चीन की कोविड जीरो पॉलिसी से नागरिक बेहाल, पेकिंग यूनिवर्सिटी के छात्रों ने किया विरोध प्रदर्शन, याद आया 1989 का नरसंहार !
वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि छात्र बीजिंग में कोरोना प्रतिबंधों से काफी ज्यादा नाखुश हैं और वो शी जिनपिंग सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं। पेकिंग यूनिवर्सिटी के एक छात्रावास के परिसर में छात्र-छात्राएं एकत्रित हो गए और 'वही आवास ! वही अधिकार!' के जमकर नारे लगाए।
बीजिंग। चीन में कोरोना महामारी से बुरी तरह से जूझ रहा है। ऐसे में चीनी सरकार कोरोना के मामलों को रोकने के लिए सख्त कदम उठा रही है। जिसको लेकर अब स्थानीय लोगों के साथ-साथ छात्रों का गुस्सा भी भूटने लगा है। बीजिंग की मशहूर पेकिंग यूनिवर्सिटी के छात्रों ने कोविड जीरो पॉलिसी पर नाराजगी जताई है। जिसका वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर वायरल हो रहा है। हालांकि वीडियो जैसे ही वायरल हुआ चीनी सरकार ने सेंसरशिप शुरू कर दी और उन्हें सोशल मीडिया से हटाया जाने लगा।
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वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि छात्र बीजिंग में कोरोना प्रतिबंधों से काफी ज्यादा नाखुश हैं और वो शी जिनपिंग सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं। पेकिंग यूनिवर्सिटी के एक छात्रावास के परिसर में छात्र-छात्राएं एकत्रित हो गए और 'वही आवास ! वही अधिकार!' के जमकर नारे लगाए। वीडियो को जॉन एलेक्ना ने ट्विटर पर पोस्ट किया, जो पेकिंग यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर हैं।
जॉन एलेक्ना ने कहा कि वानलियू परिसर में छात्रों में गहरा रोष है। उन्होंने ट्वीट किया कि बीडा के वानलियू परिसर में गहरी नाखुशी है जहां छात्रों को हफ्तों से बंद कर दिया गया है। अधिक दीवारें बनाई जा रही हैं, जिसकी वजह से भीड़ उमड़ पड़ी। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, पेकिंग यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रों ने कहा कि छात्र नाराज थे क्योंकि कोविड प्रतिबंधों की वजह से उन्हें कैंपस के एक हिस्से तक ही सीमित रखा गया है। लाइब्रेरी और लेबोरिटी जाने से भी रोक दिया गया था। हालांकि छात्र प्रदर्शन के बाद नियमों में ढील दी गई है।
क्या छात्रों से प्रदर्शन से डरेगी चीनी सरकार ?
चीन में शी जिनपिंग के नेतृत्व वाली सरकार है, जो अक्सर तानाशाही रवैया अपनाती है और लोगों को खुलकर जीने नहीं देती है। ऐसे में छात्रों ने चीनी सरकार को डराने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। क्योंकि चीन में पहले भी छात्रों के प्रदर्शनों से बदलाव आया है। ऐसे में सरकार कोई भी गलती नहीं करना चाहेगी। आपको बता दें कि साल 1919 और 1989 में छात्रों ने मोर्चा संभाला था और पेकिंग यूनिवर्सिटी में हुए विरोध प्रदर्शन ने उसी दौर की याद दिला दी।
साल 1919 में वर्साय संधि की शर्तों के विरोध में छात्रों ने मोर्चा संभाला था। उस वक्त पेकिंग में 5,000 से ज्यादा छात्र एकत्रित हो गए और शंघाई में भी प्रदर्शन हुए। जिसने सरकार की रातों की नींद उड़ा दी थी। दरअसल, इस प्रदर्शन में जापान को चीन का एक हिस्सा दिए जाने को लेकर विरोध हो रहा था। जबकि साल 1989 में तियानमेन स्क्वायर पर सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए थे। जिसको देखते हुए चीनी सरकार ने मॉर्शल लॉ लागू कर दिया था और देखते ही देखते लोकतांत्रिक सुधारों की मांग कर रहे छात्रों के प्रदर्शनों को कुचल दिया गया।
सरकारी आंकड़ो के मुताबिक, तियानमेन स्क्वायर में 200 लोगों की मौत हुई जबकि 7000 हजार से अधिक लोग जख्मी हुए। यह अपने आपमें नरसंहार से कम नहीं था। उस वक्त विरोध करने वाले छात्र भी पेकिंग यूनिवर्सिटी के थे। चीन में यह यूनिवर्सिटी महत्वपूर्ण प्रदर्शनों और राजनीतिक आंदोलनों के लिए जानी जाती है।
Deep unhappiness at Beida’s 万柳 campus where students have been locked up for weeks. More walls being built brought out a crowd—the construction may have been stopped. pic.twitter.com/xfUsdKI6rh
— John Alekna (@JohnAlekna) May 15, 2022
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