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ट्रम्प ने पेरिस जलवायु समझौते को बताया ‘खतरनाक’, बाइडेन ने दिया ये बयान
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- सितंबर 30, 2020 15:09
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अधिसूचना में वैश्विक जलवायु परिवर्तन समझौते से बाहर निकलने की एक वर्ष की प्रक्रिया शुरू की गई, जो तीन नवम्बर 2020 को अमेरिकी चुनाव के बाद समाप्त हो रहा है। ट्रम्प ने ओहायो के क्लीवलैंड में मंगलवार को पहले राष्ट्रपति पद के चुनाव में उम्मीदवारों की आधिकारिक बहस में कहा, ‘‘मैं बिल्कुल साफ और शफ्फाफ पानी और हवा चाहता हूं।
वॉशिंगटन। पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते से हटने के अपने प्रशासन के फैसले को सही ठहराते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि यह एक ‘‘आपदा’’ है और इससे बाहर जाने पर लोग खुश हैं। वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी के उनके प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन ने सत्ता में आने पर ऐतिहासिक समझौते में फिर से शामिल होने की बात कही। ट्रम्प प्रशासन ने पिछले वर्ष नवम्बर में जलवायु परिवर्तन समझौते से अमेरिका के बाहर होने की अधिसूचना जारी की क्योंकि उसके अनुसार इस समझौते से अमेरिका के लोगों पर ‘‘अनुचित आर्थिक बोझ’’ पड़ता। अधिसूचना में वैश्विक जलवायु परिवर्तन समझौते से बाहर निकलने की एक वर्ष की प्रक्रिया शुरू की गई, जो तीन नवम्बर 2020 को अमेरिकी चुनाव के बाद समाप्त हो रहा है। ट्रम्प ने ओहायो के क्लीवलैंड में मंगलवार को पहले राष्ट्रपति पद के चुनाव में उम्मीदवारों की आधिकारिक बहस में कहा, ‘‘मैं बिल्कुल साफ और शफ्फाफ पानी और हवा चाहता हूं। मैं बिल्कुछ स्वच्छ हवा चाहता हूं। हमारे यहां अब सबसे कम कार्बन उत्सर्जन है। हमने अपने व्यवसाय चौपट नहीं किए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप पेरिस समझौते पर गौर करें तो हमारे मुताबिक एक आपदा था। और लोग इससे काफी खुश हैं क्योंकि हमारा व्यवसाय ठीक चल रहा है।’’
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ट्रम्प बहस का संचालन कर रहे क्रिस वालास के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। वालास ने ट्रम्प से पूछा, ‘‘अपने चार वर्षों के कार्यकाल में आपने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से हटा लिया। आपने काफी संख्या में ओबामा पर्यावरणीय रिकॉर्ड को वापस ले लिया। जलवायु परिवर्तन के विज्ञान के बारे में आपका क्या मानना है और इससे मुकाबला करने के लिए आगामी चार वर्षों में आप क्या करेंगे?’’ अमेरिका और 187 अन्य देशों ने पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान को प्राक् औद्योगिक तापमान से दो डिग्री सेल्सियस से कम के इजाफे पर रखने के लिए समझौता किया था और उन्हें डेढ़ डिग्री तक सीमित करने का प्रयास करने का फैसला किया था। दुनिया के सबसे बड़े ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जकों में शामिल अमेरिका के निर्णय की पर्यावरणविदों ने निंदा की और दुनिया के नेताओं ने उसके इस फैसले पर दुख जताया। बहस के दौरान बाइडेन ने कहा कि नवम्बर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में अगर वह जीतते हैं तो जलवायु परिवर्तन के समझौते में फिर से शामिल होंगे।
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बाइडेन ने जलवायु परिवर्तन पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘पहला काम मैं करूंगा कि मैं पेरिस समझौते में शामिल होऊंगा...क्योंकि हमारे इससे बाहर होने से देखिए क्या हो रहा है। सब अलग-थलग होते जा रहे हैं।’’ बहरहाल उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की तरफ से आगे बढ़ाया जा रहा ‘ग्रीन न्यू डील’ उनकी योजना नहीं थी। ट्रम्प ने बाइडेन से कहा कि अगर जलवायु परिवर्तन को लेकर वह इतने चिंतित हैं तो जब वह सीनेटर और देश के उपराष्ट्रपति थे तो क्यों नहीं किया। ट्रम्प ने कहा, ‘‘उन्होंने इसे क्यों नहीं किया?’