International Highlights: अमेरिकी इतिहास में दर्ज वो दिन, जिसे चाहकर भी नहीं भुला सकती दुनिया
दुनिया के सबसे ताकतवर देश माने जाने वाले अमेरिका के इतिहास में हुए अब तक के सबसे भयावह आतंकवादी हमले की आज 20वीं बरसी है। 11 सितम्बर 2001 के दिन आतंकवादियों ने यात्री विमानों को मिसाइल की तरह इस्तेमाल करते हुए अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध वर्ल्ड ट्रेड टॉवर और पेंटागन को निशाना बनाया था।
दुनिया के सबसे ताकतवर देश माने जाने वाले अमेरिका के इतिहास में हुए अब तक के सबसे भयावह आतंकवादी हमले की आज 20वीं बरसी है। 11 सितम्बर 2001 के दिन आतंकवादियों ने यात्री विमानों को मिसाइल की तरह इस्तेमाल करते हुए अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध वर्ल्ड ट्रेड टॉवर और पेंटागन को निशाना बनाया था। इस आतंकी हमलें में हजारों लोगों की मौत हुई थी।
9/11- अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा आतंकी हमला, कभी नहीं भुल पाएंगे अमेरिकी
इतिहास में 11 सितंबर का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के सीने पर इस दिन हुए घातक आतंकी हमले ने एक ऐसा जख्म दिया, जिसकी टीस रहती दुनिया तक कायम रहेगी। 2001 को 11 सितंबर के दिन आतंकवादियों ने यात्री विमानों को मिसाइल की तरह इस्तेमाल करते हुए अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध वर्ल्ड ट्रेड टॉवर और पेंटागन को निशाना बनाया। इसे अमेरिका के इतिहास के सबसे बड़े आतंकी हमले के तौर पर देखा जाता है। इसके अलावा 11 सितंबर की तारीख को स्वामी विवेकानंद के एक चर्चित भाषण से जोड़कर देखा जाता है, जो उन्होंने 1893 को अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर यह बुराइयां न होतीं तो दुनिया आज से कहीं बेहतर जगह होती।
अमेरिका में मुस्लिम, सिख आदि लोगों के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी: कांग्रेस सदस्य
भारतवंशी अमेरिकी प्रमिला जयपाल समेत कांग्रेस की महिला सदस्यों के एक समूह ने शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें 11 सितंबर के हमले के दो दशक बाद भी पूरे अमेरिका में अरब, पश्चिम एशिया, दक्षिण एशिया मूल के लोगों और मुस्लिमों तथा सिखों के खिलाफ नफरत, भेदभाव और नस्लवाद को स्वीकारा गया है। प्रस्ताव में सांसदों प्रमिला जयपाल, इल्हान उमर, राशिदा तलैब और जूडी चू ने स्वीकार किया कि लोगों के धर्म, जाति, राष्ट्रीयता और आव्रजन स्तर के आधार पर सरकार ने उन्हें निशाना बनाया।
9/11 बरसी: बाइडेन ने लोगों से एकजुटता की अपील की, तीनों घटनास्थलों पर भी जाएंगे
राष्ट्रपति जो बाइडन ने 20 साल पहले, 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के इतिहास में हुए अब तक के सबसे भयावह आतंकवादी हमले में मारे गए गए लोगों को याद करते हुए राष्ट्र से सहयोग की उस भावना को पुनः प्राप्त करने की अपील की जो आतंकवादी हमलों के बाद के दिनों में उभरी थी। जब अपहर्ताओं ने चार विमानों का अपहरण करके, देश के सबसे भीषण आतंकी हमले को अंजाम दिया तब बाइडन सीनेटर थे और अब वह कमांडर इन चीफ के रूप में पहली बार 9/11 की बरसी मना रहे हैं।
मेक्सिको सिटी के निकट भूस्खलन में एक की मौत, 10 लोग लापता
मेक्सिको शहर के बाहरी इलाके में शुक्रवार को पहाड़ के दरक जाने से घनी आबादी वाले इलाके में बड़े-बड़े पत्थर गिरे और इस घटना में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई तथा 10 लोग लापता हैं। भूस्खलन के कारण यहां तीन मंजिला इमारत की ऊंचाई के बराबर मलबा जमा हो गया और दमकलकर्मी इस मलबे में दबे लोगों को निकालने के प्रयास कर रहे हैं।
11 सितंबर 2001 की वो स्याह तारीख को भला कौन भूल सकता है। जब 20 साल पहले आतंकियों ने इसी दिन सुपर पॉवर मुल्क कहे जाने वाले अमेरिका की बुनियाद हिला कर रख दी थी। उस दिन आतंकवादियों ने अमेरिका का गुरूर कहे जाने वाली इमारत का वजूद ही खत्म कर दिया था। लेकिन आज हम बात अमेरिका में हुए हमले की नहीं करेंगे बल्कि आपको ऐसी कहानी सुनाएंगे जब एक देश के राष्ट्रपति भवन पर रॉकेट और बमों से हमला किया गया था। दक्षिण अमेरिकी में एंडिज पर्वत और प्रशांत महासागर के बीच स्थित देश चिली, जिसके उत्तर में पेरु, उत्तर-पूर्व में बोलीविया, पूर्व में अर्जेन्टीना और दक्षिण छोर पर ड्रेक पैसेज स्थित है।
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