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अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बने जो बाइडन, कमला हैरिस ने ली उपराष्ट्रपति पद की शपथ
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 20, 2021 22:32
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हैरिस (56) पहली महिला, पहली अश्वेत और पहली दक्षिण एशियाई अमेरिकी उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रचेंगी। वह पहली भारतवंशी हैं, जो अमेरिका के दूसरे सबसे ताकतवर पद पर होंगी।
अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन ने शपथ ले ली है। इसके अलावा कमला हैरिस ने उपराष्ट्रपति पद का शपथ लिया। कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति होंगी। हैरिस (56) पहली महिला, पहली अश्वेत और पहली दक्षिण एशियाई अमेरिकी उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रचेंगी। वह पहली भारतवंशी हैं, जो अमेरिका के दूसरे सबसे ताकतवर पद पर होंगी। बाइडन 1973 में डेलावेयर से सबसे युवा सीनेटर के तौर पर निर्वाचित हुए थे। वह सार्वजनिक जीवन में करीब पांच दशक बिता चुके हैं। डेमोक्रेटिक नेता बाइडन को प्रधान न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने कैपिटल बिल्डिंग के ‘वेस्ट फ्रंट’ में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी।
United States: Joe Biden sworn-in 46th President of the United States of America. pic.twitter.com/FHlqyzZpG3
— ANI (@ANI) January 20, 2021
बाइडन ने अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति, कमला हैरिस ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली
जो बाइडन ने बुधवार को अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति और कमला हैरिस ने पहली महिला उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों को रोकने के लिए कैपिटल बिल्डिंग (संसद भवन) के आसपास हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। डेमोक्रेटिक नेता बाइडन (78) को प्रधान न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने कैपिटल बिल्डिंग के ‘वेस्ट फ्रंट’ में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। इस बार समारोह में कम लोगों को आमंत्रित किया गया है और नेशनल गार्ड के 25,000 से अधिक जवान सुरक्षा में तैनात हैं। डोनाल्ड ट्रंप, बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए और अंतिम बार राष्ट्रपति के तौर पर व्हाइट हाउस से विदा लेते हुए विमान से फ्लोरिडा स्थित अपने स्थायी आवास ‘मार-आ-लागो एस्टेट’ के लिए रवाना हो गए। निवर्तमान उपराष्ट्रपति माइक पेंस समारोह में शामिल हुए हैं। अमेरिका इतिहास में सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बाइडन ने अपने परिवार की 127 साल पुरानी बाइबिल पर हाथ रखकर पद और गोपनीयता की शपथ ली। इसी बाइबिल पर हाथ रखकर उन्होंने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।
बाइडन के शपथ लेने से पहले भारतीय मूल की कमला हैरिस ने ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह के दौरान अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। हैरिस अमेरिका की 49वीं उपराष्ट्रपति हैं। भारत के चेन्नई निवासी प्रवासी भारतीय की बेटी हैरिस (56) ने अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है। वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली अश्वेत एवं पहली एशियाई अमेरिकी भी हैं। उनके पति 56 वर्षीय डगलस एमहोफ इसके साथ ही अमेरिका के पहले ‘सेकेंड जेंटलमैन’, अमेरिकी उपराष्ट्रपति के पहले पुरुष जीवनसाथी बन गए हैं। उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति सोनिया सोटोमेयर ने हैरिस को शपथ दिलाई। समारोह में पूर्व राष्ट्रपति-बराक ओबामा, जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बिल क्लिंटन भी शामिल हुए। पूर्व प्रथम महिला-मिशेल ओबामा, लौरा बुश और हिलेरी क्लिंटन भी मौजूद थीं।"Ready to serve," tweets Kamala Harris after becoming the first female Vice President of USA. https://t.co/objVIwx681 pic.twitter.com/YFSqoGyUz3
— ANI (@ANI) January 20, 2021
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पहले भाषण में कहा, लोकतंत्र की जीत हुई हैToday, we mark the swearing-in of the first woman in American history elected to national office, Vice President Kamala Harris. Don't tell me things can't change: US President Joe Biden pic.twitter.com/NSbToK75uh
— ANI (@ANI) January 20, 2021
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को शपथ ग्रहण करने के बाद अपने पहले भाषण में कहा कि लोकतंत्र की जीत हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘आज का दिन अमेरिका का है। यह लोकतंत्र का दिन है। यह इतिहास और आशा का दिन है।’’ बाइडन ने कहा, ‘‘आज हम एक उम्मीदवार की जीत का नहीं, बल्कि एक उद्देश्य की, लोकतंत्र के उद्देश्य की जीत का उत्सव मना रहे हैं।’’ देश के नए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जनता की इच्छाओं को सुना और समझा गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘श्वेतों को श्रेष्ठ मानने की मानसिकता, घरेलू आतंकवाद को हराएंगे। मैं चाहता हूं कि प्रत्येक अमेरिकी हमारी इस लड़ाई में शामिल हो।
