सऊदी सरकार का ऐलान- इस साल देश में रह रहे विदेशी ही कर सकेंगे हज यात्रा

hajj 2020

कोरोना महामारी के कारण सऊदी अरब ने हज सीमित कर दिया है। इस साल सिर्फ देश में रह रहे विदेशी ही हज कर सकेंगे।बहरहाल, पश्चिम एशिया में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले सऊदी अरब में हैं, जहां 161,000 लोग अब तक इस खतरनाक वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 1,307 लोगों की मौत हो चुकी है।

दुबई। पूरी दुनिया के मुसलमान हज के लिए मक्का-मदीना जाने की राह पूरे साल देखते हैं, लेकिन अब उन्हें अगले साल तक मुकद्दस (पवित्र) यात्रा के लिए इंतज़ार करना होगा। दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के कारण सऊदी अरब ने इस साल हज को सीमित कर दिया है। इस बार हज सिर्फ देशवासी और वहां रहने वाले अलग अलग मुल्कों के लोग ही कर पाएंगे। सऊदी अरब ने सोमवार देर रात कहा कि इस साल मक्का में सीमित संख्या में लोगों को हज की इजाजत होगी। देशवासियों के अलावा पहले से ही देश में मौजूद अलग अलग देशों के लोगों को हज के लिए इजाजत दी जाएगी। सऊदी अरब के हज मंत्रालय ने कहा कि दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य को बचाने के लिए हज को सीमित किया गया, क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों के जमा होने से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा होगा।

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सरकार ने कहा कि प्राथमिकता यह है कि मुस्लिम महफूज तरीके से हज कर सकें। सरकार ने हज को सीमित करने के अपने फैसले का बचाव करने के लिए इस्लाम की शिक्षाओं का हवाला दिया और कहा कि इस्लाम में इंसानी जान बचाने को तरजीह दी गई है। सरकार ने उमरा यात्रा पर भी रोक लगाई हुई है। हज को सीमित करने के फैसले की पहले से उम्मीद की जा रही थी। इस साल हज जुलाई के आखिर में शुरू होगा। यह फैसला उन लोगों के लिए झ़टका है जो हज करने के लिए पैसा जमा करते हैं और पूरे साल इंतजार करते हैं।

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हज सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं है जो मुसलमान को जिंदगी में कम से कम बार करनी चाहिए, बल्कि यह शख्स को गुनाहों से माफी का मौका भी देता है और अलग अलग तबकों के लोगों को आपस में जोड़ता है। आम तौर पर हज के लिए दुनियाभर से करीब 25 लाख लोग जुटते हैं। हर देश का उसकी मुस्लिम आबादी के हिसाब से हज यात्री भेजने का कोटा तय होता है। सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले इंडोनेशिया से 221,000 हज यात्री सऊदी अरब जाते हैं। बहरहाल, पश्चिम एशिया में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले सऊदी अरब में हैं, जहां 161,000 लोग अब तक इस खतरनाक वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 1,307 लोगों की मौत हो चुकी है। साल 1979 में मस्जिद-अल हराम (खाना-ए-काबा) को तब बंद किया गया था, जब इस्लाम में सबसे मुकद्दस स्थल में धार्मिक चरमपंथी घुस गए थे। हजारों लोग अंदर फंस गए थे और दो हफ्ते तक चली घेराबंदी में कई लोगों की मौत हुई थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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