पाकिस्तान में सिख अपनी संस्कृति बचाने के लिए संघर्षरत

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[email protected] । Sep 17 2018 2:40PM

पाकिस्तान के कराची में सिख बच्चों को इस धर्म की शिक्षा, संस्कृति और इतिहास का पाठ पढाने के लिए अपने अपार्टमेंट में अपने भाई के साथ कथित रुप से अनौपचारिक स्कूल चला रहे तरणजीत सिंह से जब उसके बारे में पूछा गया तो उनकी आखों में डर यूं ही झलक रहा था।

कराची। पाकिस्तान के कराची में सिख बच्चों को इस धर्म की शिक्षा, संस्कृति और इतिहास का पाठ पढाने के लिए अपने अपार्टमेंट में अपने भाई के साथ कथित रुप से अनौपचारिक स्कूल चला रहे तरणजीत सिंह से जब उसके बारे में पूछा गया तो उनकी आखों में डर यूं ही झलक रहा था। एम ए जिन्ना रोड पर एक आवासीय भवन के छठे तल पर इस स्कूल की छोटी सी कक्षा में सात से 14 साल के 24 बच्चे कथित रुप से पढ़ते हैं।

पाकिस्तान के एक दैनिक में इस विद्यालय के संबंध में खबर छपने के बाद जब पीटीआई संवाददाता ने तरणजीत से इस संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘अब कक्षाएं नहीं चल रही हैं क्योंकि बच्चे नहीं आ रहे हैं।’’लाल पगड़ी पहने तरणजीत सवालों का जवाब देते समय सहज नजर नहीं आ रहे थे। इस संबंध में जिन्ना रोड के मुख्य गुरुद्वारे के स्वयंसेवी मनोज सिंह ने कहा कि वे सिख बच्चों के लिए हफ्ते में पांच कक्षाएं लगाते हैं क्योंकि उनके लिए सिख मर्यादा के अनुसार शिक्षा हासिल करना अनिवार्य है।

मनोज ने कहा, ‘‘हमें उन्हें सिखधर्म, संस्कृति और इतिहास की शिक्षा देनी है।’’पाकिस्तान सिख काउंसिल के रमेश सिंह का कहना है कि तरणजीत या आम तौर पर सिख पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति की वजह से मीडिया में अपनी गतिविधियों के सार्वजनिक होने से बचते हैं। तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने अल्पसंख्यकों को जजिया नहीं देने पर चले जाने की धमकी दी थी। विद्यालयों में सिख और अन्य अल्पसंख्यकों को इस्लाम का अध्ययन करना होता है। रमेश ने कहा, ‘‘हमें कोई ऐतराज नहीं है लेकिन सिख अंतर-धार्मिक सद्भाव में यकीन करते हैं। लेकिन हम अपने धर्म, संस्कृति और इतिहास को भूलना नहीं चाहते।’’

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