आपके शरीर में एक जैविक घड़ी है, जो तय करती है आपको कब खाना और कब सोना है

Body Bio Clock
Google Creative Commons.

जैविक घड़ी के अनुसार काम करना मेरे अनुसंधान के मुताबिक, यदि आप यह समझ लेते हैं कि दिन में किस समय आपके लिए व्यायाम करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा तो इससे मोटापे, टाइप-2 मधुमेह और अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों को बहुत फायदा हो सकता है।

(शोगो सातो, जीव विज्ञान के सहायक प्रोफेसर, टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी) कॉलेज स्टेशन (अमेरिका)| (द कन्वरसेशन) विमान से लंबी यात्रा के बाद थकान महसूस करने (जेट लैग) या अपनी घड़ियों को आगे-पीछे करने वाले लोग उस जैविक घड़ी से अच्छी तरह से वाकिफ होंगे, जिसे अनुसंधानकर्ता ‘मास्टर पेसमेकर’ भी कहते हैं। यह जैविक घड़ी दिनभर की आपकी शारीरिक क्रियाओं को अगले दिन से समन्वित करती है।

श्वास एवं रक्तचाप जैसी अचेतन प्रणालियों को समन्वित करने वाले मस्तिष्क के केंद्र के पास हाइपोथैलेमस में स्थित जैविक घड़ी लगभग 20,000 न्यूरॉन (तंत्रिका तंत्र की कोशिकाएं) से बनी होती है।

मनुष्य एकमात्र ऐसा प्राणी नहीं है, जिसके शरीर में जैविक घड़ी प्रणाली मौजूद होती है। सभी स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसृपों, उभयचरों और मछलियों में जैविक घड़ी प्रणाली पाई जाती है।

इसी तरह पौधे, कवक और बैक्टीरिया में भी जैविक घड़ियां होती हैं। इन जैविक घड़ियों के कारण ही बिल्लियां सुबह और शाम में सबसे अधिक सक्रिय होती हैं और दिन के निश्चित समय पर फूल खिलते हैं। शरीर में मौजूद घड़ी स्वास्थ्य के लिए भी अहम है।

यह घड़ी प्रकाश और भोजन जैसे पर्यावरणीय संकेतों के अनुसार प्रत्येक 24 घंटे के चक्र में आपके शरीर, मस्तिष्क एवं व्यवहार में आने वाले बदलावों को नियंत्रित करती है। जैविक घड़ी के कारण ही दिल का दौरा और मस्तिष्काघात (स्ट्रोक) ज्यादातर तड़के होता है

रात में काम करने जैसे बाहरी कारणों की वजह से आंतरिक घड़ी की लय में आए कई गंभीर बदलावों से मोटापे, टाइप-2 मधुमेह, कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। जैविक घड़ी किस तरह स्वास्थ्य को प्रभावित करती है? जैविक घड़ी सोने-जगने के चक्र और शरीर के तापमान एवं रक्तचाप में होने वाले उतार-चढ़ाव को नियमित करके आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

यह मुख्य रूप से आपके अंतःस्रावी तंत्र को पर्यावरणीय प्रकाश और अंधेरे के चक्र के अनुसार समन्वित करके अपना काम करती है, ताकि दिन के निश्चित समय पर निश्चित मात्रा में कुछ हार्मोन सक्रिय हो जाएं। जैविक घड़ी चयापचय क्रिया को भी प्रभावित करती है।

अनुसंधानकर्ताओं ने हालिया वर्षों में यह पता लगाने के लिए और अध्ययन किए हैं कि यह घड़ी स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है। उदाहरण के तौर पर एक अनुसंधान के निष्कर्ष बताते हैं कि दिन में निश्चित समय पर खाने से मोटापे को रोका जा सकता है।

इस घड़ी की लय में बाधा पैदा होने से अवसाद और मिजाज संबंधी अन्य विकार भी पैदा हो सकते हैं। दिन के किस समय दवा ली जाती है, इससे यह भी तय होता है कि यह दवा कितनी अच्छी तरह काम करती है और इसका दुष्प्रभाव कितना गंभीर हो सकता है।

इसी तरह, आपकी जैविक घड़ी कैंसर से जुड़ी कीमोथेरेपी और मोटापा-रोधी उपचारों के कारगर साबित होने के लिए भी अहम है। व्यायाम से सर्वाधिक लाभ लेना जैविक घड़ी यह भी बता सकती है कि आपके लिए व्यायाम करने का सर्वश्रेष्ठ समय कब है। मेरे और मेरे सहयोगियों ने चूहों पर किए एक अध्ययन में पाया कि देर शाम के बजाय तड़के व्यायाम करने से खून में ग्लूकोज का स्तर तेजी से कम होता है, जबकि शाम को व्यायाम करने से भोजन से एकत्र की गई ऊर्जा का अधिक लाभ मिलता है।

जैविक घड़ी के अनुसार काम करना मेरे अनुसंधान के मुताबिक, यदि आप यह समझ लेते हैं कि दिन में किस समय आपके लिए व्यायाम करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा तो इससे मोटापे, टाइप-2 मधुमेह और अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों को बहुत फायदा हो सकता है।

बहरहाल, जैविक घड़ी के बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है, लेकिन कुछ ऐसे जांचे-परखे तरीके हैं, जिनसे लोग बेहतर स्वास्थ्य के साथ अपनी आंतरिक घड़ी को समन्वित कर सकते हैं।

नियमित रूप से धूप सेंकने से विटामिन-डी पैदा करने वाला अंतःस्रावी तंत्र सक्रिय होता है, जिससे आप दिनभर सक्रिय रहते हैं और रात में आपको अच्छी नींद आती है। सोने से पहले कृत्रिम रोशनी का स्तर घटाकर और कैफीन से परहेज करके भी अच्छी नींद हासिल करने में मदद मिलती है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़