WHO ने इबोला वायरस के प्रकोप को वैश्विक स्वास्थ्य आपदा घोषित किया
कांगो गणराज्य में इबोला के प्रकोप ने अब अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा का रूप ले लिया है। इस हफ्ते विषाणु के 20 लाख आबादी वाले एक शहर में पहुंचने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसकी घोषणा की।
जिनेवा। कांगो गणराज्य में इबोला के प्रकोप ने अब अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा का रूप ले लिया है। इस हफ्ते विषाणु के 20 लाख आबादी वाले एक शहर में पहुंचने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसकी घोषणा की। डब्ल्यूएचओ की विशेषज्ञ समिति इससे पहले तीन मौकों पर संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी को इस प्रकोप के संबंध में घोषणा करने की सलाह देने से इनकार कर चुकी थी जबकि अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि आपदा घोषित करने के लिए सभी जरूरी बातें मौजूद हैं।
The Ebola outbreak in the Democratic Republic of Congo is a 'public health emergency of international concern,' the World Health Organization has warned.
— AFP news agency (@AFP) July 18, 2019
'It is time for the world to take notice,' WHO chief Tedros Adhanom Ghebreyesus said https://t.co/Bu2AYlwvGB pic.twitter.com/Ag4U0TLfNT
इतिहास में इबोला ने अगस्त में दूसरी बार इतना घायत रूप दिखाया और 1,600 लोगों की जान ले ली। यह ऐसे क्षेत्र की तरफ बढ़ रहा है जिसे युद्ध ग्रस्त क्षेत्र माना जाता है। वैश्विक स्वास्थ्य आपदा की घोषणा से अक्सर अंतरराष्ट्रीय मदद एवं ध्यान खींचा जाता है साथ ही ये चिंताएं भी होती हैं कि प्रभावित सरकारें सीमाओं को बंद न कर दें। गोमा में विषाणु की पुष्टि होने के बाद बुधवार को यह घोषणा की गई। गोमा रवांडा सीमा पर पूर्वोत्तर कांगो में महत्वपूर्ण शहर है जो एक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से लगता है। बीमारी फैलने को लेकर चिंताएं उस वक्त और बढ़ गईं जब कांगो का एक बीमार मछली व्यापारी युगांडा गया और इन लक्षणों के साथ वापस आया तथा बाद में इबोला के चलते उसकी मौत हो गई।
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डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एदहानोम घेब्रेयीसस ने जिनेवा में घोषणा के बाद कहा कि क्षेत्र में इसके फैलने का खतरा बहुत ज्यादा है लेकिन क्षेत्र के बाहर आशंका कम है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आपदा को, “उन लोगों को दंडित करने या कलंकित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए जिन्हें हमारी मदद की बहुत ज्यादा जरूरत है।” टेड्रोस ने कहा कि घोषणा ज्यादा राशि जुटाने के लिए नहीं की गई है हालांकि डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि इस माहमारी को रोकने के लिए “करोड़ों’’ डॉलर की जरूरत पड़ेगी।
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