रोहिंग्या शरणार्थियों की देश वापसी पर संदेह, नहीं जाना चाहते ज्यादातर लोग
बांग्लादेश स्थित शिविरों में रहने वाले लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों के वापस म्यामां जाने पर संदेह बना हुआ है क्योंकि उनमें से कोई अपने देश लौटना नहीं चाहता। बांग्लादेश के शरणार्थी आयुक्त ने यह जानकारी दी।
कॉक्स बाजार (बांग्लादेश)। बांग्लादेश स्थित शिविरों में रहने वाले लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों के वापस म्यामां जाने पर संदेह बना हुआ है क्योंकि उनमें से कोई अपने देश लौटना नहीं चाहता। बांग्लादेश के शरणार्थी आयुक्त ने यह जानकारी दी।
म्यामां में सेना की क्रूर कार्रवाई, हत्या, बलात्कार और आगजनी का मंजर देखने के बाद भाग कर बांग्लादेश में शरण लेने वाले रोहिंग्या समुदाय के ये लोग वापस भेजे जाने की डर से इधर-उधर छुप गए हैं। इन सभी को संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी के बावजूद अधिकारी इन्हें वापस भेजने पर अड़े हुए हैं।
हालांकि, बांग्लादेश के शरणार्थी आयुक्त ने 150 रोहिंग्या शरणार्थियों के पहले जत्थे को गुरुवार को वापस भेजने पर संदेह जताया है। बांग्लादेश की योजना कुल 2,260 शरणार्थियों को अभी वापस देश भेजने की है। मोहम्मद अबुल कलाम ने ‘एएफपी’ से कहा, ‘‘यूएनएचसीआर के आकलन के अनुसार, जिन 50 परिवारों का साक्षात्कार किया गया, उनमें से कोई भी मौजूदा परिस्थितियों में वापस जाने को तैयार नहीं है। कोई भी अभी वापस जाने में सुरक्षित महसूस नहीं करता।’’
कलाम ने हालांकि इस संबंध में कुछ नहीं कहा कि क्या गुरूवार को शरणार्थियों को म्यामां वापस भेजने की योजना रद्द कर दी गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें उनकी इच्छा के खिलाफ वापस नहीं भेज सकते।’’पिछले साल अगस्त में सेना की क्रूर कार्रवाई के बाद 7,20,000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों ने बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में पनाह ली थी। उनमें से अधिकतर मुसलमान हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इसे ‘‘जातीय सफाया’’ करार दिया है।
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