NASA 2024 में चांद पर भेजेगा इंसान, मिशन की देखरेख कर रहीं सुभाषिनी अय्यर
बता दें कि नासा ने दो मिशन की घोषणा की है, जिसमें चांद की सतह को समझा जाएगा। जिस परियोजना में अय्यर काम कर रही है वह इसी मिशन का हिस्सा है। इस मिशन में उड़ान भरने वाली रॉकेट बिना किसी क्रू के होगी जोकि सीधा जो एसएलएस रॉकेट और ओरियोन स्पेसक्राफ्ट को चांद तक ले जाएगी।
भारत में जन्मी सुभाषिनी अय्यर नासा की महत्वपूर्ण परियोजना आर्टेमिस के रॉकेट के मुख्य चरण की देखरेख कर रही हैं, जो एक अंतरिक्ष यान को गहरे अंतरिक्ष में भेजने के लिए पूरी तरह तैयार है। कोयंबटूर में पैदा हुई अय्यर करीब दो साल से स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) से जुड़ी हुई हैं।
अय्यर, जो 1992 में अपने कॉलेज, वीएलबी जानकीअम्मल कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पहली महिला ग्रेजुएट में से एक थीं, ने टीओआई को बताया कि, इंसानों के आखिरी बार चांद पर कदम रखने के 50 साल बाद संगठन इंसानों को चांद पर और उससे आगे ले जाने के लिए बिल्कुल तैयार है। बता दें कि अय्यर आर्टेमिस पर काम कर रही हैं जोकि अंतरिक्ष यान, ओरियन को अंतरिक्ष में ले जाएगा, जिसको स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) कहते है। इस SLS का चरण अप्रैल के अंत में फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में पहुंच चुका है। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक एक साक्षात्कार में, अय्यर ने कहा कि एसएलएस दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है और रॉकेट के मुख्य चरण के निर्माण के लिए जिम्मेदार है जिसमें प्रणोदन और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम शामिल हैं।
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जानकारी के मुताबिक,इस रॉकेट को लगभग 500 सेकंड के लिए संचालित करने और टूटने से पहले 530,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें अय्यर का रोल किसी भी पोस्ट-प्रोडक्शन समर्थन की देखरेख करना शामिल है, जिसे नासा को कोर स्टेज के निर्माण और संगठन को सौंपने के बाद होता है।
बता दें कि नासा ने दो मिशन की घोषणा की है, जिसमें चांद की सतह को समझा जाएगा। जिस परियोजना में अय्यर काम कर रही है वह इसी मिशन का हिस्सा है। इस मिशन में उड़ान भरने वाली रॉकेट बिना किसी क्रू के होगी जोकि सीधा जो एसएलएस रॉकेट और ओरियोन स्पेसक्राफ्ट को चांद तक ले जाएगी। इस मिशन के तहत एसएलएस रॉकेट और ओरियोन स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष यात्रियों को चांद तक लेकर जाएगी। इसमें चांद की सतह पर खोज और टेक्नोलॉजी का परिक्षण करेगी।
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