अब भारतीय यात्रियों का अमेरिका में प्रवेश होगा आसान
अमेरिका जाने वाले भारतीय यात्रियों को अब वहां पहुंचने के बाद प्रवेश को लेकर कोई समस्या नहीं होगी। इसका कारण भारत का अमेरिकी पहल वाले कार्यक्रम में औपचारिक रूप से शामिल होना है।
वाशिंगटन। अमेरिका जाने वाले भारतीय यात्रियों को अब वहां पहुंचने के बाद प्रवेश को लेकर कोई समस्या नहीं होगी और आसानी से यहां प्रवेश कर सकेंगे। इसका कारण भारत का अमेरिकी पहल वाले कार्यक्रम में औपचारिक रूप से शामिल होना है। हालांकि इसमें वही यात्री शामिल होंगे जिनको लेकर कोई संदेह नहीं है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के इंटरनेशनल एक्सीपेडेट ट्रैवलर इनीशिएटिव (ग्लोबल एंट्री प्रोग्राम) में प्रवेश का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह भारत और अमेरिकी नागरिकों के बीच व्यापार और शैक्षणिक संबंधों को सुगम बनाएगा।
ट्रम्प और मोदी के बीच बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीयों और भारतीय अमेरिकियों की उद्यमशीलता और नवप्रवर्तन की सराहना की जिससे दोनों देशों को लाभ हुआ। भारत जिस कार्यक्रम से जुड़ा है, स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन उससे पहले से जुड़े हैं। ग्लोबल एंट्री अमेरिकी कस्टम और बोर्ड प्रोटैक्शन (सीबीपी) कार्यक्रम का हिस्सा है जो अमेरिका पहुंचने वाले भारतीयों को यथाशीघ्र प्रवेश की अनुमति देता है। इसका फायदा उन नागरिकों को मिलेगा जिनको लेकर कोई संदेह नहीं है।
चुनिंदा हवाई अड्डों पर पहुंचने के बाद कार्यक्रम से जुड़े सदस्यों को आव्रजन अधिकारियों द्वारा आव्रजन मंजूरी के लिये कतार में लगने के बजाए 'आटोमेटिक कियोस्क' के उपयोग की अनुमति होगी और वे उसके जरिये अमेरिका में प्रवेश कर सकेंगे। हवाई अड्डों पर सदस्य 'ग्लोबल एंट्री कियोस्क' पर पहुंचेंगे और अपना मशीन द्वारा पढ़ने योग्य पासपोर्ट या अमेरिका स्थायी निवासी कार्ड पेश करेंगे, अंगुली निशान के सत्यापन के लिये कियोस्क पर अंगुली लगाएंगे और कस्टम प्रक्रिया पूरी करेंगे। उसके बाद कियोस्क यात्री को रसीद जारी करेगा और सामान के दावे तथा और बाहर निकलने का निर्देश देगा। सीबीपी की वेबसाइट के अनुसार इसके लिये यात्रियों को वैश्विक प्रवेश कार्यक्रम के लिये पहले से मंजूरी ली होनी चाहिए। सभी आवेदनकर्ताओं को इसमें नाम दर्ज कराने के लिये कठिन जांच प्रक्रिया और साक्षात्कार से गुजरना होगा।
हालांकि इसके अनुसार ग्लोबल एंट्री का लक्ष्य यात्रियों के अमेरिका प्रवेश को आसान बनाना है, लेकिन इसके बावजूद संबंधित सदस्यों से आगे की पूछताछ की जा सकती है। इस सुविधा के लिये जिन हवाई अड्डों का चयन किया गया है, उसमें न्यूयार्क, नेवार्क, वाशिंगटन, आस्टिन, डल्लास, हयूस्टन, बोस्टन, शिकागो, सैन फ्रांसिस्को, लॉस एंजिलिस, लास वेगास, मियामी और सिएटल शामिल हैं। अमेरिकी हवाई अड्डों के अलावा, आयरलैंड में डबलिन, कनाडा में वैंकुवर और टोरोंटो तथा अबू धाबी भी सूची में शामिल है। यात्री इन हवाई अड्डों पर अमेरिकी आव्रजन मंजूरी ले सकते हैं और वह अमेरिका की यात्रा वैसे ही कर सकते हैं जैसा कि घरेलू यात्रा करते हैं।
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