पाब्लो नेरूदा की मौत का रहस्य गहराया, कैंसर या कुपोषण से नहीं हुई थी मौत
नोबेल पुरस्कार विजेता पाब्लो नेरूदा की मौत की जांच कर रहे अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा कि उनकी मौत कैंसर या कुपोषण से मौत नहीं हुई थी जिसके बाद पाब्लो की मौत का रहस्य और गहरा गया है।
सेंटियागो। नोबेल पुरस्कार विजेता पाब्लो नेरूदा की मौत की जांच कर रहे अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा कि उनकी मौत कैंसर या कुपोषण से मौत नहीं हुई थी जिसके बाद पाब्लो की मौत का रहस्य और गहरा गया है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के दल ने इस बात से इनकार किया कि महान कवि की मौत कैंसर या कुपोषण से हुई थी जो उनकी मौत का आधिकारिक कारण बताया जाता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि कवि और कम्युनिस्ट पार्टी के नेता की इन वजहों से मौत नहीं हुई और ना ही उन्होंने इन आशंकाओं के बारे में कुछ कहा कि वर्ष 1973 में देश पर सैन्य कब्जे के बाद तानाशाह जनरल ऑगस्तो पिनोशे के एजेंटों ने उनकी हत्या की थी। पैनल के सदस्यों ने कहा कि वह नेरूदा की मौत की वजह का पता लगाने के लिए पैथोजेनिक बैक्टीरिया की जांच करते रहेंगे जिससे शायद नेरूदा की मौत हुई हो। इससे यह भी पता चल सकेगा कि उनकी मौत में कोई तीसरी पार्टी शामिल थीं या नहीं। चिली में तख्तापलट के बाद प्रोस्टैट कैंसर से जूझ रहे 69 वर्षीय कवि की मौत हो गई थी। उनकी मौत का आधिकारिक कारण कुपोषण या कमजोरी और लंबी बीमारी के कारण कमजोरी बताया गया।
पैनल की एक विशेषज्ञ ऑरेलियो लुना ने कहा, ‘‘मूल निष्कर्ष यह है कि जब मौत की वजह कमजोरी बताई जाती है तो मौत का प्रमाणपत्र अमान्य है। हम पाब्लो नेरूदा की मौत के प्राकृतिक या हिंसक कारण को ना खारिज कर सकते हैं और ना ही उसकी पुष्टि की सकते हैं।’’ नेरूदा की मौत के कारण का पता लगाने के लिए वर्ष 2013 में उनका शव बाहर निकाला गया था लेकिन जांच में उनकी हड्डियों में कोई भी जहरीला पदार्थ नहीं पाया गया। उनके परिवार और ड्राइवर ने आगे जांच करने की मांग की। वर्ष 2015 में चिली सरकार ने कहा कि इस बात की संभावना बहुत अधिक है उनकी मौत में कोई तीसरा पक्ष शामिल हो। नेरूदा के शव को पिछले साल फिर से दफनाया गया।
नेरूदा को उनकी प्रेम कविताओं के लिए जाना जाता है। वह समाजवादी राष्ट्रपति सल्वाडोर आयेंदे के दोस्त थे जिन्होंने 11 सितंबर 1973 को पिनोचेट के नेतृत्व में दक्षिण पंथ के तख्तापलट के दौरान सैनिकों के आगे आत्मसमर्पण करने के बजाय खुद को मार दिया था। नेरूदा को सेना ने काफी प्रताड़नाएं दी। उन्होंने निर्वासित जीवन जीने की योजना बनाई थी। लेकिन उनके निर्वासन में जाने की योजना से एक दिन पहले उन्हें सैंटियागो में एक क्लिनिक में एम्बुलेंस में ले जाया गया जहां उनका कैंसर या अन्य बीमारियों के लिए इलाज किया गया। नेरूदा की 23 सितंबर को मौत हो गई थी। उनकी मौत का कारण प्राकृतिक बताया गया। लेकिन ऐसी आशंकाएं जताई गई कि उनकी मौत में पिनोशे का हाथ था।
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