पेशावर स्कूल हमले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने पाक सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जांच रिपोर्ट

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पाक आर्मी पब्लिक स्कूल परिसर में 16 दिसंबर 2014 को घुस कर कम से कम 150 लोगों की हत्या कर दी थी, जिनमें ज्यादातर स्कूली छात्र थे।जांच की3,000 पृष्ठों की रिपोर्ट में 132 लोगों के बयान हैं, जिनमें मारे गये स्कूली बच्चों के माता-पिता और पुलिस एवं सेना के अधिकारियों के बयान भी शामिल हैं।

पेशावर। पेशावर के एक स्कूल में 2014 में हुए हमले की जांच के लिये गठित न्यायिक आयोग ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट पाकिस्तानी उच्चतम न्यायालय को सौंप दी। इस हमले में करीब 150 लोग मारे गये थे, जिनमें ज्यादातार बच्चे थे। तालिबान आतंकवादियों ने पेशावर में सेना द्वारा संचालित आर्मी पब्लिक स्कूल परिसर में 16 दिसंबर 2014 को घुस कर कम से कम 150 लोगों की हत्या कर दी थी, जिनमें ज्यादातर स्कूली छात्र थे। हमले की न्यायिक आयोग द्वारा जांच की इस 3,000 पृष्ठों की रिपोर्ट में 132 लोगों के बयान हैं, जिनमें मारे गये स्कूली बच्चों के माता-पिता और पुलिस एवं सेना के अधिकारियों के बयान भी शामिल हैं। रिपोर्ट पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश को सौंपी गई है। जांच आयोग का नेतृत्व पेशावर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश इश्तियाक इब्राहिम खान कर रहे थे। अक्टूबर 2018 में शीर्ष न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश सादिक निसार ने न्यायमूर्ति खान के नेतृत्व वाली एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। हमले में मारे गये बच्चों के माता-पिता द्वारा नरसंहार की एक उच्च स्तरीय जांच कराये जाने की मांग किये जाने पर आयोग का गठन किया गया था। डॉन अखबार की खबर के मुताबिक आयोग ने 19 अक्टूबर 2018 से अपना काम शुरू कर दिया।

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आयोग के प्रवक्ता इमरानुल्ला खान ने संवाददाताओं से कहा कि जांच आयोग ने 132 लोगों के बयान दर्ज किये हैं जिनमें 31 लोग पुलिस एवं सेना के अधिकारी हैं तथा शेष गवाहों में घायल छात्र एवं हमले में कारे गये बच्चों के माता-पिता शामिल हैं। आयोग को शुरूआत में जांच के लिये शीर्ष न्यायालय ने छह हफ्ते का वक्त दिया था लेकिन बाद में उसे और वक्त दे दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि मारे गये बच्चों के माता-पिता ने इस बात पर हैरानी जताई है कि आगाह किये जाने के बाद भी सुरक्षा के उपयुक्त इंतजाम क्यों नहीं किये गये थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी प्राधिकरण ने प्रांतीय एवं संघीय प्राधिकारियों को 28 अगस्त 2014 को इस बारे में सूचना दी थी कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आर्मी पब्लिक स्कूल तथा पाकिस्तानी सेना द्वारा संचालित अन्य शैक्षणिक संस्थानों पर हमला कर सकता है। टीटीपी कमांडर उमर मंसूर ने इस नृशंस हमले की जिम्मेदारी ली थी। बाद में, अमेरिकी सरकार और पाकिस्तानी थल सेना ने इस बात की पुष्टि की कि वह नौ जुलाई 2016 को अफगानिस्तान में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया है। सेना द्वारा संचालित इस स्कूल में हमले में संलिप्तता को लेकर दिसंबर 2015 में पाकिस्तान ने चार लोगों को फांसी की सजा दी थी। उन्हें एक सैन्य अदालत ने दोषी ठहराया था और उनकी मौत की सजा की पुष्टि तत्कालीन थल सेना प्रमुख जनरल रहील शरीफ ने की थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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