UN में भारत ने कहा- आतंकवाद से निपटने के सार्थक सामूहिक प्रयास नहीं दिखते

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[email protected] । Nov 6 2019 4:55PM

नायडू ने कहा कि आतंकवाद मानवाधिकार उल्लंघन के सबसे बुरे रूप में उभरा है। आतंकवाद को सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती मानने के बावजूद, इस खतरे से निपटने के लिए कोई सार्थक सामूहिक प्रयास नहीं नजर आते हैं।

संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि आतंकवाद के मानवाधिकार उल्लंघन के सबसे बुरे रूप में उभरने के बावजूद इस बुराई से निपटने के सार्थक संग्रहित प्रयास नदारद हैं। साथ ही नयी दिल्ली ने आतंकवादियों को पनाहगाह उपलब्ध नहीं होने देने और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को प्रत्यर्पित करने के लिए राष्ट्रों के बीच समन्वयन पर जोर दिया। ‘रिपोर्ट ऑफ द ह्यूमन राइट्स काउंसिल’ पर विश्व निकाय की महासभा के सत्र में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उपप्रतिनिधि के. नागराज नायडू ने कहा कि भारत संतुलित दृष्टिकोण का पक्ष लेने की परिषद की भूमिका की सराहना करता है जो मानवाधिकारों पर आतंकवाद के असर को समझती है और आतंकवाद के इस खतरे से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समन्वयन का समर्थन करती है।

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नायडू ने कहा कि आतंकवाद मानवाधिकार उल्लंघन के सबसे बुरे रूप में उभरा है। आतंकवाद को सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती मानने के बावजूद, इस खतरे से निपटने के लिए कोई सार्थक सामूहिक प्रयास नहीं नजर आते हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी देशों से आतंकवादी समूहों तक किसी भी तरह की मदद पहुंचने पर रोक लगाने, उन्हें पनाहगाह मुहैया नहीं होने देने और आतंकी कृत्यों को अंजाम देने या उनके समर्थकों को प्रत्यर्पित करने में सहयोग करने की अपील दोहराते हैं।

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नायडू ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए हिंसक चरमपंथी विचारधाराओं के प्रसार के वास्ते इंटरनेट और अन्य सोशल मीडिया के दुरुपयोग या नफरत फैलाने के लिए किए जाने वाले दुष्प्रचार से निपटने के लिए सभी तरह के कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक नियतकालिक समीक्षा (यूपीआर) के अनोखे एवं समावेशी तंत्र ने परिषद की विश्वसनीयता एवं प्रभावशीलता को मजबूत किया है। 

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नायडू ने जोर दिया कि भारत इस बात में दृढ़ यकीन करता है कि वहां मानवाधिकार के मुद्दों को अलग-थलग होकर नहीं उठाया जा सकता जहां मानवाधिकार, विकास, लोकतंत्र एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बीच जटिल एवं गहन संबंध को नजरअंदाज किया जाता हो। उन्होंने कहा कि भारत आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों तथा नागरिक और राजनीतिक अधिकारों को समग्र एवं संतुलित तरीके से बचाने तथा बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। साथ ही नायडू ने जीवनरक्षक दवाओं, टीकों एवं स्वास्थ्यलाभ की आसमान छूती कीमतों का भी मुद्दा उठाया जो हर साल करोड़ों लोगों को निर्धन बनाती हैं और यह मानवाधिकार का लाभ लेने के रास्ते में बहुत बड़ी बाधा हैं।

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