हिंसा रोकने के लिए संसद भंग करनी पड़ी: मैत्रीपाला सिरिसेना

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[email protected] । Nov 12 2018 12:54PM

श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने संसद भंग करने के अपने विवादित फैसले का बचाव करते हुए रविवार को कहा कि अध्यक्ष कारू जयसूर्या द्वारा उन पर सांसदों के अधिकारों को ‘‘छीनने’’ का आरोप लगाने के बाद प्रतिद्वंद्वी सांसदों के बीच हिंसक

 कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने संसद भंग करने के अपने विवादित फैसले का बचाव करते हुए रविवार को कहा कि अध्यक्ष कारू जयसूर्या द्वारा उन पर सांसदों के अधिकारों को ‘‘छीनने’’ का आरोप लगाने के बाद प्रतिद्वंद्वी सांसदों के बीच हिंसक संघर्षों से बचने के लिए यह फैसला लिया गया। सिरिसेना ने राष्ट्र को दिए संबोधन में निर्धारित समय से पहले ही संसद भंग करने की वजह बताई। कई राजनीतिक दलों और सिविल सोसायटी समूहों ने सिरिसेना के फैसले की आलोचना करते हुए इसे असंवैधानिक और गैरकानूनी बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्टें थी कि दोनों नेताओं के बीच प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए मतदान के दौरान झड़पें होंगी। 26 अक्टूबर को सिरिसेना ने करीब साढ़े तीन साल तक तनावपूर्ण संबंध के बाद अचानक रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया था और उनके स्थान पर महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। इस कदम के बाद देश संवैधानिक संकट में फंस गया था। सिरिसेना ने संसदीय कार्यवाही 16 नवंबर तक के लिए निलंबित कर दी थी। बाद में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव में उन्होंने 14 नवंबर को संसद की बैठक फिर बुलाने के लिए नोटिस जारी किया। लेकिन शुक्रवार को सिरिसेना ने संसद भंग कर दी और पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की। दरअसल जब यह स्पष्ट हो गया कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के लिए सदन में उनके पास पर्याप्त समर्थन नहीं है तब सिरिसेना ने यह कदम उठाया।

सिरिसेना ने कहा, ‘‘अगर मैं संसद को 14 नवंबर को बैठक करने की मंजूरी देता तो संसद में हिंसा हो सकती थी और यह हमारे गांवों तथा शहरों में फैल सकती थी।’’उन्होंने कहा, ‘‘यह दुखद है कि सांसदों को 10 से 15 करोड़ रुपये के लिए खरीदा जा रहा है।’’ उन्होंने कुछ सांसदों के बयानों का जिक्र किया कि उन्हें दल बदल के लिए बड़ी धनराशि की पेशकश की गई है। सिरिसेना ने मौजूदा राजनीतिक स्थिति के लिए संसद अध्यक्ष जयसूर्या को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘‘संसद भंग करने का अन्य कारण अध्यक्ष कारू जयसूर्या का व्यवहार भी था। उन्होंने बयान जारी कर कहा कि वह मेरी राष्ट्रपति की शक्तियों का इस्तेमाल कर हुई नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति को स्वीकार नहीं करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि जयसूर्या द्वारा संसदीय सत्र के पहले ही दिन शक्ति परीक्षण पर जोर मंजूर नहीं है। इससे पहले जयसूर्या ने सिरिसेना पर सांसदों की शक्तियां ‘‘छीनने’’ का आरोप लगाया। ।

जयसूर्या ने एक कठोर बयान में कहा , ‘‘मैं पिछले दो हफ्तों से देख चुका हूं। कार्यपालिका शाखा ने सासंदों के अधिकार जब्त कर लिए हैं, उनकी शक्तियां छीन ली हैं जो लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए निर्वाचित हुए थे।’’उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी जनसेवकों से किसी भी अवैध आदेश को लागू करने से इनकार करने का आह्वान करता है, इससे फर्क नहीं पड़ता कि कौन उन्हें ये आदेश दे रहा है।’’ सिरिसेना समर्थक सरत अमूनुगामा के बयान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अफसोस है कि अति सम्मानित नेता कथित विदेश मंत्री ने झूठा आरोप लगाया है कि जब 14 नवंबर को संसद की बैठक होती तब मेरी मंशा राष्ट्रपति को सरकार का बयान देने से रोकने की थी। इसी काल्पनिक आधार पर मंत्री ने कहा कि संसद भंग करना पड़ी। 

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