US: Kamala Harris sworn-in as the first female Vice President of the United States of America. pic.twitter.com/fYEcCd5oD4
— ANI (@ANI) January 20, 2021
म्यांमा में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करना सभी हितधारकों की प्राथमिकता होनी चाहिए: भारत
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 27, 2021 14:55
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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने म्यांमा की स्थिति पर महासभा की अनौपचारिक बैठक में शुक्रवार को उक्त टिप्पणी की। म्यांमा में इस महीने के शुरू में सेना ने तख्तापलट कर दिया था।
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कहा कि म्यांमा में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करना सभी हितधारकों की प्राथमिकता होनी चाहिए और हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा किया जाना चाहिए। साथ में उसने दक्षिण पूर्व एशियाई देश के नेतृत्व से शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से अपने मतभेदों को हल करने के लिए मिलजुलकर काम करने का आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने म्यांमा की स्थिति पर महासभा की अनौपचारिक बैठक में शुक्रवार को उक्त टिप्पणी की। म्यांमा में इस महीने के शुरू में सेना ने तख्तापलट कर दिया था।
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उन्होंने कहा, “भारत म्यांमा के साथ जमीन और समुद्री सीमा साझा करता है और उसका शांति और स्थिरता बनाए रखने में सीधा हित है। इसलिए म्यांमा के हालिया घटनाक्रम पर भारत करीब से निगाह रख रहा है। हम इस बात पर चिंतित हैं कि लोकतंत्र की दिशा में म्यांमा में पिछले दशकों में हासिल की गई बढ़त को कमतर नहीं किया जाना चाहिए।“ तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत का मानना है कि कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखा जाना चाहिए, हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किया जाना चाहिए तथा शांति कायम रहनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम म्यांमा के नेतृत्व से आह्वान करते हैं कि वे अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से सुलझाने के लिए मिलकर काम करें। एक फरवरी को सेना ने म्यांमा की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर दिया था और सत्ता अपने हाथ में ले ली थी। इसी के साथ स्टेट काउंसलर आंग सांग सू ची, राष्ट्रपति यू विन मिन्त और अन्य शीर्ष राजनीतिक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था। तिरुमूर्ति ने कहा, लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करना म्यांमा में सभी हितधारकों की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस महत्वपूर्ण मोड़ पर म्यांमा के लोगों को अपना रचनात्मक समर्थन देना चाहिए। इस बीच संयुक्त राष्ट्र में म्यांमा के राजदूत ने देश की सेना की अवहेलना करते हुए शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा से सैन्य तख्तापलट को खत्म करने में मदद के लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की गुहार लगाई। के एम तुन बेदखल कर दी गई असैन्य सरकार के प्रति वफादार रहे। उन्होंने कहा कि वह एनएलडी नीत असैन्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। तुन ने तख्तापलट की निंदा की और सभी सदस्य राष्ट्रों और संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि वे सैन्य तख्तापलट की निंदा करें और सैन्य शासन को किसी भी माध्यम से मान्यता न दें।
उन्होंने तीन उंगलियों से सलाम किया जो सैन्य शासन के खिलाफ म्यांमा में प्रदर्शनकारी कर रहे है और कहा, “ हम उस सरकार के लिए लड़ाई जारी रखेंगे जो जनता की, जनता द्वारा और जनता के लिए हो।“ म्यांमा पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत क्रिस्टीन एस बर्गनर ने महासभा से सामूहिक रूप से म्यांमा में लोकतंत्र के समर्थन में एक स्पष्ट संकेत भेजने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “इस समय, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को किनारे कर दिया गया है और स्टेट काउंसेलर तथा संघीय गणराज्य के राष्ट्रपति सहित निर्वाचित नेताओं को हिरासत में रखा गया है।“
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म्यांमा के रखाइन राज्य में विस्थापित लोगों के मुद्दे पर अपने संबोधन में तिरूमूर्ति ने कहा कि विस्थापित लोगों की देश वापसी के मुद्दे को हल करने में भारत का सबसे ज्यादा हित है, क्योंकि वह एकमात्र ऐसा देश है जिसकी बांग्लादेश और म्यांमा, दोनों के साथ एक लंबी सरहद है।
सीरिया हवाई हमले पर सामने आया व्हाइट हाउस का बयान, अमेरिकी कर्मियों को लेकर कही यह अहम बात
