अमेरिकी राजनयिक की चेतावनी, नहीं सुधरा चीन तो भारत समेत दुनिया के सभी बड़े देशों से रिश्ते होंगे ख़राब

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अमेरिका के राजनयिक ने कहा कि चीन के ‘बाहुबल नीति से भारत और अन्य देशों के साथ उसके संबंधों पर असर पड़ेगा।पूर्वी एशियाई एंव प्रशांत मामलों के लिए सहायक विदेश मंत्री डेविड स्टिलवेल ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन जो कदम उठा रहा है ‘‘उसका केवल जलडमरूमध्य में ही नहीं, बल्कि उसके पार भी असर होगा’।

वाशिंगटन। अमेरिका के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा है कि चीन की ‘‘बाहुबल’’ की नई नीति का भारत एवं अन्य देशों के साथ उसके संबंधों पर असर पड़ेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया अब अंतत: इस बात को समझ रही है कि चीन ‘‘समस्याग्रस्त’’ शासन के प्रारूप को आगे बढ़ा रहा है। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के स्रोत, व्यापार, हांगकांग में चीनी कार्रवाई और विवादित दक्षिण चीन सागर में आक्रामक सैन्य कदमों के कारण अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है। पूर्वी एशियाई एंव प्रशांत मामलों के लिए सहायक विदेश मंत्री डेविड स्टिलवेल ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन जो कदम उठा रहा है ‘‘उसका केवल जलडमरूमध्य में ही नहीं, बल्कि उसके पार भी असर होगा’’। उन्होंने कहा, ‘‘इससे दक्षिणपूर्वी एशिया में असर पड़ेगा, इसका असर उसके पड़ोसी भारत एवं अन्य देशों पर पड़ेगा। यह नई बाहुबल प्रदर्शन की और आक्रामक नीति रक्षा मंत्री के काम को और मुश्किल बना देगी।’’

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चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंघे ने सप्ताहांत में कहा था कि अमेरिका और चीन की सामरिक तनातनी ‘‘अत्यधिक जोखिम वाले दौर’’ में प्रवेश कर गई है और ‘‘हमें संघर्ष करते रहने की अपनी भावना को मजबूत करना होगा... स्थिरता के लिए इसका उपयोग करना होगा’’। स्टिवेल से इसी बयान के संबंध में सवाल किया गया था, जिसके जवाब में उन्होंने यह टिप्पणी की। स्टिवेल ने कहा कि दुनिया अंतत: इस बात को पहचान रही है कि चीन सरकार के ऐसे प्रारूप को‘‘आगे बढ़ा रहा’’ है जिसे कई लोग समस्याग्रस्त समझने लगे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस का हांगकांग के संबंध में अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे हटने का कदम इस बात को और स्पष्ट तरीके से दर्शाता है।’’ उल्लेखनीय है कि चीन ने हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विवादित विधेयक का मसौदा गत शुक्रवार को अपनी संसद में पेश किया। इसका मकसद पूर्व में ब्रिटेन के उपनिवेश रहे हांगकांग पर नियंत्रण को और मजबूत करना है। उल्लेखनीय है कि एक जुलाई को 1997 में ब्रिटेन ने हांगकांग को ‘एक देश, दो विधान’ के समझौते के साथ चीन को सौंपा था। समझौते की वजह से चीन की मुख्य भूमि के मुकाबले हांगकांग के लोगों को अधिक स्वतंत्रता प्राप्त है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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