कोरोना होने पर आखिर क्यों चली जाती है सूंघने की क्षमता? जानें क्या कहती है स्टडी

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एक नए अध्ययन से मिली जानकारी के मुताबिक कोविड-19 के लक्षणों के रूप में सूंघने की क्षमता जाने वाले लोगों को सामान्य इलाज की जरूरत है।सूंघने की क्षमता और स्वाद चले जाने को संक्रमण के संकेत के रूप में बताने वाले एक हालिया अनुसंधान के बाद यह नया शोध किया गया।

लॉस एंजिलिस। वैसे लोग जिनमें कोविड-19 के लक्षणों के रूप में सूंघने की क्षमता चली जाती है, उन्हें आंशिक या मध्यम इलाज की जरूरत होगी। एक नए अध्ययन में यह जानकारी मिली है। इस नए अध्ययन से डॉक्टरों को इसकी जानकारी मिल सकती है कि किस मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है और किसे नहीं है। यह शोध ‘इंटरनेशल फोरम ऑफ एलर्जी एंड राइनोलॉजी’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है। सूंघने की क्षमता और स्वाद चले जाने को संक्रमण के संकेत के रूप में बताने वाले एक हालिया अनुसंधान के बाद यह नया शोध किया गया।

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सैन डिएगो के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि वैसे मरीज जो सूंघने की क्षमता चले जाने की शिकायत करते हैं, उन लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना लक्षण नहीं दिखने वाले लोगों के मुकाबले 10 फीसदी तक कम होती है। इस अध्ययन के पहले लेखक कैरोल यान ने कहा, ‘‘डॉक्टरों के सामने सबड़े बड़ी चुनौती यह पता लगाने की है कि इस वायरस के मरीजों को बेहतरीन इलाज कैसे दिया जाए। अगर उनमें लक्षण नहीं दिखते हैं या आंशिक तौर पर दिखते हैं तो क्या वे घर में खुद पृथक रह सकते हैं या उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ेगी? अस्पतालों के लिए ये सभी महत्वपूर्ण प्रश्न हैं ताकि वे पर्याप्त और प्रभावी तरीके से चिकित्सीय संसाधनों का इस्तेमाल कर सकें।’’ इस अनुसंधान में यह खुलासा हुआ है कि सूंघने की क्षमता जाने से आंशिक तौर पर ही इलाज की जरूरत पड़ सकती है। मौजूदा अध्ययन तीन मार्च से आठ अप्रैल के बीच किया गया। इसमें कोरोना वायरस से संक्रमित 169 मरीजों को भी शामिल किया गया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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