अमेरिका ने चीन की एक सरकारी कंपनी पर लगाई पाबंदियां, सैन्य संपत्ति से संबधित चल रही थी परियोजना

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अमेरिका ने कंबोडिया में भ्रष्टाचार के लिए चीनी कंपनी पर पाबंदी लगा दी है।विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार को कहा, कि आज की कार्रवाई दिखाती है कि कैसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए कंपनियों का इस्तेमाल कर रही है।

वाशिंगटन। अमेरिका ने विकास परियोजना के लिए कंबोडिया में भूमि हथियाने और भ्रष्ट गतिविधियों के आरोप में चीन की एक सरकारी कंपनी पर पाबंदियां लगा दी है। अमेरिका का कहना है कि इस परियोजना का इस्तेमाल सैन्य संपत्ति के तौर पर किया जा सकता है। विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार को कहा, डारा सकोर में तटीय विकास परियोजना को लेकर विश्वसनीय खबरें है कि इसका इस्तेमाल चीन की सेना की संपत्ति के तौर पर किया जा सकता है और अगर ऐसा होता है तो यह कंबोडिया के संविधान के खिलाफ है तथा हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा है, यह कंबोडिया की संप्रभुत्ता और हमारे सहयोगियों की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज की कार्रवाई दिखाती है कि कैसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए कंपनियों का इस्तेमाल कर रही है और अवैध आर्थिक लाभ के लिए बेगुनाह लोगों के खिलाफ सैन्य बल का इस्तेमाल करने के वास्ते भ्रष्ट अधिकारियों के जरिए काम करा रही है।

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पोम्पिओ ने कहा कि कंबोडिया सरकार ने चीन की यूनियन डेवलपमेंट ग्रुप (यूडीजी) को 2008 में एक विकास परियोजना के लिए जमीन का 99 साल का पट्टा दिया था। इस भूमि में देश की तट रेखा का करीब 20 फीसदी हिस्सा शामिल है। वित्त मंत्री स्टीवन मनुचिन ने कहा कि कंपनी ने जमीन लेने के लिए खुद को कंबोडिया की स्वामित्व वाली कंपनी दिखाया और भूमि मिलने के बाद यूडीजी अपनी असल मिल्कियत में आ गई जो चीनी की है। उन्होंने कहा कि जहां भी ऐसा किया जाएगा, उसे निशाना बनाने के लिए अमेरिका अपने सारे प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए प्रतिबद्ध है। पोम्पिओ ने आरोप लगाया कि कंबोडिया की सेना के पूर्व अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर कंबोडिया की सेना ने हिंसक हथकंडे अपना कर जमीन को पट्टे पर देने को मंजूरी दे दी। उन्होंने कहा कि शाही कंबोडियाईसशस्त्र बल के पूर्व प्रमुख कुम किम को यूडीजी के साथ संबंधों का काफी फायदा हुआ।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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