तुर्कीः तख्तापलट के विफल प्रयास के पीड़ितों के नाम पर पुल का नाम
तुर्की के प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश इस्तांबुल की बोसफोरस स्ट्रेट पर बने पुल का नाम बदलकर इसे बीते 15 जुलाई को हुई तख्तापलट की नाकाम कोशिश के पीड़ितों के नाम पर करने वाला है।
अंकारा। तुर्की के प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश इस्तांबुल की बोसफोरस स्ट्रेट पर बने पुल का नाम बदलकर इसे बीते 15 जुलाई को हुई तख्तापलट की नाकाम कोशिश के पीड़ितों के नाम पर करने वाला है। तख्तापलट की इस कोशिश का उद्देश्य राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एरदोगन को सत्ता से हटाना था। तुर्की के प्रधानमंत्री बिनाली यिल्दीरिम ने कल देर रात हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि वर्ष 1973 में खुला यह पुल अब तक बोसफोरस ब्रिज के नाम से जाना जाता था। अब इसे 15 जुलाई के शहीदों के नाम पर 15 जुलाई के मार्टियर्स ब्रिज के रूप में जाना जाएगा।
उन्होंने कहा कि नाम बदलने के लिए इस पुल को इसलिए चुना गया क्योंकि 15 जुलाई की रात को ‘‘तख्तापलट की साजिश रचने वालों का पहला निशाना’’ यह पुल ही था। इसका नतीजा कई नागरिकों की मौतों के रूप में सामने आया। यह पुल यूरोप को एशिया से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण सामरिक स्थल है। 15 जुलाई की रात को सशस्त्र विद्रोही सैनिकों ने इसे अवरूद्ध कर दिया था। यह इस्तांबुल के निवासियों को मिले शुरूआती संकेतों में से एक था कि तख्तापलट चल रहा है। हमलावर हेलीकॉप्टरों की मदद से इन सैनिकों ने एरदोगन के समर्थकों की भीड़ पर गोलीबारी की। यह भीड़ पुल पर जुट आई थी। इतनी विशाल भीड़ को विरोध प्रदर्शन करते देख विद्रोहियों ने पुल पर आत्मसमर्पण कर दिया था।
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