अमेरिका की देशों से एससीएस में भड़काऊ कदम नहीं उठाने की अपील

[email protected] । Jul 13 2016 10:59AM

अमेरिका ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में देशों से अपील की है कि वे एससीएस पर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले के बाद विवादित क्षेत्र में भड़काऊ या स्थिति को बिगाड़ने वाले कदम नहीं उठाएं।

वाशिंगटन। अमेरिका ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में देशों से अपील की है कि वे दक्षिण चीन सागर (एससीएस) पर अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के निर्णायक फैसले के बाद विवादित क्षेत्र में ‘‘भड़काऊ या स्थिति को बिगाड़ने वाले’’ कदम नहीं उठाएं। हेग स्थित स्थाई मध्यस्थता न्यायायालय (पीसीए) ने अपने आदेश में दक्षिण चीन सागर के विवादित क्षेत्रों के आसपास चीन के दावों को अवैध करार दे दिया है। दक्षिण चीन सागर के करीब 90 प्रतिशत क्षेत्र पर कब्जा स्थापित करने की चीन की कोशिशों को फिलीपीन ने वर्ष 2013 में चुनौती दी थी। चीन ने आदेश मानने या लागू करने से इनकार कर दिया है।

व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मंगलवार को डलास जाते समय संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम निश्चित ही सभी पक्षों को प्रोत्साहित करेंगे कि वे इस न्यायाधिकरण की अंतिम एवं बाध्यकारी प्रकृति को स्वीकार करें। हम निश्चित ही सभी पक्षों से अपील करेंगे कि वे इसका इस्तेमााल स्थिति को और बिगाड़ने वाले या भड़काऊ कदम उठाने के मौके के तौर पर नहीं करें।’’

अर्नेस्ट ने कहा कि अमेरिका दक्षिण चीन सागर के किसी भी क्षेत्र का दावेदार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा हित क्षेत्र में विवादों एवं प्रतिस्पर्धी दावों के शांतिपूर्ण समाधान की इच्छा में निहित है।’’ अर्नेस्ट ने कहा कि अमेरिका विश्व के इस क्षेत्र में वाणिज्य का मुक्त प्रवाह एवं नौवहन की स्वतंत्रता सुरक्षित रखना चाहता है।’’ उन्होंने दक्षिण चीन सागर को रणनीतिक रूप से विश्व का एक अहम क्षेत्र बताते हुए कहा कि यह अरबों डॉलर के वाणिज्य का भी मार्ग है। अर्नेस्ट ने कहा, ‘‘अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए यह आवश्यक है कि वाणिज्य का प्रवाह बाधित नहीं हो इसलिए हमने यह स्पष्ट करने के लिए कई प्रयास किए हैं कि हम दावेदार नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम दावों में किसी का पक्ष नहीं ले रहे हैं लेकिन हम सभी प्रासंगिक दावे (जिनमें से कई दावे प्रतिस्पर्धी हैं) पेश करने वाले पक्षों से मजबूती से अपील करते हैं कि वे अपने मतभेद शांतिपूर्वक और न्यायाधिकरण जैसी स्थापित प्रक्रियाओं के जरिए सुलझाएं।’’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि यदि चीन फैसले का पालन नहीं करता है तो यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होगा। किर्बी ने कहा, ‘‘दुनिया अब यह देख रही है कि ये दावेदार क्या करेंगे। दुनिया यह देख रही है कि क्या चीन वास्तव में वैश्विक शक्ति है, जो होने का वह स्वयं दावा करता है और क्या वह एक जिम्मेदार शक्ति है, जो होने का वह दावा करता है। दुनिया यह देख रही है।’’

किर्बी ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि चीन ने यह तर्क दिया है कि वे इसका पालन नहीं करेंगे। मैंने यह बात ऊंची और स्पष्ट आवाज में सुनी है लेकिन इससे यह तथ्य बदल नहीं जाता कि यह अब भी कानूनी रूप से बाध्यकारी कर्तव्य है। दुनिया की यह उम्मीद है कि चीन कानूनी रूप से बाध्यकारी आदेश का पालन करेगा।’’ व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में एशियाई मामलों के वरिष्ठ निदेशक डेनियल जे क्राइटेनब्रिंक ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि दक्षिण चीन सागर के दावेदार न्यायाधिकरण के फैसले का उपयोग अपने समुद्री विवादों को शांतिपूर्वक निपटाने के प्रयास शुरू करने के नए अवसर के तौर कर सकते हैं और उन्हें ऐसा करना चाहिए।

विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि न्यायाधिकरण ने ‘‘बहुत व्यापक एवं निर्णायक फैसला’’ सुनाया है। अधिकारी ने कहा कि अमेरिका का दृढ़ रूप से यह मानना है कि एक बार विवाद थम जाए तो इस फैसले से दक्षिण चीन सागर में विभिन्न पक्षों के बीच बहुत ही व्यवहारिक एवं सार्थक बहस का रास्ता खुल जाएगा।

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