Russia-Africa Summit: पुतिन का पश्चिमी देशों को जवाब, खाद्यान्न संकट को लेकर वादा, अफ्रीकी यूनियन को लेकर पीएम मोदी का इरादा
पहली बार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जुलाई 2018 में जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स के नेताओं की बैठक के दौरान रूस अफ्रीकी सहयोग के लिए एक मंच बनाने के विचार को साझा किया था।
रूस को बाकी दुनिया से अलग रखने की अमेरिका और पश्चिमी देशों की मंशा को करारा झटका लगा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के होमटाउन सेंट पीटर्सबर्ग में 27-28 जुलाई को रूस-अफ्रीका सम्मेलन का आयोजन चल रहा है। रूस करीब 50 अफ्रीकी देशों की मेजबानी कर रहा है जो कृषि उत्पादों और सुरक्षा के लिए रूस पर अत्यधिक निर्भर हैं। रूस यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से जारी हुए जंग के बाद ये पहली दफा है जब इतनी बड़ी तादाद में तमाम मुल्कों के राष्ट्राध्यक्षों का जुटान हो रहा है। इससे पहले अक्टूबर 2019 में पहला रूस अफ्रीका सम्मेलन हुआ था।
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कैसे हुई इसकी स्थापना
पहली बार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जुलाई 2018 में जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स के नेताओं की बैठक के दौरान रूस अफ्रीकी सहयोग के लिए एक मंच बनाने के विचार को साझा किया था। 24 अक्टूबर 2019 को रूस और अफ्रीकी देशों की एक संयुक्त विज्ञप्ति के तहत रूसी अफ्रीकी संबंधों के विकास के समन्वय के उद्देश्य से रूस अफ्रीका साझेदारी फोरम की स्थापना की गई। इसने विशेष रूप से रूस अफ्रीका शिखर सम्मेलन को हर तीन साल में एक बार आयोजित होने वाले अपने सर्वोच्च निकाय का नाम दिया।
पुतिन ने सम्मेलन में क्या किया वादा
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने ज्यादातर अफ्रीकी देशों के नेताओं और अधिकारियों से कहा कि उनका देश इस बात की पूरी कोशिश कर रहा है कि दुनिया में खाद्यान्न संकट पैदा न हो। यूक्रेन से खाद्यान्न आपूर्ति की खेप की आवाजाही की अनुमति देने वाले समझौते से रूस के बाहर होने के बाद पूरी दुनिया में खाद्यान्न संकट पैदा होने और अनाज के दाम बढ़ने की आशंका है। पुतिन ने दो दिवसीय रूस-अफ्रीका सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में यह बात कही। हालांकि, 2019 के मुकाबले इस साल सम्मेलन में भाग लेने वाले अफ्रीकी देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकारी अधिकारियों की संख्या काफी कम थी। पुतिन ने कहा कि हमारा देश अपनी मानवीय आपूर्ति के माध्यम से जरूरतमंद देशों और क्षेत्रों की सहायता करना जारी रखेगा। हम संसाधनों के संतुलित वितरण की निष्पक्ष प्रणाली बनाने में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं। दुनिया में खाद्यान्न संकट पैदा न हो, हम इसकी पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं पहले भी कह चुका हूं कि हमारा देश यूक्रेन के अनाज का विकल्प बन सकता है, फिर चाहे पर व्यावसायिक श्रेणी में हो या फिर जरूरतमंद अफ्रीकी देशों को सहायता देने के रूप में। खास तौर से इस साल जब फिर से हम रिकॉर्ड मात्रा में फसल होने की अपेक्षा कर रहे हैं।
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अफ्रीकी यूनियन को जी20 में शामिल करने की पीएम मोदी की पहल
पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस सहित जी 20 के तमाम सदस्य देशों को पत्र लिखकर अफ्रीकी यूनियन को जी20 में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। इस साल भारत जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। रूस ने भारत के इस पहला पर अपना समर्थन जताया था। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जी20 के साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एवं व्यापारिक संगठनों में अफ्रीका को प्रतिनिधित्व देने की वकालत की है।
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