करतारपुर गलियारा: वाघा बॉर्डर पर भारत-पाक अधिकारियों की बैठक जारी, कई मुद्दों पर होगी चर्चा

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भारत और पाकिस्तान के अधिकारी करतारपुर गलियारे की कार्य प्रणालियों और इससे संबंधित तकनीकी मामलों को अंतिम रूप देने के लिए मसौदा समझौते पर चर्चा करने के मकसद से रविवार को वाघा में मुलाकात करेंगे। यह गलियारा सिख श्रद्धालुओं के लिए गुरदासपुर जिला स्थित डेरा बाबा नानक साहिब से पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरूद्वारा दरबार साहिब तक जाना सुगम बनाएगा।

लाहौर। भारत और पाकिस्तान के अधिकारी करतारपुर गलियारे की कार्य प्रणालियों और इससे संबंधित तकनीकी मामलों को अंतिम रूप देने के लिए मसौदा समझौते पर चर्चा करने के मकसद से रविवार को वाघा में मुलाकात करेंगे। यह गलियारा सिख श्रद्धालुओं के लिए गुरदासपुर जिला स्थित डेरा बाबा नानक साहिब से पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरूद्वारा दरबार साहिब तक जाना सुगम बनाएगा। वे इस गलियारे के माध्यम से बिना वीजा के आ जा सकेंगे। उन्हें करतारपुर साहिब जाने के लिए केवल एक परमिट लेना होगा। करतारपुर साहिब को सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव ने 1522 में स्थापित किया था।

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विदेश कार्यालय ने कहा है कि पाकिस्तान इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गलियारे को नवंबर 2019 में गुरू नानक देव की 550 वीं जयंती से पहले चालू किया जा सके। नयी दिल्ली में सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में ‘‘जीरो प्वाइंट’’ पर संपर्क और यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि भारत बैठक में सुरक्षा पहलुओं से जुड़ी अपनी चिंताओं को भी उठाएगा। भारत ने इससे पहले इस परियोजना पर पाकिस्तान द्वारा नियुक्त समिति में एक प्रमुख खालिस्तानी अलगाववादी की मौजूदगी पर अपनी चिंताओं से पाकिस्तान को अवगत कराया था। 

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बैठक में करतारपुर गलियारे के स्वरूप और संबद्ध तकनीकी मुद्दों पर चर्चा होगी। ऐतिहासिक गलियारे की कार्यप्रणालियों को अंतिम रूप देने के लिए पाकिस्तान और भारत के बीच पहली बैठक मार्च में अटारी में ऐसे समय में हुई थी जब दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति थी। पुलवामा में 14 फरवरी को हुए जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था।गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में भारत और पाकिस्तान इस गलियारे के निर्माण के लिए सहमत हुए थे। गुरदासपुर जिले में 26 नवंबर को और इसके दो दिन बाद पाकिस्तान के नारोवाल (लाहौर से 125 किमी दूर) में इस गलियारे की आधारशिला रखी गई थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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