फिलिस्तीन शरणार्थियों की मदद के लिए 1.35 करोड़ डॉलर का सहयोग करेगा भारत

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[email protected] । Nov 15 2019 2:35PM

भारत यूनिवर्सल पीरियडिक रिव्यू के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता देने वाले संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और अपराध और नशा संबं‍‍धी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय को एक-एक लाख अमेरिकी डॉलर का स्वैच्छिक सहयोग देगा।

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों द्वारा 2020 में किये जाने वाले विकास कार्यों में भारत ने एक करोड़ 35 लाख डॉलर का सहयोग देने का संकल्प जताया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के सलाहकार अंजनी कुमार ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की विकास कार्यों के संकल्प सम्मेलन में भारत के इस पेशकश की घोषणा की। कुमार ने कहा कि भारत हमेशा से संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों में सहयोग देता आया है। 2020 में किए जाने वाले विकास कार्यों में भारत एक करोड़ 35 लाख डॉलर का सहयोग देगा। कुमार ने बुधवार को बताया कि भारत फलस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और निर्माण एजेंसी को 50 लाख अमेरिकी डॉलर और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के लिए 45 लाख अमेरिकी डॉलर का सहयोग करेगा।

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विश्व खाद्य कार्यक्रम में 19.2 लाख अमेरिकी डालर, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष में नौ लाख अमेरिकी डालर, संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या कोष में पांच लाख अमेरिकी डालर, तकनीकी सहयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र के स्वैच्छिक कोष में दो लाख अमेरिकी डालर और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग को एक लाख 50 हजार अमेरिकी डॉलर दिए जाएंगे।

भारत यूनिवर्सल पीरियडिक रिव्यू के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता देने वाले संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और अपराध और नशा संबं‍‍धी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय को एक-एक लाख अमेरिकी डॉलर का स्वैच्छिक सहयोग देगा। कुमार ने यह भी बताया कि आने वाले समय में भारत अन्य संस्थाओं के साथ भी प्रतिबद्धताएं निभाएगा। 

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कुमार ने कहा कि भारत शुरू से ही संयुक्त राष्ट्र में नियमित योगदान देता रहा है। भारत का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र के पास अपनी गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए उचित एवं आवश्यक संसाधन होने चाहिए। कुमार ने जोर दिया कि 2030 के विकास एजेंडा को पूरा करने के लिए स्थायी वित्त प्राप्त करना प्रमुख चुनौती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के विकास कार्यों के प्रतिज्ञा सम्मेलन में लगभग 16 देशों ने 51 करोड़ 60 लाख डॉलर के वित्तीय सहयोग की घोषणा की है।

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