चीन के अतिक्रमण और पाक सरकार के अत्याचारों के खिलाफ ग्वादर से गदर की गूंज, बैकफुट पर जिनपिंग और इमरान
ग्वादर में बलूची लोगों को प्रवेश करने के लिए ठीक उसी तरह से परमिट लेने की जरूरच पड़ रही है जिस तरह से एक देश से दूसरे देश में जाने के लिए वीजा की आवश्यकता होती है। यह प्रदर्शन ग्वादर में चीन की बढ़ती मौजूदगी के विरूद्ध असंतोष का हिस्सा है।
ब्लूचिस्तान के ग्वादर में लोगों और महिलाओं का भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। विरोध प्रदर्शन में हजारों महिलाएं भी शामिल हैं। पिछले 20 दिनों से चीन के अतिक्रमण और पाकिस्तान सरकार के अत्याचार के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन चल रहा है।पाकिस्तान की जनता देश में चीन की मौजूदगी और उसके बेल्ट एंड रोड परियोजना से काफी परेशान हैं। दरअसल, पाकिस्तान के ग्वादर में चीन की परियोजनाओं की वजह से जगह-जगह पर अनावश्यक चौकियां बनाई गई है। ग्वादर को कांटेदार बाड़ से घेर दिया गया है। ग्वादर में बलूची लोगों को प्रवेश करने के लिए ठीक उसी तरह से परमिट लेने की जरूरच पड़ रही है जिस तरह से एक देश से दूसरे देश में जाने के लिए वीजा की आवश्यकता होती है। यह प्रदर्शन ग्वादर में चीन की बढ़ती मौजूदगी के विरूद्ध असंतोष का हिस्सा है। ग्वादर बंदरगाह 60 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (सीपीईसी) का अहम हिस्सा है।
गौरतलब है कि ग्वादर बंदरगाह का उद्धाटन सबसे पहले 2002 में हुआ था। जब इसे चीन और पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) परियोजना का हिस्सा बनाया गया। तब फिर से इसका उद्घाटन हुआ। ग्वादर के लोगों से वादा किया गया था कि इस परियोजना से उनकी और पाकिस्तान की जनता की जिंदगी बदल जाएगी। लेकिन वर्तमान दौर में आलम ये है कि यहां पानी और बिजली की भारी किल्लत हो गई है और अवैध मछली पकड़ने से आजीविका पर खतरा आ गया है। जिसकी वजह से यहां के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है।
सरकार ने साध रखी चुप्पी
ग्वादर आंदोलन को लेकर भले ही पाकिस्तानी मीडिया में सरकार के इशारे पर कवरेज नहीं मिल रही हो। लेकिन सोशल मीडिया पर लोग काफी सक्रिय हैं। इसके अलावा सीपीईसी पर आंदोलन और पैसे की कमी की वजह से काम भी बंद है। लिहाजा, पाकिस्तान और चीन सरकार पर भी दबाव है। यही वजह है कि बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारियों को बातचीत का प्रस्ताव दिया है।
अन्य न्यूज़