कश्मीरियों को मूल अधिकारों से वंचित रखना अन्याय: पाक
संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कहा है कि कश्मीरियों को मौलिक मानवाधिकारों से वंचित रखा जाना एक ‘अन्याय’ है।
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान ने कहा है कि कश्मीरियों को मौलिक मानवाधिकारों से वंचित रखा जाना एक ‘अन्याय’ है और लंबे समय से चले आ रहे विवादों को निपटाने में विफलता को वैश्विक संस्था की ओर से ‘दोहरे मापदंड’ अपनाए जाने के रूप में देखा जाएगा। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने शांति एवं सुरक्षा के मुद्दे पर महासभा की बहस में कहा कि यह वैश्विक समुदाय का कर्तव्य है कि वह मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर अमल सुनिश्चित करवाए।
राजदूत ने कहा कि देशों की संप्रभु समानता, अंतरराष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण तरीकों से निपटान और बल प्रयोग करने या उसकी धमकी देने से बचना संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित मूल सिद्धांतों में शामिल हैं। उन्होंने कहा, कि हालांकि ‘‘यदि संयुक्त राष्ट्र सैन्य उग्रता या विदेशी हस्तक्षेपों, विदेशी कब्जों के कारण पैदा स्थितियों की अनदेखी करना और अपने कब्जे वाले क्षेत्रों के निवासियों के स्वनिर्धारण के अधिकार को देने से इंकार करना और लंबे समय से चले आ रहे विवादों के निपटान में विफल होना जारी रखता है तो ऐसा माना जाएगा कि संयुक्त राष्ट्र दोहरे मापदंड अपनाता है।’’
राजदूत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का गठन ‘‘इन अन्यायों को रोकने के उद्देश्य के साथ किया गया था। वैसे ही अन्याय, जैसे कि फिलस्तीन और कश्मीर के लोगों को मौलिक अधिकार न देकर किए जाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह हमारा साझा और अहम कर्तव्य नहीं है कि हम इस संस्था के विभिन्न प्रस्तावों के जरिए उनसे किए गए वादों को निभाएं। जब इस संस्था के अपने ही आदेशों की अवज्ञा की जाती है तो फिर यह संस्था सम्मान की उम्मीद कैसे कर सकती है?’’
लोधी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को थोड़ा आत्मचिंतन करना चाहिए कि आखिर सुरक्षा परिषद कानूनी विवादों को अंतराष्ट्रीय न्यायालय में भेजने से ‘बचता’ क्यों है। उन्होंने कहा, ‘‘और यदि हमारे पास व्यावहारिक राजनीति के आदेशों के अलावा इन सवालों के विश्वसनीय जवाब नहीं हैं तो दुनिया संयुक्त राष्ट्र को चंद ताकतवर देशों के हाथ के राजनीतिक औजार से ज्यादा कुछ मानकर नहीं देखेगी। इस तरह का प्रभाव बमुश्किल ही विश्वास पैदा कर पाएगा।’’ पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर बार-बार कश्मीर का मुद्दा उठाया है। लेकिन भारत ने मजबूती के साथ इस बात पर जोर दिया है कि पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर कश्मीर का उल्लेख किया जाना अवांछित है और यह उसके आंतरिक मामलों में स्पष्ट दखल है।
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