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अमेरिका ने भारत को नौ करोड़ डॉलर के सैन्य उपकरणों की बिक्री को मंजूरी दी
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- दिसंबर 4, 2020 18:52
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अमेरिका ने भारत को नौ करोड़ डॉलर के सैन्य उपकरणों और सेवाओं की बिक्री को मंजूरी दी है। डीएससीए ने अमेरिकी कांग्रेस को एक प्रमुख बिक्री अधिसूचना जारी कर कहा कि हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति एवं आर्थिक प्रगति के लिए भारत एक महत्वपूर्ण शक्ति बना हुआ है।
वाशिंगटन। अमेरिका ने अपने सी-130जे सुपर हरक्यूलिस सैन्य परिवहन विमान के बेड़े की मदद के रूप में भारत को नौ करोड़ डॉलर के सैन्य उपकरणों और सेवाओं की बिक्री की मंजूरी दे दी है। रक्षा विभाग की रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह प्रस्तावित बिक्री अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने तथा एक ‘प्रमुख रक्षा साझेदार’ की सुरक्षा को दुरुस्त करने में मदद करके अमेरिका की विदेश नीति एवं राष्ट्रीय सुरक्षा का समर्थन करेगी। डीएससीए ने अमेरिकी कांग्रेस को एक प्रमुख बिक्री अधिसूचना जारी कर कहा कि हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति एवं आर्थिक प्रगति के लिए भारत एक महत्वपूर्ण शक्ति बना हुआ है।
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भारत ने जो अनुरोध किये हैं, उनमें विमानों में खप सकने वाले कलपुर्जे और मरम्मत तथा वापसी वाले पुर्जे, कारट्रिज एक्चुएटिड उपकरण या प्रोपेलेंट एक्चुऐटिड उपकरण (सीएडी या पीएडी), अग्निशमन कारट्रिज, आधुनिक रडार चेतावनी रिसीवर शिपसेट और जीपीएस आदि शामिल हैं। इनकी कुल कीमत नौ करोड़ डॉलर है। पेंटागन ने कहा कि प्रस्तावित बिक्री सुनिश्चित करेगी कि पहले खरीदे जा चुके विमान भारतीय वायु सेना, सेना और नौसेना की परिवहन जरूरतों, स्थानीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता तथा क्षेत्रीय आपदा राहत के लिए प्रभावी तरीके से काम कर सकें। उसने कहा कि उपकरणों और सेवाओं की यह बिक्री वायु सेना को सी-130जे परिवहन विमानों के संदर्भ में मिशन के लिहाज से तैयार रहने की स्थिति में रखेगी। भारत को इस अतिरिक्त सहायता को प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं आएगी। पेंटागन के अनुसार इन उपकरणों की प्रस्तवित बिक्री क्षेत्र में मूलभूत सैन्य संतुलन को नहीं बदलेगी। प्रमुख अनुबंधकर्ता लॉकहीड-मार्टिन कंपनी (जॉर्जिया) होगी। अमेरिका ने 2016 में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत को ‘प्रमुख रक्षा साझेदार’ घोषित किया था।
खलीलजाद से अफगानिस्तान शांति वार्ता जारी रखने को कहा गया : ब्लिंकन
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 12:20
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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन नेपूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत के तौर पर नियुक्त ज़लमी खलीलजाद से अफगानिस्तान में शांति वार्ता जारी रखने को कहा है।
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन नेपूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत के तौर पर नियुक्त ज़लमी खलीलजाद से अफगानिस्तान में शांति वार्ता जारी रखने को कहा है। अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने बुधवार को यह जानकारी दी।
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विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने संवाददताओं से कहा कि बाइडन प्रशासन ने तालिबान के साथ शांति समझौते की समीक्षा की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक अफगानिस्तान की बात है तो हमें एक चीज समझनी बहुत जरूरी है कि अमेरिका और तालिबान के बीच अब तक क्या सहमतियां बनी हैं। ताकि इस बात को अच्छे से समझा जा सके कि तालिबान ने क्या-क्या वादे किए हैं और क्या हमने भी कोई वादा किया है।’’ शांति समझौते के संबंध में ही पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस संबंध में खलीलजाद को अपना काम जारी रखने को कहा है।
Biden reviewing latest actions taken during Trump's term, says Blinken
— ANI Digital (@ani_digital) January 27, 2021
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मुहिम चर्चा का विषय : लिंडा
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 11:42
