अक्टूबर 1947 में भारत में शामिल किया गया था, तो इस हिस्से को पाकिस्तान ने जबरन और अवैध तरीके से कब्जा लिया था) के बीच अंतर समझने की जरूरत है।’’ उसने कहा, ‘‘इस बात पर भी संज्ञान लिया गया कि जमीनी रूप से दिखने वाले तथ्यों और अद्यतन जानकारी के आधार पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध पर्याप्त प्रामाणिक जानकारी होने के बावजूद, भारत के केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के संदर्भ में, मौजूदा जमीनी हकीकत की अनदेखी की गयी और एक तीसरे देश द्वारा किये जाने वाले झूठे दावों को प्रदर्शित किया गया जिनमें ‘नरसंहार’ और ‘हिंसा’ तथा ‘प्रताड़ना’ जैसे अपुष्ट आरोप थे।’’ ब्रिटेन की सरकार की ओर से चर्चा का जवाब देते हुए विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफडीसीओ) के मंत्री निगेल एडम्स ने यह आधिकारिक रुख दोहराया था कि ब्रिटेन को भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय मामले में कोई मध्यस्थ भूमिका नहीं निभानी।
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हालांकि उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दोनों ओर मानवाधिकार संबंधी चिंताएं हैं। एशिया के लिए मंत्री की जिम्मेदारी होने के नाते से एडम्स ने कहा, ‘‘सरकार की (कश्मीर पर) नीति स्थिर है और इसमें कोई बदलाव नहीं है। हम लगातार यह मानते आये हैं कि हालात का दीर्घकालिक राजनीतिक समाधान भारत और पाकिस्तान को तलाशना है जिसमें कश्मीरी जनता की आकांक्षाओं का ध्यान रखा जाए, जैसा कि शिमला समझौते में उल्लेखित है।’’ लेबर पार्टी की सारा ओवेन द्वारा आयोजित चर्चा में ब्रिटेन के विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने भाग लिया जिनमें से अधिकतर के निर्वाचन क्षेत्रों में कश्मीरी मूल के लोगों की अच्छी आबादी है। उन्होंने कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर चिंता जताई और ब्रिटेन की सरकार से क्षेत्र तक सुगम पहुंच के लिए अनुरोध किया ताकि भविष्य में जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से सीधी रिपोर्ट ब्रिटिश संसद में पेश की जा सके।
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लंदन में भारतीय उच्चायोग ने इस बात को रेखांकित किया कि पिछले साल से एक स्मार्ट वाई-फाई परियोजना से क्षेत्र में हाईस्पीड इंटरनेट एक्सेस संभव हुआ है और आतंकी हमलों की धमकियों, चुनौतीपूर्ण मौसम संबंधी हालात और कोविड-19 महामारी के बावजूद यहां पिछले महीने डीडीसी के ऐतिहासिक चुनाव संपन्न हुए। भारतीय उच्चायोग ने अपने बयान में कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर, अगस्त 2019 में प्रशासनिक पुनर्गठन के बाद से, सुशासन और त्वरित विकास के पथ पर बढ़ रहा है। जम्मू कश्मीर में भारत सरकार द्वारा उठाये गये सभी प्रशासनिक कदम पूरी तरह से भारत का आंतरिक विषय हैं।’’ बयान में कहा गया कि किसी विदेशी संसद के अंदर हुई आंतरिक चर्चा में ‘अनावश्यक रुचि’ लेने की भारत की नीति नहीं है, लेकिन भारतीय उच्चायोग भारत के बारे में सभी को प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराके और ‘गलत धारणाएं तथा गलत सूचनाएं’ दूर करके सभी संबंधित पक्षों के साथ संवाद रखता है जिनमें ब्रिटेन की सरकार और सांसद शामिल हैं।
भारत की इज़राइल और फलस्तीन को नसीहत, कहा- किसी भी एकतरफा कार्रवाई से बचना चाहिए
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 14:56
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत के. नागराज नायडू ने कहा कि नई दिल्ली फलस्तीन के लिए और एक संप्रभु और स्वतंत्र फलस्तीन राष्ट्र की स्थापना के प्रति अपना समर्थन दोहराता है जो शांति और सुरक्षा के साथ इज़राइल के साथ रहे।
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने कहा है कि इज़राइल-फलस्तीन मुद्दे का हल दोनों राष्ट्र मिलकर खुद ही कर सकते हैं और दोनों पक्षों को सीधी बातचीत के जरिए मुद्दे का समाधान करना चाहिए और इन मुद्दों को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी एकतरफा कार्रवाई से बचना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत के. नागराज नायडू ने पश्चिम एशिया में स्थिति, जिसमें फलस्तीन का सवाल भी शामिल है पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि नई दिल्ली फलस्तीन के लिए और एक संप्रभु और स्वतंत्र फलस्तीन राष्ट्र की स्थापना के प्रति अपना समर्थन दोहराता है जो शांति और सुरक्षा के साथ इज़राइल के साथ रहे।
