जमात ने बांग्लादेश में हड़ताल का आह्वान किया
बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात ए इस्लामी ने अपने प्रमुख मोतिउर रहमान निजामी को फांसी पर लटकाए जाने के विरोध में राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का आह्वान किया है।
ढाका। बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात ए इस्लामी ने अपने प्रमुख मोतिउर रहमान निजामी को फांसी पर लटकाए जाने के विरोध में राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का आह्वान किया है। निजामी सबसे वरिष्ठ इस्लामी नेता है जिसे 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए युद्ध अपराधों के लिए बीती रात फांसी पर लटका दिया गया। जमात पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता के खिलाफ थी। इसने एक बयान जारी कर 73 वर्षीय निजामी की फांसी को एक ‘‘नियोजित हत्या’’ करार दिया और बृहस्पतिवार को सुबह पांच बजे से शुक्रवार को सुबह पांच बजे तक 24 घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। जमात के कार्यवाहक प्रमुख मकबूल अहमद ने लोगों से हड़ताल करने का आग्रह करते हुए एक बयान में कहा, ‘‘उसे :निजामी: न्याय से वंचित किया गया। वह राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बना।’’ युद्ध अपराधों में अपने नेताओं पर मुकदमे के खिलाफ जमात द्वारा पूर्व में आहूत की गई इस तरह की हड़तालों को लोगों ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निजामी की समीक्षा याचिका खारिज किए जाने और उसकी मौत की सजा की पुन: पुष्टि किए जाने के एक दिन बाद गत छह मई को भी राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी। ढाका सेंट्रल जेल के अधिकारियों के पास सुप्रीम कोर्ट का फैसला पहुंचने के एक दिन बाद निमाजी को बीती रात फांसी पर चढ़ा दिया गया।
बांग्लादेश के गृहमंत्री असदुज्जमां खान ने कहा कि निजामी ने फांसी से बचने के अंतिम प्रयास के तहत राष्ट्रपति से क्षमादान नहीं मांगा ‘‘क्योंकि वह जानता था कि उसके द्वारा किए गए अपराध अक्षम्य हैं।’’ निजामी को इस्लामी रिवाजों के हिसाब से सुबह उत्तर पश्चिमी पाब्ना के साथिया उप जिले में स्थित उसके पैतृक गांव में उसके परिजनों और पड़ोसियों की मौजूदगी में दफना दिया गया। इस दौरान सशस्त्र पुलिस ने कड़ी निगरानी रखी। पुलिस वाहनों के सुरक्षा घेरे में एक एंबुलेंस उसके शव को लेकर सीधे साथिया पहुंची। हालांकि क्षेत्र के 1971 के युद्ध पीड़ितों और स्वतंत्रता सेनानियों ने पूर्व में उसके शव को वहां दफनाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। स्थानीय प्रशासन के समझाने-बुझाने पर स्वतंत्रता सेनानियों और अत्याचार पीड़ितों ने निजामी के गांव जाने वाले राजमार्ग की घेराबंदी करने का अपना कार्यक्रम वापस ले लिया, जबकि कई समूहों ने पूर्व में मांग की कि उसके शव को पाकिस्तान भेज दिया जाए। टेलीविजन पर दिखाया गया कि ढाका के शाहबाग चौक पर गणजागरण मंच के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने निजामी की फांसी का जश्न मनाया। युद्ध अपराधियों को सजा दिलाने के लिए एक बड़ा अभियान चलाने में इस मंच की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। मंच के प्रवक्ता इमरान एच सरकार ने एक रैली में कहा, ‘‘यह वर्तमान पीढ़ी के लिए शक्ति के स्रोत के रूप में काम करेगा और यह संदेश देगा कि 45 साल बाद भी हमने दोषियों को नहीं बख्शा।''
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने युद्ध अपराधों के मामले में निजामी को 29 अक्तूबर 2014 को मौत की सजा सुनाई थी। वह मुक्ति संग्राम के दौरान कुख्यात अल बद्र मिलिशिया का प्रमुख था जिसमें जमात के लोग शामिल थे। इस मिलिशिया को 16 दिसंबर 1971 को मुक्ति संग्राम में जीत से ठीक पहले बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों का संहार कर देने का दोषी माना जाता है। न्यायाधिकरण ने निजामी को दोषी ठहराते हुए अपने फैसले में कहा था, ‘‘उसे मौत की सजा नहीं दी जाती तो यह न्याय की विफलता होगी।’’ डेली स्टार ने मुख्य पृष्ठ पर कहा, ‘‘निजामी ने जल्द ही बनने वाले बांग्लादेश को बौद्धिक रूप से अपाहिज करने के लिए अपने मिलीशिया को छूट दे दी थी।’’ प्रमुख बांग्ला दैनिक ‘समोकल’ ने एक विशेष मुख्य पृष्ठ निकालकर ‘‘इतिहास किसी को माफ नहीं करता’’ शीषर्क से टिप्पणी प्रकाशित की है। पूर्व प्रधनमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी नीत चार दलों की गठबंधन सरकार में मंत्री रहे निजामी 2010 से जेल में थे ।उन्हें अपने खुद के ही गांव में 450 से अधिक लोगों की हत्या का दोषी पाया गया था।
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