मुशर्रफ के खिलाफ अगले हफ्ते फिर से शुरू होगा देशद्रोह का मुकदमा

Musharraf will start again next week for treason trial
[email protected] । Jul 29 2018 4:18PM

मीडिया में आई एक खबर में कहा गया है कि यह इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के लिये भी बड़ी परीक्षा होगी जिसे जल्द ही सरकार बनाने की उम्मीद है।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में एक विशेष अदालत पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के खिलाफ कल से फिर देशद्रोह के मुकदमे की सुनवाई करेगी। मीडिया में आई एक खबर में कहा गया है कि यह इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के लिये भी बड़ी परीक्षा होगी जिसे जल्द ही सरकार बनाने की उम्मीद है। लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) प्रमुख न्यायमूर्ति यावर अली तीन न्यायाधीशों वाले विशेष अधिकरण की अध्यक्षता कर रहे हैं। वह 31 जुलाई से दो अगस्त के बीच तीन दिनों के लिये इस्लामाबाद का दौरा करेंगे।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा कि उनके इस दौरे का उद्देश्य पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मामले की सुनवाई करना है। यह मामला 2013 में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सत्ता में आने के फौरन बाद दर्ज किया गया था। उन पर तीन नवंबर 2007 को आपातकाल लगाने में उनकी कथित भूमिका के लिये मामला दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष को हालांकि अब भी मामले के मुकर्रर होने को लेकर कोई जानकारी नहीं है। इस मामले को इस महीने के शुरू में भी सूचीबद्ध किया गया था लेकिन एलएचसी के सर्वोच्च न्यायाधीश के विदेश दौरे की वजह से इसे रद्द किया गया था।

अखबार ने कहा, ‘‘हम यह भी सुन रहे हैं कि मामले को अगले हफ्ते के लिये तय किया गया है इस गतिविधि के बारे में मुशर्रफ की विधिक टीम के एक सदस्य को भी इसकी जानकारी दी गई है।’’ अब यह देखना होगा कि आने वाली इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार देशद्रोह का मुकदमा या पीएमएल-एन सरकार द्वारा नियुक्त अभियोजक अकरम शेख को कायम रखती है या नहीं। अखबार ने कहा कि पीएमएल-एन के करीबी माने जाने वाले शेख, हो सकता है खुद को इस मामले से अलग कर लें। 

विधि विशेषज्ञों का मानना है कि राजद्रोह का मामला नई सरकार के लिये परीक्षा की तरह होगा क्योंकि नागरिक और सैन्य खींचतान की एक वजह यह थी कि पीएमएल-एन सरकार ने एक पूर्व सैन्य प्रमुख के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई की थी। नवंबर 2007 में इमरान खान ने कहा था कि उनकी पार्टी मुशर्रफ के इस असंवैधानिक कदम के खिलाफ कार्रवाई करेगी। हालांकि हाल में उनकी पार्टी इस मुद्दे पर खामोश ही रही है। 

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