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन हवा में गंदगी भेज रहा है, रूस कर रहा है, भारत कर रहा है, सब कर रहे हैं। हमसे अच्छा बनने की उम्मीद की जाती है और उन्होंने कई बयान दिए। ग्रीन न्यू डील एक लाख अरब डॉलर का है न कि 20 अरब डॉलर का।’’ ट्रम्प की टिप्पणी पर बाइडेन ने कहा, ‘‘वह मेरी योजना नहीं है। न्यू ग्रीन डील।’’ बाइडेन ने कहा कि सत्ता में आने पर उनका प्रशासन इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी राजमार्गों पर पांच लाख चार्जिंग स्टेशन बनाएंगे।
म्यांमार में देखी गई तानाशाह सेना की बेदर्दी, 19 साल की लड़की के माथे पर मारी गोली
- निधि अविनाश
- मार्च 4, 2021 18:22
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म्यांमार की सड़कों पर चल रहे प्रदर्शनों में से एक प्रदर्शनकारी एंजेल भी थी जो सुरक्षाकर्मियों के गोलियों का शिकार हो गई। बता दें कि सुरक्षाकर्मियों ने एंजेल के सिर पर गोली मारकर हत्या कर दी। अब वह इस दुनिया में तो नहीं है लेकिन उसकी टी-शर्ट में लिखी डिटेल ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है।
"Everything will be OK" यानि की सब कुछ ठीक रहेगा, ऐसा अपनी टी-शर्ट पर लिखे 19 वर्षीय एंजेल असली नाम (Kyal Sin) म्यांमार की सड़को पर सैन्य तख्तापलट का विरोध कर रही थी लेकिन वह कहीं न कहीं यह भी जानती थी की अब कुछ भी ठीक नहीं हो सकता है क्योंकि उसने अपनी टी-शर्ट पर अपना ब्लड ग्रुप, कॉन्टेक्ट नंबर और अपने मृत्यु के बाद उसके शरीर को दान करने के बारें में लिखा था।
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म्यांमार की सड़कों पर चल रहे प्रदर्शनों में से एक प्रदर्शनकारी एंजेल भी थी जो सुरक्षाकर्मियों के गोलियों का शिकार हो गई। बता दें कि सुरक्षाकर्मियों ने एंजेल के सिर पर गोली मारकर हत्या कर दी। अब वह इस दुनिया में तो नहीं है लेकिन उसकी टी-शर्ट में लिखी डिटेल ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। 19 साल की उम्र में म्यांमार के लोकतंत्र का हिस्सा बनी ही थी की सैन्य तख्तापलट ने उसकी जीवन की कायापलट कर दी। विरोध में उसकी तस्वीरों को देखा जा सकता है जिसमें एंजेल एक काले टी-शर्ट में डरी और सेना से छुपती नज़र आ रही है। बता दें कि उनकी यह तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हो रही है। जानकारी के मुताबिक, सुरक्षा बलों ने एक दिन पहले ही प्रदर्शन कर रहे 38 लोगों को मार दिया था। देश के सबसे बड़े शहर यांगून के तीन क्षेत्रों में फिर से प्रदर्शन हुए, जहां पिछले कुछ दिनों से हिंसा देखी जा रही है। सोशल मीडिया में दिखा कि पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए फिर से बल प्रयोग किया। देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले में भी प्रदर्शन जारी है।
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बृहस्पतिवार की सुबह पांच लड़ाकूविमान शहर के ऊपर मंडराते दिखे जिससे प्रतीत होता है कि लोगों को डराने का प्रयास किया गया। म्यांमार के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रस्टीन श्रेंगर बर्गनर ने कहा कि बुधवार को 38 लोग मारे गए। मौतों का यह आंकड़ा एक फरवरी के बाद से सबसे ज्यादा है जब सेना ने आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को सत्ता से अपदस्थ कर दिया था। तब से पुलिस और सैनिकों द्वारा 50 से अधिक नागरिकों के मारे जाने की पुष्टि हुई है जिनमें अधिकतर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले लोग थे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने तख्तापलट को खत्म करने और सेना द्वारा की जा रही कार्रवाईयों पर रोक लगाने के लिए शुक्रवार को बातचीत का कार्यक्रम रखा है जिसमें संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतारेस भी शामिल होंगे।
जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने को लेकर बांग्लादेश के विदेश मंत्री के साथ की वार्ता
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- मार्च 4, 2021 17:51
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विदेश मंत्री जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने को लेकर बांग्लादेश के विदेश मंत्री के साथ वार्ता की।ढाका में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, ‘‘विदेश मंत्री एस जयशंकर ने (बांग्लादेश के) विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमेन के साथ सरकारी अतिथिगृह पद्म में द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक वार्ता की।’’
ढाका। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को अपने बांग्लादेशी समकक्ष ए के अब्दुल मोमेन से मुलाकात की और उनसे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ करने के तरीकों पर चर्चा की। जयशंकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश की आगामी यात्रा की तैयारी के लिए भारत की ‘पहले पड़ोसी’ की नीति के तहत बृहस्पतिवार को एक दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे। मोमेन ने यहां कुरमीटोला वायुसेना अड्डे पर जयशंकर का स्वागत किया। जयशंकर मोमेन के आमंत्रण पर यहां आए।
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विदेश मंत्री के बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से भी मुलाकात करने की संभावना है। जयशंकर और मोमेन ने एक सरकारी अतिथिगृह में हुई बैठक में अपने-अपने पक्ष का नेतृत्व किया। उन्होंने दोनों देशों के संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की। ढाका में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, ‘‘विदेश मंत्री एस जयशंकर ने (बांग्लादेश के) विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमेन के साथ सरकारी अतिथिगृह पद्म में द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक वार्ता की।’’ दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को आगे ले जाने के तरीकों पर भी चर्चा की। जयशंकर ने ढाका में फिर से आने पर खुशी जताई और उनका गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए मोमेन को धन्यवाद दिया। जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘मुझे फिर से ढाका आकर खुशी हो रही है। मेरा इतनी गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए (बांग्लादेश के) विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमेन का शुक्रिया।’’ प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश और भारत के राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे होने और बांग्लादेश की मुक्ति की 50वीं वर्षगांठ के समारोह में शामिल होने के लिए 26 मार्च को दो दिवसीय यात्रा पर यहां आएंगे। प्रधानमंत्री हसीना ने बांग्लादेश आने का उनका निमंत्रण स्वीकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया था।
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‘यूएनबी’ संवाद समिति ने बताया था कि बांग्लादेश के विदेश मामलों के राज्य मंत्री एम शहरियार आलम ने मंगलवार को बांग्लादेश एवं भारत के गहरे संबंधों को रेखांकित किया था। उन्होंने कहा था कि उनका देश 1971 में बांग्लादेश को मिली मुक्ति की 50 वर्षगांठ मनाने के लिए 17 से 26 मार्च तक कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित करेगा। आलम ने कहा था कि बांग्लादेश प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को लेकर उत्सुक है, जिससे द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे। बांग्लादेशी अधिकारियों ने बताया कि मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्री ढाका और पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी के बीच सीधी यात्री ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखा सकते