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26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद संगठन के तीन और नेताओं को 15-15 साल की सजा
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- दिसंबर 4, 2020 19:10
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जेयूडी के वरिष्ठ नेता जफर इकबाल को अब कुल मिलाकर 41 साल जेल में बिताने होंगे। पंजाब पुलिस के आतंकवाद-रोधी विभाग ने सईद समेत जेयूडी नेताओं के खिलाफ विभिन्न शहरों में लगभग 41 मामले दर्ज किये थे। निचली अदालतें अब तक 27 मामलों में फैसला सुना चुकी है।
लाहौर। पाकिस्तान की एक अदालत ने आतंकवाद को वित्तीय मदद मुहैया कराने के दो मामलों में मुंबई आतंकी हमले के सरगना हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के तीन और आतंकवादियों को 15-15 साल कारावास की सजा सुनाई है। लाहौर की आतंकवाद रोधी-अदालत (एटीसी) के न्यायाधीश एजाज अहमद बुट्टार ने बृहस्पतिवार को अब्दुल सलाम बिन मोहम्मद, जफर इकबाल तथा मोहम्मद अशरफ को सजा सुनाई। जेयूडी प्रमुख सईद के बहनोई प्रोफेसर हाफिज अब्दुल रहमान मक्की को दोनों मामलों में छह-छह महीने की सजा सुनाई गई है। संदिग्धों को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया।
मीडिया को सुनवाई की रिपोर्टिंग करने की अनुमति नहीं थी। इससे एक दिन पहले अदालत ने आतंकवाद को वित्तीय मदद मुहैया कराने के मामले में सईद के प्रवक्ता याहया मुजाहिद को 15 और साल के कारावास की सजा सुनाई थी। एटीसी ने पिछले महीने आतकंवाद के वित्तपोषण के दो मामलों में मुजाहिद को 32 साल की सजा सुनाई थी।
जेयूडी के वरिष्ठ नेता जफर इकबाल को अब कुल मिलाकर 41 साल जेल में बिताने होंगे। पंजाब पुलिस के आतंकवाद-रोधी विभाग ने सईद समेत जेयूडी नेताओं के खिलाफ विभिन्न शहरों में लगभग 41 मामले दर्ज किये थे। निचली अदालतें अब तक 27 मामलों में फैसला सुना चुकी है। एटीसी ने आतंकवाद को वित्तीय मदद पहुंचाने के मामलों में सईद को आतंकवाद-रोधी अधिनियम की धारा 11-एन के तहत कुल मिलकर 21 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। 70 वर्षीय सईद जुलाई 2019 से लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है। इस तरह की खबरें हैं कि उसे जेल में ‘‘वीआईपी प्रोटोकॉल’’ दी गई है।
खलीलजाद से अफगानिस्तान शांति वार्ता जारी रखने को कहा गया : ब्लिंकन
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 12:20
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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन नेपूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत के तौर पर नियुक्त ज़लमी खलीलजाद से अफगानिस्तान में शांति वार्ता जारी रखने को कहा है।
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन नेपूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत के तौर पर नियुक्त ज़लमी खलीलजाद से अफगानिस्तान में शांति वार्ता जारी रखने को कहा है। अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने बुधवार को यह जानकारी दी।
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विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने संवाददताओं से कहा कि बाइडन प्रशासन ने तालिबान के साथ शांति समझौते की समीक्षा की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक अफगानिस्तान की बात है तो हमें एक चीज समझनी बहुत जरूरी है कि अमेरिका और तालिबान के बीच अब तक क्या सहमतियां बनी हैं। ताकि इस बात को अच्छे से समझा जा सके कि तालिबान ने क्या-क्या वादे किए हैं और क्या हमने भी कोई वादा किया है।’’ शांति समझौते के संबंध में ही पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस संबंध में खलीलजाद को अपना काम जारी रखने को कहा है।
Biden reviewing latest actions taken during Trump's term, says Blinken
— ANI Digital (@ani_digital) January 27, 2021
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मुहिम चर्चा का विषय : लिंडा
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 11:42
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अमेरिका के तीन पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मुहिम का समर्थन करता है।
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा संयुक्त राष्ट्र की दूत के तौर पर नामित लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के संबंध में नए प्रशसन के स्पष्ट समर्थन का संकेत नहीं दिया। वहीं अमेरिका के तीन पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मुहिम का समर्थन करता है। इस पद के लिए नामित होने से पहले थॉमस-ग्रीनफील्ड 35 साल से अधिक विदेश सेवा में बिता चुकी हैं।
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संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की दूत के पद के लिए अपने नाम पर सहमति को लेकर सीनेट की विदेश मामलों की समिति के समक्ष सुनवाई के दौरान उन्होंने सांसदों से कहा कि यह चर्चा का विषय है। सुनवाई के दौरान ओरेगन से सीनेटर जेफ मर्कले ने थॉमस-ग्रीनफील्ड से पूछा, ‘‘क्या आप सोचती हैं कि भारत, जर्मनी, जापान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए।’’ इस पर थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा, ‘‘ सुरक्षा परिषद में उनकी सदस्यता पर कुछ चर्चा हो चुकी है और इसके लिए कुछ मजबूत दलीलें भी हैं।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह भी जानती हूं कि ऐसे अन्य (देश) भी हैं जो इन देशों के अपने-अपने क्षेत्र का प्रतिनिधि बनने से असहमत हैं। यह भी चर्चा का विषय है।’’ बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र में दूत के पद को कैबिनेट स्तर का पद घोषित किया है। राष्ट्रपति बाइडन ने पिछले साल अपने चुनाव प्रचार के दौरान संयुक्त राष्ट्र संरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन का अपना वादा दोहराया था। थॉमस-ग्रीनफील्ड ने एक अन्य सवाल के जवाब में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन किया। भारत वर्तमान में दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत के कार्यकाल की शुरुआत इस साल जनवरी से शुरू हो गयी।
रूस में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर चिंतित है अमेरिका: ब्लिंकन
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 11:29
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विदेश मंत्री का पदभार संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में ब्लिंकन ने कहा, ‘‘ हम पहले ही नवलनी के साथ हुए व्यवहार और रूस में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।
वाशिंगटन। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने बुधवार को कहा कि रूस में मानवाधिकारों की स्थिति और विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की सुरक्षा को लेकर अमेरिका चिंतित है। विदेश मंत्री का पदभार संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में ब्लिंकन ने कहा, ‘‘ हम पहले ही नवलनी के साथ हुए व्यवहार और रूस में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। यह बात भी बार-बार मेरे जहन में आती रहती है कि रूस की सरकार एक आदमी, नवलनी से कितनी डरी एवं भयभीत है।’’
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उन्होंने कहा कि अमेरिका इन सभी मामलों पर गौर कर रहा है और यह चिंता का विषय है। नवलनी को ‘नर्व एजेंट’ (जहर)दिए जाने का मामला भी चिंताजनक है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक एवं विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी को पिछले वर्ष अगस्त में जहर दिया गया था, जिसके चलते वह गंभीर रूप से बीमार पड़ गये थे और जर्मनी में उनका उपचार हुआ था। नवलनी ने घटना के लिए रूस की सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। जर्मनी से आते ही नवलनी को मास्को हवाईअड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
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विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हम अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों की हत्या के लिए रूस के इनाम घोषित करने की खबरों पर भी गौर कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जैसा कि मैंने कहा है, हम नवलनी की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। मुद्दा यह है कि वह कई रूसी लोगों की आवाज हैं और उसे सुने जाने की जरूरत है ना की दबाने की।

