पारंपरिक औषधि का वैश्विक केंद्र भारत में स्थापित : डब्ल्यूएचओ

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उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार ने पारंपरिक औषधि के लिए डब्ल्यूएचओ का वैश्विक केंद्र स्थापित करने के लिये समझौता किया है। पारंपरिक औषधि के लिए वैश्विक ज्ञान केंद्र स्थापित करने के लिए भारत सरकार ने 25 करोड़ डॉलर के निवेश के जरिये सहायता की है।

 संयुक्त राष्ट्र/ जिनेवा| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और भारत सरकार ने मिलकर गुजरात के जामनगर में पारंपरिक औषधि का वैश्विक केंद्र स्थापित किया है ताकि प्रैक्टिस और उत्पादों के प्रभाव के संबंध में भरोसेमंद साक्ष्य और आंकड़े जुटाए जा सकें। यह बात विश्व स्वास्थ्य निकाय के प्रमुख ने सोमवार को कही।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधनोम गेब्रेयेसस ने कहा, ‘‘लगभग 90 प्रतिशत सदस्य देशों के पांरपरिक औषधि के इस्तेमाल को मान्यता देते हुए पिछले महीने ही हमने पारंपरिक औषधि का वैश्विक केंद्र भारत में स्थापित किया है, ताकि प्रैक्टिस और उन उत्पादों के प्रभाव के संबंध में भरोसेमंद साक्ष्य और आंकड़े जुटाए जा सकें,जिनका इस्तेमाल करोड़ों लोग करते हैं।’’ उन्होंने यह बात विश्व स्वास्थ्य सभा के 75वें सत्र के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही।

उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार ने पारंपरिक औषधि के लिए डब्ल्यूएचओ का वैश्विक केंद्र स्थापित करने के लिये समझौता किया है। पारंपरिक औषधि के लिए वैश्विक ज्ञान केंद्र स्थापित करने के लिए भारत सरकार ने 25 करोड़ डॉलर के निवेश के जरिये सहायता की है। इसका उद्देश्य आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के जरिये दुनिया भर से पारंपरिक औषधि की क्षमता का दोहन करना है।

एक अनुमान के मुताबिक दुनिया की 80 प्रतिशत आबादी पारंपरिक औषधि का इस्तेमाल करती है। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि उसे 194 सदस्य देशों में से 170 ने बताया कि वे पारंपरिक औषधि का इस्तेमाल करते हैं।

विश्व निकाय ने बताया कि इन देशों की सरकारों ने प्रैक्टिस और उत्पादों के प्रभाव के संबंध में भरोसेमंद साक्ष्य और आंकड़े जुटाने के लिये डब्ल्यूएचओ से सहायता मांगी थी। पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डब्ल्यूएचओ प्रमुख और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के साथ जामनगर में वैश्विक केंद्र की आधारशिला रखी थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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