अफगानिस्तान के मसले पर ओआईसी की बैठक फेल, बौखलाए पाकिस्तान ने भारत पर लगाए आरोप

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यूएन में दुनिया के कई संगठन यह कह चुके हैं कि अफगानिस्तान में भुखमरी बिल्कुल पैर पसार रही है और दुनिया ने अगर जल्दी ही अफगानिस्तान की मदद नहीं की तो हालात वहां के लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं।

रविवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉरपोरेशन यानी ओआईसी के विदेश मंत्रियों की मीटिंग हुई। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह मुस्लिम देशों का एक संगठन है, ओआईसी के इस संगठन में कुल 57 मूल्क हैं जो कि इसके सदस्य हैं। अब खबर पर आते हैं, दरअसल पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हो रही इस मीटिंग में 57 में से 16 देशों के ही विदेश मंत्री शामिल हुए थे। बाकी के जो देश हैं, उन्होंने अपने राजदूत या अफसरों को मीटिंग में भाग लेने के लिए भेज दिया था।

 भारत में थे मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्री

 सबसे दिलचस्प बात यह है कि अफगानिस्तान के पड़ोसी पांच सेंट्रल एशियाई मुल्कों  कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री ओआईसी की मीटिंग में जाने के इतर दिल्ली में अफगान समिट मीटिंग में हिस्सा लेने पहुंच गए। सोमवार को इनकी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात भी हुई। इन सब बातों से ही बौखलाया पाकिस्तानी मीडिया का एक तबका भारत पर यह आरोप लगा रहा है कि, उसकी वजह से ओआईसी समिट फेल हो गई।

 पाक मीडिया में है डर, पूरी जानकारी नहीं आ रही बाहर

 पाकिस्तान की मीडिया फौज और पाकिस्तान सरकार के डर से ओआईसी बैठक की पूरी जानकारी देने से कतरा रही है। दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर मौजूद पत्रकार इस समिट को लेकर सरकार को घेर रहे हैं। कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान यह सभी देश ओआईसी के सदस्य देश हैं। लेकिन इन सभी देशों के विदेश मंत्री ओआईसी की इस मीटिंग से गैरहाजिर रहे और नई दिल्ली की इंडिया सेंट्रल एशिया समिट को तरजीह दी।

 क्यों फेल हुई ओवैसी की मीटिंग

 दरअसल पाकिस्तान ने 19 दिसंबर को ओआईसी सदस्य देशों की मीटिंग रखी थी। मीटिंग का एजेंडा था अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को मान्यता और अफगानिस्तानी लोगों की मदद। हुआ यह कि इसी दिन भारत की राजधानी दिल्ली में भी इंडिया सेंट्रल-एशिया का एक समिट हुआ। इसमें अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के 5 विदेश मंत्री शामिल हुए। नई दिल्ली में हो रही इस बैठक का एजेंडा भी अफगानिस्तान था। भारत के विदेश मंत्री, एस जयशंकर ने कहा था कि, सेंट्रल एशिया के पांच देश और भारत अफगानिस्तान की मदद करना चाहते हैं, क्योंकि अफगानिस्तान से हमारे सांस्कृतिक और गहरे रिश्ते हैं।

 यूएन में दुनिया के कई संगठन यह कह चुके हैं कि अफगानिस्तान में भुखमरी बिल्कुल पैर पसार रही है और दुनिया ने अगर जल्दी ही अफगानिस्तान की मदद नहीं की तो हालात वहां के लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। दरअसल पाकिस्तान अफगानिस्तान को लेकर दुनिया की इसी हमदर्दी का फायदा उठाना चाहता है। हर तरफ से घिरे अफगानिस्तान की सीमाएं पाकिस्तान से सटी हैं। जाहिर है अफगानिस्तान को जाने वाली मदद का रास्ता भी पाकिस्तान से होकर ही जाता है। और यही वजह है कि अफगानिस्तान जाने वाली हर मदद को पाकिस्तान अपने जरिये पहुंचाना चाहता है। ताकि अफगानिस्तानी लोगों को यह लगे कि पाकिस्तान अफगानिस्तान का खैरख्वां है, और वह उसकी मदद कर रहा है। यही कारण है कि पाकिस्तान ने भारत से अफगानिस्तान जाने वाली मदद सामग्री पर भी अड़ंगा लगा दिया था।

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