समझौता विस्फोट मामले के सभी आरोपियों को बरी करने पर गौर कर रहा है पाक- कुरैशी
पाकिस्तान का कहना है कि उसके 44 नागरिकों की मौत हुई। हरियाणा के पंचकूला में एक विशेष अदालत ने मामले में बुधवार को मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद और तीन अन्यों को बरी कर दिया।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि उनका देश साल 2007 के समझौता ट्रेन विस्फोट मामले में एक भारतीय अदालत के फैसले और सभी चारों आरोपियों को बरी किए जाने का अध्ययन कर रहा है और अपने विकल्पों पर विचार कर रहा है। सप्ताह में दो बार चलने वाली समझौता एक्सप्रेस भारत में दिल्ली और अटारी तथा पाकिस्तान में लाहौर के बीच चलती है। ट्रेन में विस्फोट 18 फरवरी 2007 को हरियाणा में पानीपत के समीप हुआ जब ट्रेन अमृतसर में अटारी जा रही थी। इस धमाके में 68 लोगों की मौत हो गई। पाकिस्तान का कहना है कि उसके 44 नागरिकों की मौत हुई। हरियाणा के पंचकूला में एक विशेष अदालत ने मामले में बुधवार को मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद और तीन अन्यों को बरी कर दिया। फैसला देने से पहले न्यायाधीश ने एक पाकिस्तानी महिला की याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने अपने देश के कुछ प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही दर्ज करने की मांग की थी।
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कुरैशी ने कहा, ‘‘भारत की राष्ट्रीय जांच अदालत के फैसले ने लोगों को हिला दिया। स्वामी असीमानंद समेत चार आरोपियों को 11 साल बाद बरी कर दिया गया जिन्होंने पहले ही अपना अपराध कबूल कर लिया था।’’ उन्होंने चीन की अपनी आधिकारिक यात्रा से लौटते समय बृहस्पतिवार को इस्लामाबाद में कहा, ‘‘पाकिस्तान ने इस घटना का कड़ा विरोध किया और भारत को डेमार्शे दिया है।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान समझौता ट्रेन विस्फोट मामले के फैसले का अध्ययन कर रहा है और अपने विकल्पों पर गौर कर रहा है।
Pakistan strongly condemns the Indian version of sham justice which translates to exonerating all perpetrators of the heinous #SamjhotaTerrorAttacks after more than 11 years, callously heedless to the families of the 44 Pakistani victims.
— Shah Mahmood Qureshi (@SMQureshiPTI) March 21, 2019
नयी दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय को स्पष्ट तौर पर बता दिया कि समझौता एक्सप्रेस आतंकवाद मामले में मुकदमा ‘‘निष्पक्ष’’ तरीके से चलाया गया। सूत्रों ने बताया कि भारतीय राजदूत ने बताया कि भारतीय अदालतों ने कानून की प्रक्रिया का पालन किया। सूत्रों ने बताया कि राजदूत ने यह भी कहा कि मामले में पाकिस्तानी गवाहों को अदालती समन भेजने समेत पाकिस्तान की ओर से सहयोग की कमी रही। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने समन लौटा दिए।
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