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उन्होंने कहा, “ हमारा दृढ़ता से मानना है कि सिर्फ ‘दो राष्ट्र समाधान’ से ही स्थायी शांति होगी जो इज़राइल और फलस्तीन के लोग चाहते हैं और उसके हकदार हैं। इसे अंतिम स्थिति के मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत के जरिए हासिल किया जाना चाहिए। इन अंतिम मुद्दों को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी एकतरफा कार्रवाई से बचना चाहिए।“ नायडू ने रुकी हुई शांति वार्ता को पुनर्जीवित करने के लिए हालिया कूटनीतिक प्रयासों को उत्साहजनक करार दिया और कहा कि क्वॉर्टेट (पश्चिम एशिया में शांति स्थापना के लिए लगी चार प्रमुख शक्तियां) के विशेष राजदूत की बैठकें समय पर हुई हैं। भारत ने क्वॉर्टेट से इज़राइल और फलस्तीनी नेतृत्व के साथ बातचीत शुरु करने को कहा है।
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नायडू ने कहा, “भारत उन सभी प्रयासों का स्वागत करता है, जिसका उद्देश्य अंतररष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक प्रतिबद्धता को मजबूत करना है ताकि सीधी बातचीत फिर से शुरू हो और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।’’ पश्चिम एशिया में शांति के लिए विशेष समन्वयक और महासचिव के निजी प्रतिनिधि टूर वेन्नेसलैंड ने परिषद की बैठक में कहा कि वैश्विक समुदाय की तवज्जो पक्षों को बातचीत की मेज पर वापस लाने में मदद करने की है। इस महीने के शुरू में अरब राष्ट्रों की लीग ने 1967 की सीमा पर आधारित स्वतंत्र और संप्रभु फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना को लेकर अपना समर्थन दोहराया था जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम बनाए जाने का पक्ष लिया था।
चीन के जिलिंग प्रांत में रसायन फाइबर संयंत्र में गैस रिसाव से पांच की मौत, आठ लोग बीमार हुए
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 12:39
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सरकारी समाचार समिति शिन्हुआ ने अपनी एक खबर में स्थानीय अधिकारियों के हवाले से बताया कि यह घटना जिलिंग शहर में शनिवार देर रात हुई।
बीजिंग। चीन के पूर्वोत्तर जिलिंग प्रांत में रसायन फाइबर संयंत्र में विषैली गैस का रिसाव होने से पांच लोगों की मौत हो गई और कम से कम आठ लोग बीमार हो गए। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
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सरकारी समाचार समिति शिन्हुआ ने अपनी एक खबर में स्थानीय अधिकारियों के हवाले से बताया कि यह घटना जिलिंग शहर में शनिवार देर रात हुई। अस्पताल में भर्ती लोगों की हालत स्थिर है।
अमेरिका ने जॉनसन एंड जॉनसन के कोरोना टीके को दी मंजूरी, एक ही डोज है काफी !
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 28, 2021 12:05
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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे कोविड-19 संकट को समाप्त करने वाला एक और कदम बताया और कहा कि यह सभी अमेरिकी नागरिकों के लिए उत्साहजनक खबर है।
वॉशिंगटन। अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने जॉनसन एंड जॉनसन के कोरोना वायरस रोधी टीके के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। यह तीसरा टीका है जिसे अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे कोविड-19 संकट को समाप्त करने वाला एक और कदम बताया और कहा कि यह सभी अमेरिकी नागरिकों के लिए उत्साहजनक खबर है। जॉनसन एंड जॉनसन के टीके की दो खुराक के बजाए केवल एक खुराक की आवश्यकता होती है। इस कंपनी के टीकों को शनिवार को मंजूरी दी गई।
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अमेरिका में इससे पहले फाइजर और मोडर्ना के टीकों को पिछले साल दिसंबर में मंजूरी दी गई थी। फाइजर और मोडर्ना की दो सप्ताह में दो खुराक लगाए जाने की आवश्यकता होती है। एफडीए की कार्यकारी आयुक्त जैनेट वुडकॉक ने कहा, ‘‘इस (जॉनसन एंड जॉनसन के) टीके को मंजूरी दिए जाने से टीकों की उपलब्धता में विस्तार होता है। कोरोना वायरस रोधी टीकों का इस्तेमाल कोविड-19 को रोकने के लिए सर्वश्रेष्ठ चिकित्सकीय तरीका है, जिसने अमेरिका में पांच लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है।’’
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एफडीए ने बताया कि उपलब्ध आंकड़े इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि जॉनसन एंड जॉनसन का कोविड-19 टीका संक्रमण को रोकने में प्रभावी हो सकता है। राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि जितने अधिक लोगों को टीका लगाया जाएगा, उतनी तेजी से हम इस वायरस से निपट पाएंगे, हम अपने मित्रों एवं प्रियजन से मिल पाएंगे और अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला पाएंगे।’’ उन्होंने लोगों से कोविड-19 के नए वेरिएंट (स्वरूप) के सामने आने के मद्देनजर पूरी एहतियान बरतने की अपील की।

