यति एयरलाइंस विमान हादसे की वजह फ्लैप का पूरा नहीं खुलना हो सकता है: रिपोर्ट

Yeti Airlines plane crash
प्रतिरूप फोटो
ANI

अखबार ‘काठमांडू पोस्ट’ की खबर के अनुसार, उतरते समय विमान में कम गति पर अधिक नियंत्रण प्रदान करने और रुकने से रोकने के लिए पंखों के पीछे फ्लैप पूरी तरह से नीचे होता है।

काठमांडू। नेपाल के पोखरा में दुर्घटनाग्रस्त हुए यति एयरलाइंस के विमान के पायलट लैंडिंग का प्रयास करते समय विंग फ्लैप को पूरी तरह से खोलने में विफल रहे होंगे, जिससे यह स्थिर हो गया होगा। मीडिया की एक खबर में विशेषज्ञों के हवाले से यह दावा किया गया है। नेपाल में पिछले 30 साल में सबसे भीषण विमान दुर्घटना में 15 जनवरी को, यति एयरलाइंस का विमान पोखरा में नव-निर्मित हवाई अड्डे के पास एक खाई में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें पांच भारतीयों सहित 72 लोगों की मौत हो गई। अखबार ‘काठमांडू पोस्ट’ की खबर के अनुसार, उतरते समय विमान में कम गति पर अधिक नियंत्रण प्रदान करने और रुकने से रोकने के लिए पंखों के पीछे फ्लैप पूरी तरह से नीचे होता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर’ या ‘ब्लैक बॉक्स’ की जांच के बाद ही दुर्घटना के सही कारण का पता चल पाएगा। पूर्वाह्न 10:30 बजे काठमांडू से उड़ान भरने वाला विमान सेती नदी घाटी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें चालक दल के सभी चार सदस्य और 68 यात्री मारे गए। विमान में सवार एक व्यक्ति अब भी लापता है। विमान के दुर्घटना के समय मोबाइल से बनाए गए दो वीडियो सामने आए हैं। एक वीडियो में विमान तेजी से बायीं ओर जाते हुए और फिर गिरते हुए दिखा। जबकि दूसरा वीडियो घटना के कई घंटे बाद ऑनलाइन आया और एक भारतीय यात्री को सोनू जायसवाल के रूप में दिखाया गया, जो विमान के गिरने से कुछ सेकंड पहले ‘स्ट्रीमिंग’ कर रहा था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि फुटेज से पता चलता है कि फ्लैप पूरी तरह से नीचे नहीं थे। कई विशेषज्ञों को आशंका है विमान इस कारण से स्थिर हो गया होगा। ‘काठमांडू पोस्ट’ के मुताबिक एटीआर के एक वरिष्ठ कैप्टन कुमार पांडे ने कहा, ‘‘वीडियो देखने के बाद मैं दंग रह गया।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि 2007-08 में पांडे ने वही विमान उड़ाया जो कभी बंद हो चुकी भारत की किंगफिशर एयरलाइंस का था। पांडे ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि पायलट ने गड़बड़ कर दी। अगर ऐसा है तो यह बहुत बड़ी लापरवाही है। उन्होंने बुनियादी जांच सूची का पालन नहीं किया।’’

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विशेषज्ञों ने कहा कि जब गति 150 समुद्री मील या 277 किलोमीटर प्रति घंटे से कम हो जाती है, तो फ्लैप को 30 डिग्री पर सेट किया जाना चाहिए। यह प्रक्रिया विमान को सुचारू लैंडिंग के लिए स्थिर करती है। पायलट तब विमान को रनवे पर ले जाता है।इस चरण में गति को कम करने के लिए फ्लैप को 30 डिग्री पर सेट किया जाना चाहिए। पांडे ने कहा, ‘‘लेकिन वीडियो 15 डिग्री पर फ्लैप दिखाता है।’’ लगभग दो दशकों से एटीआर विमानों को उड़ाने वाले एक क्षेत्रीय विमानन कंपनी के पायलट ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हो सकता है कि विमान स्थिर हो गया हो या पायलट की कोई त्रुटि हो सकती है। पायलट ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद ही दुर्घटना के कारणों का पता चल पाएगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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