चीन के कर्ज में डूबे पाकिस्तान IMF की मदद से हो सकता है आजाद

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[email protected] । Apr 8 2019 3:24PM

‘‘चीनी अवसंरचना परियोजनाओं से प्राप्त ऋण को लौटाने के लिए पाकिस्तान सरकार के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से ‘बेलआउट पैकेज’ की मांग को लेकर हम बेहद चिंतित हैं।’’

वॉशिंगटन। अमेरिका के तीन प्रभावशाली सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से पाकिस्तान द्वारा प्रस्तावित बहु-अरब डॉलर के ‘बेलआउट पैकेज’ का विरोध करने का आग्रह करते हुए कहा कि इसका उपयोग चीन का ऋण चुकाने के लिए किया जा सकता है। द्विदलीय समूह के तीन सांसद टेड याहू, अमी बेरा और जॉर्ज होल्डिंग ने वित्त मंत्री स्टीन मनुचिन और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ को लिखे एक पत्र में इस बात को लेकर ‘‘गहरी चिंता’’ व्यक्त की कि पाकिस्तान आईएमएफ ‘बेलआउट पैकेज’ का इस्तेमाल चीन का ऋण उतारने के लिए कर सकता है।

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पाकिस्तान ने ‘चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे’ (सीपेक) के तहत चीन से कर्ज लिया है। सांसदों ने 15 अप्रैल को लिखे पत्र में कहा, ‘‘चीनी अवसंरचना परियोजनाओं से प्राप्त ऋण को लौटाने के लिए पाकिस्तान सरकार के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से ‘बेलआउट पैकेज’ की मांग को लेकर हम बेहद चिंतित हैं।’’ उन्होंने कहा कि चीन सीपेक के तहत पाकिस्तान में 62 अरब डॉलर निवेश कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘इसकी ऋण अदायगी और लाभ प्रत्यावर्तन की शर्तें उजागर नहीं हैं और इससे पाकिस्तान में काफी चिंताएं उत्पन्न हैं।’’ पत्र में कहा गया, ‘‘चीन की ऋण-जाल कूटनीति का खतरनाक उदाहरण यह है कि, श्रीलंका उस चीनी ऋण पर भुगतान करने में असमर्थ हो गया जो उसने हंबनटोटा बंदरगाह विकास परियोजना के लिए लिया था।’’

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उन्होंने कहा कि इसके बाद चीन के अत्यंत दबाव बनाने पर श्रीलंका को अंततः बंदरगाह के चारों ओर 1,500 एकड़ जमीन को 99 साल के पट्टे के लिए उसे सौंपना पड़ा था। पत्र में कहा गया, ‘‘चीन की ऋण कूटनीति का पाकिस्तान में प्रभाव स्पष्ट है, जिसे श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह में देखा जा चुका है और इसे नाकारा नहीं जा सकता।’’

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