हैं। मोदी और हसीना ने 17 दिसंबर को डिजिटल शिखर सम्मेलन में भाग लिया था, जिसमें उन्होंने हल्दीबाड़ी और चिल्हाटी के बीच ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखाई थी। बांग्लादेश के विदेश सचिव मासुद बिन मोमेन ने जनवरी में भारत की यात्रा की थी और इस दौरान दोनों पक्षों ने मोदी की बांग्लादेश यात्रा के कार्यक्रम पर विस्तार से विचार-विमर्श किया था। नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा था कि जयशंकर बांग्लादेश की यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा करेंगे। करीब 93,000 पाकिस्तानी बलों ने भारतीय सेना और ‘मुक्ति वाहिनी’ के संयुक्त बलों के आगे 16 दिसंबर, 1971 को समर्पण कर दिया था, जिसके बाद बांग्लादेश की स्थापना हुई थी।
अमेरिकी संसद में पेश हुआ H1B वीजाधारक कर्मचारियों से संबंधित विधेयक
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- मार्च 4, 2021 16:16
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अमेरिकी संसद में एच1बी वीजाधारक कर्मचारियों से संबंधित विधेयक पेश किया है।भारतीय मूल के आईटी पेशवरों में एच-1बी वीजा की सर्वाधिक मांग रहती है। यह गैर-आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को उन विशेषज्ञता वाले पदों पर विदेशी कार्मिकों की नियुक्ति का अधिकार देता है जिनमें तकनीकी विशेषज्ञता जरूरी होती है।
वाशिंगटन। अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में तीन सांसदों ने एक विधेयक पेश किया है जिसमें उन नियोक्ताओं को एच-1बी वीजाधारक विदेशी कर्मचारियों को नौकरी पर रखने से रोकने की बात है जिन्होंने अमेरिकी कर्मचारियों को हाल में लंबी छुट्टी पर भेज दिया है या फिर उनकी ऐसी कोई योजना है। इसमें नियोक्ताओं को अमेरिकी कर्मचारियों की अपेक्षा एस1बी धारक कर्मचारियों को अधिक भुगतान देने की बात भी है। रिपब्लिकन पार्टी के कांग्रेस सदस्य मो ब्रुक्स, मैट गाऐट्ज और लांस गूडेन की ओर से पेश ‘अमेरिकन्स जॉब्स फर्स्ट एक्ट’ में आव्रजन और राष्ट्रीयता कानून में आवश्यक बदलाव करके एच-1बी वीजा कार्यक्रम में आमूल-चूल बदलाव का प्रस्ताव है। भारतीय मूल के आईटी पेशवरों में एच-1बी वीजा की सर्वाधिक मांग रहती है। यह गैर-आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को उन विशेषज्ञता वाले पदों पर विदेशी कार्मिकों की नियुक्ति का अधिकार देता है जिनमें तकनीकी विशेषज्ञता जरूरी होती है। प्रौद्योगिकी कंपनियां इस वीजा प्रणाली के आधार पर हर वर्ष भारत और चीन जैसे देशों से हजारों कर्मियों की भर्ती करती हैं।
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बुधवार को पेश नए विधेयक के मसौदे के अनुसार किसी ‘विदेशी अतिथि कर्मी’ को तब तक एच-1बी गैर-आव्रजक का दर्जा नहीं दिया जा सकता जब तक याचिकाकर्ता नियोक्ता श्रम मंत्री के समक्ष यह आवेदन नहीं करता कि वह एच-1बी गैर-आव्रजक को अमेरिकी नागरिक या कानूनन स्थायी नागरिक कर्मी को दिये जाने वाले सालाना वेतन से अधिक वार्षिक पारिश्रमिक की पेशकश कर रहा है। ब्रुक्स ने कहा, ‘‘अमेरिकन जॉब्स फर्स्ट एक्ट आवश्यक सुधार लाएगा और एच1बी वीजा कार्यक्रम को देखेगा एवं सुनिश्चित करेगा कि अमेरिकी कर्मचारियों को उनके अपने ही देश में और नुकसान नहीं उठाना पड़े।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विदेशी कर्मचारियों के कम पारिश्रमिक में उपलब्ध होने जैसे लालच को खत्म करने के लिए विधेयक में यह व्यवस्था की गई है कि नियोक्ताओं को किसी भी एच1बी कर्मचारी को न्यूनतम 1,10,000 डॉलर का भुगतान करना होगा। इसके अलावा अमेरिकी कर्मचारियों की रक्षा के लिए इस विधेयक में कहा गया है कि जो कंपनियां एच1बी कर्मचारी को नौकरी पर रखना चाहती हैं उन्होंने कम से कम दो वर्ष में बिना कारण किसी भी अमेरिकी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला हो और बिना कारण किसी भी अमेरिकी कर्मचारी को अगले दो वर्ष तक नहीं निकालने का वादा किया हो।

