भारत के साथ निरंतर निर्बाध वार्ता चाहता है पाकिस्तान: महमूद कुरैशी

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[email protected] । Aug 20 2018 4:12PM

पाकिस्तान के नये विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने पद की शपथ लेने के तुरंत बाद आज भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और तमाम लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिये ‘‘निर्बाध’’ वार्ता की पेशकश की।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के नये विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने पद की शपथ लेने के तुरंत बाद आज भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और तमाम लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिये ‘‘निर्बाध’’ वार्ता की पेशकश की। उन्होंने कहा कि इस दिशा में यही समझदारी होगी क्योंकि दोनों में से कोई भी देश किसी तरह का ‘‘दुस्साहस’’ झेलने की स्थिति में नहीं हैं।पाकिस्तान में राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के बाद कुरैशी पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय गये और वहां मीडिया को संबोधित किया।कुरैशी वर्ष 2008 से 2011 तक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की सरकार में विदेश मंत्री थे। इसी दौरान वर्ष 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले हुए थे। भारत की आर्थिक राजधानी में जिस वक्त पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने हमले किये थे, उस वक्त कुरैशी नयी दिल्ली में ही थे।

नये विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान पूर्वी एवं पश्चिमी पड़ोसी देशों के साथ फिर से रिश्ते ठीक करना चाहता है और क्षेत्र में शांति बनाये रखना चाहता है।उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बातचीत के जरिये भारत के साथ सभी मुद्दों को सुलझाना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें निरंतर निर्बाध वार्ता की आवश्यकता है। यही हम सभी के लिये ठीक होगा।’’।हाल के वर्षों में भारत-पाकिस्तान के रिश्ते में खटास बढ़ी है और दोनों देशों के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई है। पाकिस्तान स्थित समूहों द्वारा वर्ष 2016 में आतंकवादी हमलों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारत के सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ गया। कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव को पिछले साल अप्रैल में पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाये जाने के बाद द्विपक्षीय संबंध और बिगड़ गये।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के उपाध्यक्ष कुरैशी ने आज बताया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कल प्रधानमंत्री इमरान खान को बधाई पत्र भेजा था जिसमें उन्होंने मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत का जिक्र किया था।कुरैशी ने कहा ‘‘मैं उनके पत्र का स्वागत करता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत की विदेश मंत्री से यह कहना चाहता हूं कि हमलोग ना सिर्फ पड़ोसी हैं बल्कि परमाणु शक्ति सम्पन्न भी हैं। हमारे पुराने मुद्दे हैं और हम दोनों यह जानते हैं कि ये मुद्दे क्या हैं। हमें इन मुद्दों को सुलझाने की आवश्यकता है।’’ कुरैशी ने कहा कि इतने करीब होने के कारण दोनों देश किसी तरह का ‘‘दुस्साहस’’ बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग किसी तरह का दुस्साहस नहीं बर्दाश्त कर सकते हैं क्योंकि प्रतिक्रिया का समय बहुत कम है। एकमात्र विकल्प है कि हम एक दूसरे के साथ बातचीत करें। हमलोग दुश्मनी में नहीं जी सकते हैं और हमें यह स्वीकार करना होगा कि प्रमुख मुद्दे हैं।’’

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि कश्मीर एक मुद्दा है और दोनों देश इस बारे में जानते हैं।उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर और इस्लामाबाद की यात्रा की थी और उन्होंने पाकिस्तान एवं कश्मीर के मुद्दे को स्वीकारा था।कुरैशी ने कहा, ‘‘हम चाहें या नहीं चाहें लेकिन कश्मीर एक मुद्दा है और दोनों देशों ने इसे माना है। मेरी राय में इसे सुलझाने के लिये बातचीत के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’’ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्र को अपने पहले संबोधन में कहा कि रिश्तों को सामान्य करने के लिये पाकिस्तान अपने पड़ोसियों के साथ बातचीत करेगा क्योंकि इसके बगैर देश में शांति नहीं लायी जा सकती है। इससे पहले 25 जुलाई को हुए आम चुनावों में अपनी पार्टी की जीत के बाद अपने संबोधन में खान ने कहा था कि पाकिस्तान भारत के साथ अपने रिश्तों को सुधारने के लिये तैयार है और उनकी सरकार यह चाहेगी कि दोनों देशों के नेता बातचीत के माध्यम से कश्मीर के ‘‘मुख्य मुद्दे’’ सहित तमाम मसलों को सुलझायें।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे इस दिशा में हमारी ओर एक कदम बढ़ाते हैं तो हम दो कदम आगे बढ़ेंगे लेकिन कम से कम (हमें) इसे शुरू करने की जरूरत है।’’ अफगानिस्तान के बारे में कुरैशी ने कहा कि वह अफगानिस्तान के विदेश मंत्री को फोन करेंगे और इस ‘‘ठोस संदेश’’ के साथ काबुल की यात्रा करेंगे कि दोनों देशों का भाग्य समान है। उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में शांति के बगैर पाकिस्तान में शांति नहीं होगी।’’।उन्होंने कहा, ‘‘मैं अफगानिस्तान की जनता को यह कहना चाहता हूं कि वे एक दूसरे की समस्या को समझें और सभी मुद्दों को सुलझाने के लिये दोनों ओर से प्रयास करें।’’ अमेरिका के साथ संबंधों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच विश्वास में कमी आयी है लेकिन पाकिस्तान अपने हितों के आधार पर बेहतर संबंध चाहता है। 

कुरैशी ने कहा कि नयी सरकार की विदेश नीति पाकिस्तान के हितों पर आधारित होगी और देश की जरूरत के मुताबिक इन्हें ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान की विदेश नीति की प्रमुखता यह होगी कि हम आर्थिक कूटनीति के जरिये कैसे आम जनता के जीवन में बदलाव ला सकते हैं। हमलोग सामाजिक-आर्थिक विकास के माध्यम से लोगों के जीवन में बदलाव लाने की कोशिश करेंगे।’’।उन्होंने कहा कि अनगिनत स्थानीय एवं क्षेत्रीय चुनौतियां हैं, लिहाजा ‘‘हमलोग इन मुद्दों पर भी प्रगति करना चाहते हैं। कुछ तत्व देश को अलग-थलग करना चाहते हैं लेकिन यह अब यह नहीं होगा।’’।उन्होंने कहा कि उनकी सरकार विदेश मामलों पर राष्ट्रीय सहमति बनायेगी। उन्होंने कहा, ‘‘विदेश नीति के मुद्दे पर मैं द्विदलीय दृष्टिकोण अपनाऊंगा।’’ उन्होंने घोषणा की कि अगले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से पहले वह विपक्षी नेताओं को विचार-विमर्श के लिये बुलायेंगे।

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