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अमेरिका के तीन पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मुहिम का समर्थन करता है।
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा संयुक्त राष्ट्र की दूत के तौर पर नामित लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के संबंध में नए प्रशसन के स्पष्ट समर्थन का संकेत नहीं दिया। वहीं अमेरिका के तीन पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मुहिम का समर्थन करता है। इस पद के लिए नामित होने से पहले थॉमस-ग्रीनफील्ड 35 साल से अधिक विदेश सेवा में बिता चुकी हैं।
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संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की दूत के पद के लिए अपने नाम पर सहमति को लेकर सीनेट की विदेश मामलों की समिति के समक्ष सुनवाई के दौरान उन्होंने सांसदों से कहा कि यह चर्चा का विषय है। सुनवाई के दौरान ओरेगन से सीनेटर जेफ मर्कले ने थॉमस-ग्रीनफील्ड से पूछा, ‘‘क्या आप सोचती हैं कि भारत, जर्मनी, जापान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए।’’ इस पर थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा, ‘‘ सुरक्षा परिषद में उनकी सदस्यता पर कुछ चर्चा हो चुकी है और इसके लिए कुछ मजबूत दलीलें भी हैं।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह भी जानती हूं कि ऐसे अन्य (देश) भी हैं जो इन देशों के अपने-अपने क्षेत्र का प्रतिनिधि बनने से असहमत हैं। यह भी चर्चा का विषय है।’’ बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र में दूत के पद को कैबिनेट स्तर का पद घोषित किया है। राष्ट्रपति बाइडन ने पिछले साल अपने चुनाव प्रचार के दौरान संयुक्त राष्ट्र संरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन का अपना वादा दोहराया था। थॉमस-ग्रीनफील्ड ने एक अन्य सवाल के जवाब में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन किया। भारत वर्तमान में दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत के कार्यकाल की शुरुआत इस साल जनवरी से शुरू हो गयी।
रूस में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर चिंतित है अमेरिका: ब्लिंकन
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 11:29
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विदेश मंत्री का पदभार संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में ब्लिंकन ने कहा, ‘‘ हम पहले ही नवलनी के साथ हुए व्यवहार और रूस में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।
वाशिंगटन। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने बुधवार को कहा कि रूस में मानवाधिकारों की स्थिति और विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की सुरक्षा को लेकर अमेरिका चिंतित है। विदेश मंत्री का पदभार संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में ब्लिंकन ने कहा, ‘‘ हम पहले ही नवलनी के साथ हुए व्यवहार और रूस में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। यह बात भी बार-बार मेरे जहन में आती रहती है कि रूस की सरकार एक आदमी, नवलनी से कितनी डरी एवं भयभीत है।’’
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उन्होंने कहा कि अमेरिका इन सभी मामलों पर गौर कर रहा है और यह चिंता का विषय है। नवलनी को ‘नर्व एजेंट’ (जहर)दिए जाने का मामला भी चिंताजनक है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक एवं विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी को पिछले वर्ष अगस्त में जहर दिया गया था, जिसके चलते वह गंभीर रूप से बीमार पड़ गये थे और जर्मनी में उनका उपचार हुआ था। नवलनी ने घटना के लिए रूस की सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। जर्मनी से आते ही नवलनी को मास्को हवाईअड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
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विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हम अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों की हत्या के लिए रूस के इनाम घोषित करने की खबरों पर भी गौर कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जैसा कि मैंने कहा है, हम नवलनी की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। मुद्दा यह है कि वह कई रूसी लोगों की आवाज हैं और उसे सुने जाने की जरूरत है ना की दबाने की।

