पेरिस समझौते से भारत और चीन को मिल जाती खुली छूटः अमेरिका

[email protected] । Jun 21 2017 10:32AM

उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा कि पेरिस समझौते ने भारत और चीन को एक तरह से खुली छूट दे दी होती और इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 65 लाख से ज्यादा नौकरियों का नुकसान हुआ होता।

वाशिंगटन। अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने आज कहा कि पेरिस जलवायु समझौते ने भारत और चीन को एक तरह से खुली छूट दे दी होती और इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 65 लाख से ज्यादा नौकरियों का नुकसान हुआ होता। नेशनल असोसिएशन ऑफ मैनुफैक्चर्स 2017 मैनुफैक्चरिंग समिट को संबोधित करते हुए पेंस ने कहा, 'यह राष्ट्रपति अमेरिका को सबसे आगे रखते हैं। ज्यादा समय नहीं हुआ, जब उन्होंने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से अलग करने का फैसला किया।'

पेंस ने कहा, 'आप जानते हैं कि एक स्वतंत्र अध्ययन में पाया गया कि पेरिस समझौते से अगले 25 साल में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 65 लाख से ज्यादा उत्पादन संबंधी नौकरियों का नुकसान हुआ होता जबकि चीन और भारत को एक तरह से खुली छूट मिल गई होती।' उन्होंने कहा कि 'इस भयावह समझौते' से अमेरिका को अलग करके राष्ट्रपति ने अमेरिका को शीर्ष पर रखा है। पेंस ने कहा, 'उन्होंने इस समझौते पर दोबारा मोलभाव करने या एक अलग समझौता लेकर आने का दरवाजा खुला रखा है। लेकिन उन्होंने अमेरिका को शीर्ष स्थान पर रखा है और मैं यहां मौजूद उत्पादकों से वादा करता हूं कि राष्ट्रपति ट्रंप हमेशा ऐसा करेंगे।' उन्होंने कहा कि ट्रंप ने अमेरिकी ऊर्जा पर एक नया जोर दिया है। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति ट्रंप हर रोज यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ रहे हैं कि अमेरिकी उत्पादकों के पास अपने कारखानों को चलाने के लिए और भविष्य के लिए किफायती, प्रचुर और विश्वसनीय ऊर्जा हो।'

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