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 27, 2021 14:46
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व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि वह अमेरिकियों के हितों की रक्षा करने के लिए कदम उठाने जा रहे हैं और जब खतरा होगा तो वह सही समय पर अपने हिसाब से कदम उठाएंगे।’’
वाशिंगटन। व्हाइट हाउस ने कहा है कि सीरिया में हवाई हमले कर राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिकी कर्मियों एवं ठिकानों की रक्षा की तथा ‘आने वाले हफ्तों में’ सभांवित और हमलों के खतरों को टाला है। उल्लेखनीय है कि बृहस्पतिवार को अमेरिका ने हवाई हमले में ताकतवर ईरान समर्थित इराकी सैन्य समूहों के सीरिया स्थित ठिकानों को निशाना बनाया जिसमें एक लड़ाके के मारे जाने एवं कई के घायल होने की खबर है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ राष्ट्रपति स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि वह अमेरिकियों के हितों की रक्षा करने के लिए कदम उठाने जा रहे हैं और जब खतरा होगा तो वह सही समय पर अपने हिसाब से कदम उठाएंगे।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘वह (बाइडेन) इन कदमों को विचारशील तरीके से उठाएंगे और इसका उद्देश्य सीरिया और इराक के बीच तनाव कम करना है।’’ इस हवाई हमले के, ईरान के साथ दोबारा शुरू होने वाली वार्ता पर पड़ने वाले असर के बारे में पूछे जाने पर साकी ने कहा कि इस समय स्थिति यह है कि अमेरिका इन कूटनीतिक वार्ताओं के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि इस समय यूरोप ने आमंत्रण दिया है और ‘हम जवाब का इंतजार कर रहे हैं।’’ सीरिया पर हवाई हमले की वैधानिकता के सवाल पर साकी ने कहा कि यह घरेलू कानून का मामला है जिसके तहत राष्ट्रपति अमेरिकी कर्मियों की रक्षा के लिए ऐसा कदम उठा सकते हैं।
सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पत्रकार खशोगी की हत्या की दी थी मंजूरी: अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 27, 2021 11:38
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राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय कार्यालय ने रिपोर्ट में कहा कि मोहम्मद बिन सलमान ने शायद ऐसा माहौल बनाया जिसमें उनके सहयोगियों में इस बात का डर पैदा हुआ कि सौंपा गया काम पूरा नहीं करने पर उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है या उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है।
वाशिंगटन। अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सऊदी अरब के वलीअहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान ने इस्तांबुल में पत्रकार जमाल खशोगी को पकड़ने या मारने के एक अभियान को मंजूरी दी थी। खशोगी की दो अक्टूबर 2018 को तुर्की के इस्तांबुल शहर में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी। वह अमेरिका के वैध स्थायी निवासी थे और वाशिंगटन पोस्ट अखबार में लेख लिखते थे और वलीअहद की नीतिओं के कटु आलोचक थे।
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राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय कार्यालय (ओडीएनआई) ने रिपोर्ट में कहा कि मोहम्मद बिन सलमान ने शायद ऐसा माहौल बनाया जिसमें उनके सहयोगियों में इस बात का डर पैदा हुआ कि सौंपा गया काम पूरा नहीं करने पर उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है या उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस बात की संभावना नहीं है कि उनके सहयोगी वहलीअहद के आदेश पर सवाल कर सकते थे या फिर संवेदनशील अभियान बिना उनकी मंजूरी के चला सकते थे। यह रिपोर्ट 11 फरवरी की है और रिपोर्ट के एक हिस्से को गोपनीयता के दायरे से बाहर किया गया है जिसे शुक्रवार को कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में दाखिल किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, हमारा आकलन है कि सऊदी अरब के वलीअहदमोहम्मद बिन सलमान ने तुर्की के इस्तांबुल में सऊदी पत्रकार खशोगी को पकड़ने या मारने के अभियान को मंजूरी दी थी। ओडीएनआई ने कहा कि उसका आकलन इस पर आधारित है कि सऊदी अरब में मोहम्मद बिन सलमान के बिना फैसले नहीं होते हैं और अभियान में उनके प्रमुख सलाहकार और उनके सुरक्षा दस्ते के एक सदस्य की सीधी संलिप्तता है।
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रिपोर्ट कहती है, 2017 से वलीअहद का देश की सुरक्षा एवं खुफिया संगठनों पर पूर्ण नियंत्रण है। इस बात की संभावना नहीं है कि सऊदी अधिकारी इस प्रकृति का अभियान बिना वलीअहद की इजाजत के चलाएं। कांग्रेस को रिपोर्ट मिलने के कुछ देर बाद, अमेरिका विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने खशोगी प्रतिबंध की घोषणा की, जिसमें सऊदी अरब के 76 ऐसे व्यक्तियों पर वीजा प्रतिबंध लगाए गए हैं जिनके बारे में माना जाता है कि वे विदेशों में असहमति के स्वरों को डराने-धमकाने में शामिल हैं। यह सिर्फ खशोगी हत्याकांड तक सीमित नहीं है।

