भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बस नाममात्र का है: अमेरिकी न्यायाधीश

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न्यायाधीश मैक्कीना ने कहा, यह बहुत चिंताजनक है कि उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में महिलाएं बहुत कम हैं। महिलाओं के नाम पर आपके पास बस नाममात्र का प्रतिनिधित्व है। उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय को देखो, बहुत कम महिला न्यायाधीश हैं।

नयी दिल्ली।अमेरिका में हवाई की उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश सबरीना मैक्कीना ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका में उच्च स्तर पर बहुत कम महिलाएं हैं और यहां शीर्ष न्यायालय में महज तीन महिला न्यायाधीश का होना केवल नाममात्र के लिए है।उन्होंने कहा कि वह भारत के उच्चतम न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों से प्रेरित हैं जिनके लिए उनके मन में अपार सम्मान है लेकिन उनकी चिंता महिलाओं की कम संख्या को लेकर और नेतृत्व के लिहाज से भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया से जुड़ी है।

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न्यायाधीश मैक्कीना ने कहा, ‘‘यह बहुत चिंताजनक है कि उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में महिलाएं बहुत कम हैं। महिलाओं के नाम पर आपके पास बस नाममात्र का प्रतिनिधित्व है। उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय को देखो, बहुत कम महिला न्यायाधीश हैं।’’उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय रूप से भारत महिला अधिकार मुद्दों पर पिछड़ता नजर आता है।मौजूदा समय में उच्चतम न्यायालय में केवल तीन महिला न्यायाधीश आर. भानुमति, इंदु मल्होत्रा और इंदिरा बनर्जी हैं।

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अमेरिकी न्यायाधीश ने न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर भी चिंता जताई क्योंकि मौजूदा व्यवस्था से पर्याप्त महिलाएं नियुक्त नहीं हो पा रही हैं।उन्होंने कहा कि कानून स्कूलों से बदलाव शुरू होना चाहिए और महिला छात्रों को ना केवल महिलाएं बल्कि उच्च पदों पर बैठे पुरुषों को भी प्रेरित करना चाहिए।न्यायाधीश मैक्कीना ओ पी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलपति सी राज कुमार के निमंत्रण पर यहां आयी थीं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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