वैक्सीनेशन में शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों को मिले प्राथमिकता, स्कूल बंद से बच्चो की पढ़ाई पर पड़ा असर

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टीकाकरण में शिक्षकों, स्कूल कर्मचारियों को मिले प्राथमिकता ताकि स्कूल को बार बार बंद न करने पड़े।स्कूल प्राथमिकता होनी चाहिए बाल रोग विशेषज्ञों और वैक्सीन विशेषज्ञों के रूप में, हम मानते हैं कि कोई भी बीमारी फैलने के दौरान बच्चों की खैरियत और उनकी पढ़ाई सर्वोच्च प्राथमिकताओं में होनी चाहिए।

मेलबोर्न। विक्टोरिया ने कल रात 11:59 बजे से कम से कम सात दिन तक चलने वाले एक छोटे लॉकडाउन कीघोषणा की, जिसके अंतर्गत स्कूल बंद हो जाएंगे और बच्चे दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से घर बैठकर पढ़ेंगे। यह कोविड के प्रकोप के कारण स्कूलों के बंद होने का एक और प्रकरण है। समाज कोरोना के प्रकोप को लेकर चिंतित हैं लेकिन लॉकडाउन में स्कूलों को शामिल करना, तत्काल प्रतिक्रिया की बजाय,यदि बीमारी का संचरण अधिक हो तो उसके नियंत्रण के विस्तार के रूप में होना चाहिए। हमारा मानना है कि जब कोरोना का संचरण निम्न स्तर पर हो तो उसे कम ही बनाए रखने की रणनीतियों पर काम किया जाए, लेकिन इस दौरान स्कूलों को खुला रखने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यही नहीं, यदि स्कूल हमारी प्राथमिकता हैं, तो कोरोना के प्रसार को रोकने की इन रणनीतियों के हिस्से के रूप में तो स्कूल के सभी कर्मचारियों का टीकाकरण तत्काल करना चाहिए।

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स्कूल प्राथमिकता होनी चाहिए बाल रोग विशेषज्ञों और वैक्सीन विशेषज्ञों के रूप में, हम मानते हैं कि कोई भी बीमारी फैलने के दौरान बच्चों की खैरियत और उनकी पढ़ाई सर्वोच्च प्राथमिकताओं में होनी चाहिए। बीमारी के प्रकोप ​​​​के दौरान स्कूलों में कोविड के संचरण के जोखिम को कम करने के लिए हम निम्न रणनीतियों की वकालत करते हैं: - स्कूल परिसर में बच्चों के माता-पिता और अन्य वयस्कों की मौजूदगी को काम करना। जिसमें बच्चों को स्कूल के गेट के बाहर ही छोड़ना शामिल है। - स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता, शिक्षक, स्कूल के अन्य कर्मचारी और हाई स्कूल के छात्र मास्क पहनें और अपने हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखें। - शारीरिक दूरी को बढ़ाएं - कक्षाओं और स्कूल भवनों में अच्छा वेंटिलेशन। इस सबके ऊपर हमारा मानना ​​है कि यदि फैसले लेने वाले लोग स्कूलों, शिक्षकों और बच्चों को प्राथमिकता के रूप में देखे हैं, तो सभी स्कूल कर्मचारियों के टीकाकरण पर तत्काल विचार किया जाना चाहिए। सभी स्कूल स्टाफ का टीकाकरण उन लोगों को भी आश्वस्त करेगा, जिन्हें लॉकडाउन के दौरान स्कूल के माहौल में काम पर होने की चिंता है, और इससे स्कूलों में बीमारी के फैलने का जोखिम और भी कम हो जाएगा। इससे स्कूलों को खुला रखने का विश्वास बढ़ेगा। बच्चे संचरण के प्रमुख वाहक नहीं हैं बच्चे सार्स-कोवी-2 कोरोनावायरस से बीमार हो सकते हैं और हो रहे हैं, हालांकि उन्हें कम गंभीर बीमारी होती है।

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सर्वोत्तम उपलब्ध साक्ष्य बताते हैं कि बच्चे और स्कूल संचरण के प्रमुख वाहक नहीं हैं, यद्यपि बच्चे वायरस का संचार कर सकते हैं। आस्ट्रेलिया में कोविड के त्वरित संचरण के प्रबंधन के लिए स्नैप या छोटा लॉकडाउन एक नया मानदंड बन गया है। हम दृढ़ता से तर्क देते हैं कि स्नैप लॉकडाउन में स्कूलों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे देश जहां कोरोना का व्यापक संचरण हो रहा है, वहां के आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों का पालन करने के साथ खुले रहने वाले स्कूलों ने संचरण दरों में बहुत अधिक बदलाव नहीं किया है। स्कूल बंद होने से भारी तनाव जब भी स्कूल बंद होने की घोषणा की जाती है, तो हम कई माता-पिता को आहें भरते हुए कहते सुनते हैं, ‘‘मैं कोई काम नहीं कर पाऊंगा!’’।

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वास्तव में, स्कूल बंद होने से परिवारों पर भारी दबाव पड़ता है, विशेष रूप से प्री-स्कूल या प्राथमिक स्कूल के आयु वर्ग के बच्चों वाले कामकाजी माता-पिता पर। बड़े बच्चों की तुलना में छोटे बच्चों पर हर वक्त निगरानी की जरूरत होती है और ऑनलाइन पढ़ाई से उन्हें उतना लाभ नहीं मिल पाता, जितना हाई स्कूल के बच्चों को मिलता है। हालांकि इसके कुछ कारण इंटरनेट का खराब या न होना, जरूरी निगरानी न मिल पाना, या सही उपकरण न होना भी हो सकते हैं। घर बैठकर पढ़ाई करने का बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ता है। अगस्त 2020 में रॉयल चिल्ड्रन हॉस्पिटल के एक जनमत में भाग लेने वाले 50% से अधिक विक्टोरियन माता-पिता ने बताया कि 2020 में दूसरी लहर के दौरान स्कूल बंद होने के कारण घर में पढ़ाई करने वाले उनके बच्चों पर भावनात्मक रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसकी तुलना अन्य राज्यों में यह प्रतिशत 26.7% था। यदि फैसले करने वाले लोग इसी तरह स्कूल बंद करते रहते रहे तो यह जोखिम बना रहेगा। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि हम ऐसे उपायों की खोज करें कि कम संचरण की अवस्था में बच्चों को और खास तौर से छोटे बच्चों को स्कूलों में शिक्षकों से शिक्षा ग्रहण करने से वंचित न किया जाए और ऐसा करने का एक महत्वपूर्ण तरीका यह है कि शिक्षकों और स्कूल के अन्य कर्मचारियों को कोविड वैक्सीन देने मेंप्राथमिकता दी जाए।

 -आशा बोवेन, टेलीथॉन किड्स इंस्टीट्यूट, अर्चना कोइराला, सिडनी विश्वविद्यालय और मार्गी डैनचिन, मर्डोक चिल्ड्रन रिसर्च इंस्टीट्यूट सिडनी/ 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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