अफगानिस्तान में विकास कार्यक्रम में भारत‘‘अत्यावश्यक’’ भूमिका निभा रहा है: रूस

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[email protected] । Jan 10 2019 11:20AM

अफगानिस्तान के पुन:निर्माण में भारत की भूमिका पर किए गए सवाल पर रयाबकोव ने कहा, ‘‘उन सभी देशों में जहां हम घरेलू संघर्ष देख रहे हैं, वहां विकास का मुद्दा सर्वप्रथम मुद्दा होता है।

नयी दिल्ली। रूस ने भारत की अफगानिस्तान में विकास के विभिन्न कार्यक्रम चलाने के लिए तारीफ करते हुए बुधवार को कहा कि वहां भारत की ‘‘अत्यावश्यक’’ भूमिका है। युद्ध से तबाह अफगानिस्तान में भारत के कार्य को लेकर रूस के उपविदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव की टिप्पणी तब आई है जब कुछ दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान में भारत की भूमिका का मज़ाक उड़ाया था। भारत की यात्रा पर आए मंत्री ने कुछ मामलों में परिणामों के बारे में विचार किए बिना ही ताकत, सैन्य शक्ति तथा सैन्य तरीके अपनाने की प्रवृति को लेकर अमेरिका और कुछ अन्य देशों की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि यह अपने आप में अस्थिरता का कारण है।

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अफगानिस्तान के पुन:निर्माण में भारत की भूमिका पर किए गए सवाल पर रयाबकोव ने कहा, ‘‘उन सभी देशों में जहां हम घरेलू संघर्ष देख रहे हैं, वहां विकास का मुद्दा सर्वप्रथम मुद्दा होता है। युद्ध जीते जा सकते हैं, लेकिन आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता में ठोस निवेश के लिए बिना शांति सुनिश्चित नहीं की जा सकती है।’’ उन्होंने पत्रकार सम्मेलन में कहा कि भारत और अन्य देश अफगानिस्तान में साजो-समान के क्षेत्र में सहयोग के जो प्रयास कर रहे हैं वे ‘अत्यावश्यक’’ है। भारत जंग में तबाह हुए अफगानिस्तान के पुन:निर्माण में सक्रियता से भाग ले रहा है।

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भारत ने अमेरिका नीत बलों द्वारा तालिबान को सत्ता से हटाने के बाद से अफगानिस्तान को करीब तीन अरब अमेरिकी डॉलर की मदद की प्रतिबद्धता की है। अफगान शांति वार्ता और तालिबान को बातचीत में शामिल करने के सवाल पर रयाबकोव ने कहा, ‘‘हम इस देश के संबंध में भारत की अनिवार्य भूमिका को समझते हैं और रूस स्थिति के शांतिपूर्ण हल और संधि के लिए मॉस्को प्रक्रिया समेत सभी प्रारूपों में किए जा रहे सभी प्रयासों को बढ़ावा देगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान पर द्विपक्षीय वार्ता के साथ ही हम हमेशा भारत और भारतीय प्रतिनिधियों का स्वागत करते हैं। रूस और भारत अहम मुद्दों पर करीब से मिलकर काम करते हैं। उपमंत्री ने दावा किया कि रूस, भारत और कुछ अन्य देशों ने जिन चीजों को प्रोत्साहित किया, उसे कुछ देशों ने अलग तरीके से प्रचारित किया। ये एक ‘कृत्रिम प्रतिस्पर्धा है।’’ गौरतलब है कि भारत ने नवंबर में मास्को में अफगान शांति प्रक्रिया पर हुए एक सम्मेलन में अपने दो पूर्व राजनयिकों को ‘अनौपचारिक’ हैसियत से भेजा था।

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