भारत, अमेरिका गोपनीय रक्षा प्रौद्योगिकी साझा करने की रूपरेखा पर काम कर रहे हैं: सूत्र

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सूत्रों ने बताया कि दोनों देश महत्वपूर्ण सैन्य प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए विशिष्ट रूपरेखा पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारों के बीच रूपरेखा से जवाबदेही, बौद्धिक संपदा अधिकार और औद्योगिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर स्पष्टता आएगी।

नयी दिल्ली। भारत और अमेरिका महत्वपूर्ण सैन्य प्रौद्योगिकी और गोपनीय सूचनाएं साझा करने की रूपरेखा पर काम कर रहे हैं ताकि अमेरिकी रक्षा कंपनियां संयुक्त उपक्रम के तहत भारतीय निजी क्षेत्र को ये प्रौद्योगिकी हस्तांरित कर सकें। यह जानकारी ऑटोमोबाइल क्षेत्र के सूत्रों ने दी। रूपरेखा में विशिष्ट उपायों का जिक्र होगा ताकि भारतीय कंपनियों के साथ साझा की गई संवेदनशील प्रौद्योगिकी और गोपनीय सूचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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सूत्रों ने बताया कि दोनों देश महत्वपूर्ण सैन्य प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए विशिष्ट रूपरेखा पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारों के बीच रूपरेखा से जवाबदेही, बौद्धिक संपदा अधिकार और औद्योगिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर स्पष्टता आएगी। अमेरिकी रक्षा उद्योग निजी क्षेत्र की भारतीय रक्षा कंपनियों के साथ सैन्य हार्डवेयर एवं प्लेटफॉर्म के लिए इस तरह के समझौते की रूपरेखा चाहता है।

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अमेरिका की बड़ी रक्षा कंपनियां बोइंग और लॉकहीड मार्टिन भारत के साथअरबों डॉलर के समझौते पर नजरें गड़ाए हुई हैं और भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम में कुछ महत्वपूर्ण सैन्य प्लेटफॉर्म का भारत में ही निर्माण करने की पेशकश की है। लॉकहीड मार्टिन ने पिछले महीने भारत को नवीनतम लड़ाकू विमान एफ- 21 बनाने की पेशकश की थी। अमेरिकी रक्षा कंपनी ने यह भी कहा कि अगर भारत 114 विमानों के ऑर्डर देता है तो वह किसी अन्य देश को यह विमान नहीं बेचेगी। भारत अमेरिका व्यवसाय परिषद् भी भारतीय कंपनियों के साथ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए रूपरेखा बनाने का दबाव बना रही है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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