मुस्लिम देश नहीं रहेगा बांग्लादेश? लगातार घट रही हिंदुओं की आबादी के बीच क्या दोबारा लागू होगा 1972 का संविधान

Bangladesh
अभिनय आकाश । Oct 21 2021 7:37PM

बांग्लादेश के सूचना राज्य मंत्री मुराद हसन ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश है जो राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के बनाए 1972 के संविधान की तरफ वापस लौटेगा। बांग्लादेश धार्मिक कट्टपंथियों का अड्डा नहीं बन सकता है।

पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय पर एक बार फिर से हमले तेज होने की खबरें आ रही हैं। मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में इन दिनों एक झूठी अफवाह की आड़ लेकर बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडालों, मंदिरों और हिंदुओं के घरों पर जैसे भीषण हमले किए गए, उससे यही साबित होता है कि इस देश में बचे-खुचे हिंदू समुदाय के लिए रहना दूभर होता जा रहा है। इस माहौल के बीच बांग्लादेश के सूचना राज्य मंत्री मुराद हसन ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश है जो राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के बनाए 1972 के संविधान की तरफ वापस लौटेगा। बांग्लादेश धार्मिक कट्टपंथियों का अड्डा नहीं बन सकता है। 

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बांग्लादेश का धर्म इस्लाम नहीं 

 मुराद हसन ने कहा कि हमारी रगों में स्वतंत्रता सेनानियों का खून बह रहा है। किसी भी कीमत पर हमें 1972 के संविधान पर वापस लौटना होगा। उन्होंने कहा कि मैं बंगबंधु के संविधान पर वापस लौटने के लिए संसद में बोलूंगा। इस दौरान उन्होंने यहां तक कह दिया कि बांग्लादेश का धर्म इस्लाम नहीं है। 

हिन्दुओं पर बधते हमले और घटती आबादी

1971 की जंग के बाद जब बांग्लादेश का जन्म हुआ तो 1974 में जनगणना हुई। उस समय वहां मुस्लिमों की आबादी 86% तो हिंदुओं की आबादी 13.5% हो गई। 2011 में जनगणना हुई थी और उस वक्त के आंकड़ों के हिसाब से अभी वहां 8.5 फीसदी हिंदू बचे हैं। हालांकि दावा किया जाता है कि ये आबादी पर घटकर 6 फीसदी के करीब हो गई है। पिछले 9 साल में हिंदुओं पर 3600 से ज्यादा हमले हुए हैं।   

क्या है 1972 का संविधान

बांग्लादेश में 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर एक नया देश बना था। 4 नवंबर 1972 को बांग्लादेश का संविधान बना और उसे धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया। लेकिन 1977 में बांग्लादेश ने संविधान में संशोधन कर खुद को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया। 

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