भारत ने मालदीव में लोकतंत्र बहाल करने में मदद की: मामून अब्दुल गयूम

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[email protected] । Oct 28 2018 5:12PM

अदालती आदेश के बाद जेल से 30 सितंबर को रिहा होने के करीब महीने भर बाद गयूम ने कहा कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने मालदीव को भारी नुकसान पहुंचाया। आखिरकार, लोकतांत्रिक ताकतों की जीत हुई।

नयी दिल्ली। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गयूम ने रविवार को कहा कि भारत ने मौजूदा शासन पर दबाव डाल कर मालदीव में लोकतंत्र बहाल करने में एक ‘‘सकारात्मक भूमिका’’ निभाई। साथ ही, इस द्वीपीय देश की नयी सरकार नयी दिल्ली की चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहेगी। अदालती आदेश के बाद जेल से 30 सितंबर को रिहा होने के करीब महीने भर बाद गयूम ने कहा कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने मालदीव को भारी नुकसान पहुंचाया। आखिरकार, लोकतांत्रिक ताकतों की जीत हुई।

गयूम ने मालदीव में 2008 तक और करीब तीन दशक तक शासन किया। वह 2008 में देश के प्रथम बहुदलीय चुनाव में हार गए थे। यामीन के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत इस साल फरवरी में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। विपक्ष के संयुक्त नेता इब्राहीम मोहम्मद सोलिह 23 सितंबर के चुनाव में विजेता बन कर उभरे। उन्होंने यामीन को करारी शिकस्त दी और पर्यटन के लिए लोकप्रिय इस देश में महीनों से चल रही राजनीतिक उथल पुथल पर शांत लगा दिया। 

मालदीव में राजनीतिक संकट फरवरी में आपातकाल लगाए जाने और यामीन के सौतेले भाई गयूम सहित विपक्ष के कई नेताओं को जेल में डाले जाने के साथ शुरू हुआ था। यामीन ने चुनाव नतीजों को चुनौती दी। उन्होंने आरोप लगाया था कि चुनाव में धांधली हुई है। लेकिन देश के सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव नतीजों को कायम रखा। सत्ता का हस्तांतरण 17 नवंबर को होना है। गयूम (80) ने एक साक्षात्कार में कहा कि पिछले कुछ बरसों में मालदीव की संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा है, सरकार पर मालदीव के लोगों का भरोसा भी हिला है। यह पूछे जाने पर कि क्या यामीन ने चीन से समर्थन मिलने पर सियासी ताकत हासिल की, इस पर गयूम ने आशा जताई कि चीन मालदीव के अवाम की इच्छाओं का सम्मान करेगा।

भारत के साथ संबंध मजबूत करने का श्रेय गयूम को जाता है। उन्होंने ईमेल पर दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘चीन ने हमारे विकास के लिए जो सहायता की है, उसे हम मानते हैं। हालांकि, हाल के बरसों में हम पर जो कर्ज बढ़ा है उसे लेकर हम चिंतित हैं और यह महसूस करते हैं कि इसकी सावधानी से समीक्षा तथा प्रबंधन करने की जरूरत है। मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि चीन मालदीव के लोगों की इच्छा का सम्मान करेगा। ’’ 

फरवरी में यामीन द्वारा आपातकाल लागू किए जाने के बाद भारत की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर गयूम ने कहा, ‘‘भारत ने एक सकारात्मक भूमिका निभाई और लोकतंत्र बहाल करने के लिए अन्य अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ काफी दबाव बनाया।’’ गौरतलब है कि पांच फरवरी को यामीन द्वारा देश में आपातकाल की घोषणा किए जाने के बाद मालदीव के साथ भारत का संबंध तनावपूर्ण हो गया। हालांकि, 45 दिन बाद आपातकाल हटा दिया गया। 

गयूम ने कहा, ‘‘मुझे ऐसा नहीं दिखता कि पिछले कुछ बरसों में (द्विपक्षीय संबंधों पर) देर तक टिकने वाला प्रभाव पड़ा है...मुझे नहीं लगता कि ये उथल पुथल और संकट दशकों पुरानी भारत प्रथम की नीति (हमारी) को प्रभावित करेगा।’’ उन्होंने भारत को मालदीव का करीबी और सबसे भरोसेमंद सहयोगी देश करार देते हुए कहा कि यह मालदीव के सभी पड़ोसियों के हित में है कि हिंद महासागर में स्थिरता रहे। उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत और अन्य देशों की चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहेंगे।’’ 

उन्होंने कहा कि उनका देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुत जल्द मालदीव की यात्रा पर स्वागत करने की आशा करता है। मालदीव में सत्ता के हस्तांतरण के बारे में पूछे जाने पर गयूम ने कहा कि मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर सवाल उठाने के लिए यामीन के पास कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि सुगमता से सत्ता हस्तांतरण होने का रास्ता साफ है। 

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